Sutra Navigation: Samavayang ( समवयांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1003151 | ||
Scripture Name( English ): | Samavayang | Translated Scripture Name : | समवयांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
समवाय-२१ |
Translated Chapter : |
समवाय-२१ |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 51 | Category : | Ang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] एक्कवीसं सबला पन्नत्ता, तं जहा– १. हत्थकम्मं करेमाणे सबले। २. मेहुणं पडिसेवमाणे सबले। ३. राइभोयणं भुंजमाणे सबले। ४. आहाकम्मं भुंजमाणे सबले। ५. सागारियपिंडं भुंजमाणे सबले। ६. उद्देसियं, कीयं, आहट्टु दिज्जमाणं भुंजमाणे सबले। ७. अभिक्खणं पडियाइक्खेत्ता णं भुंजमाणे सबले। ८. अंतो छण्हं मासाणं गणाओ गणं संकममाणे सबले। ९. अंतो मासस्स तओ दगलेवे करेमाणे सबले। १०. अंतो मासस्स तओ माईठाणे सेवमाणे सबले। ११. रायपिंडं भुंजमाणे सबले। १२. आउट्टिआए पाणाइवायं करेमाणे सबले। १३. आउट्टिआए मुसावायं वदमाणे सबले। १४. आउट्टिआए अदिन्नादाणं गिण्हमाणे सबले। १५. आउट्टिआए अनंतरहिआए पुढवीए ठाणं वा निसीहियं वा चेतेमाणे सबले। १६. आउट्टियाए ससणिद्धाए पुढवीए ससरक्खाए पुढवीए ठाणं वा निसीहियं वा चेतेमाणे सबले। १७. आउट्टिआए चित्तमंताए पुढवीए, चित्तमंताए सिलाए, चित्तमंताए लेलूए, कोलावासंसि वा दारुए अण्णयरे वा तहप्पगारे जीवपइट्ठिए सअंडे सपाणे सबीए सहरिए सउत्तिंगे पणग-दग-मट्टी – मक्कडासंताणए ठाणं वा निसीहियं वा चेतेमाणे सबले। १८. आउट्टिआए मूलभोयणं वा कंदभोयणं वा खंधभोयणं वा तयाभोयणं वा पवालभोयणं वा पत्तभोयणं वा पुप्फभोयणं वा फलभोयणं वा बीयभोयणं वा हरियभोयणं वा भुंजमाणे सबले। १९. अंतो संवच्छरस्स दस दगलेवे करेमाणे सबले। २०. अंतो संवच्छरस्स दस माइठाणाइं सेवमाणे सबले। २१. अभिक्खणं-अभिक्खणं सीतोदय-वियड-वग्घारिय-पाणिणा असनं वा पानं वा खाइमं वा साइमं वा पडिगाहित्ता भुंजमाणे सबले। निअट्टिबादरस्स णं खवितसत्तयस्स मोहणिज्जस्स कम्मस्स एक्कवीसं कम्मंसा संतकम्मा पन्नत्ता, तं जहा– अपच्चक्खाणकसाए कोहे अपच्चक्खाणकसाए माने अपच्चक्खाणकसाए माया अपच्चक्खाणकसाए लोभे पच्चक्खाणावरणे कोहे पच्चक्खाणावरणे माने पच्चक्खाणावरणा माया पच्चक्खाणावरणे लोभे संजलणे कोहे संजलणे माने संजलणे माया संजलणे लोभे इत्थिवेदे पुंवेदे नपुंसयवेदे हासे अरति रति भय सोग दुगुंछा। एगमेगाए णं ओसप्पिणीए पंचमछट्ठाओ समाओ एक्कवीसं-एक्कवीसं वाससहस्साइं कालेणं पन्नत्ताओ, तं जहा–दूसमा दूसमदूसमा य। एगमेगाए णं उस्सप्पिणीए पढमबितियाओ समाओ एक्कवीसं-एक्कवीसं वाससहस्साइं कालेणं पन्नत्ताओ, तं जहा–दूसमदूसमा दूसमा य। इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं एकवीसं पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। छट्ठीए पुढवीए अत्थेगइयाणं नेरइयाणं एकवीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। असुरकुमाराणं देवाणं अत्थेयइयाणं एगवीसं पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। सोहम्मीसानेसु कप्पेसु अत्थेगइयाणं देवाणं एक्कवीसं पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। आरणे कप्पे देवाणं उक्कोसेणं एक्कवीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। अच्चुते कप्पे देवाणं जहन्नेणं एकवीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। जे देवा सिरिवच्छं सिरिदामगंडं मल्लं किट्ठिं चावोण्णतं आरण्णवडेंसगं विमानं देवत्ताए उववन्ना, तेसि णं देवाणं उक्कोसेणं एक्कवीसं सागरोवमाइं ठिई पन्नत्ता। ते णं देवा एक्कवीसाए अद्धमासाणं आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा। तेसि णं देवाणं एक्कवीसाए वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जइ। संतेगइआ भवसिद्धिया जीवा, जे एक्कवीसाए भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति बुज्झिस्संति मुच्चिस्संति परिनिव्वाइस्संति सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति। | ||
Sutra Meaning : | इक्कीस शबल हैं (जो दोष रूप क्रिया – विशेषों के द्वारा अपने चारित्र को शबल कर्बुरित, मलिन या धब्बों से दूषित करते हैं) १. हस्त – मैथुन करने वाला शबल, २. स्त्री आदि के साथ मैथुन करने वाला शबल, ३. रात में भोजन करने वाला शबल, ४. आधाकर्मिक भोजन को सेवन करने वाला शबल, ५. सागारिक का भोजन – पिंड ग्रहण करने वाला शबल, ६. औद्देशिक, बाजार से क्रीत और अन्यत्र से लाकर दिये गए भोजन को खाने वाला शबल, ७. बार – बार प्रत्याख्यान कर पुनः उसी वस्तु को सेवन करने वाला शबल, ८. छह मास के भीतर एक या दूसरे गण में जाने वाला शबल, ९. एक मास के भीतर तीन बार नाभिप्रमाण जल में प्रवेश करने वाला शबल, १०. एक मास के भीतर तीन बार मायास्थान को सेवन करने वाला शबल। ११. राजपिण्ड खाने वाला शबल, १२. जान – बूझ कर पृथ्वी आदि जीवों का घात करने वाला शबल, १३. जान – बूझ कर असत्य वचन बोलने वाला शबल, १४. जान – बूझ कर बिना दी (हुई) वस्तु को ग्रहण करने वाला शबल, १५. जान – बूझ कर अनन्तर्हित (सचित्त) पृथ्वी पर स्थान, आसन, कायोत्सर्ग आदि करने वाला शबल, १६. इसी प्रकार जान – बूझ कर सचेतन पृथ्वी, सचेतन शिला पर और कोलावास लकड़ी आदि पर स्थान, शयन, आसन आदि करने वाला शबल, १७. जीव – प्रतिष्ठित, प्राण – युक्त, सबीज, हरित – सहित, कीड़े – मकोड़े वाले, पनक, उदक, मृत्तिका कीड़ीनगरा वाले एवं इसी प्रकार के अन्य स्थान पर अवस्थान, शयन, आशनादि करने वाला शबल, १८. जान – बूझ कर मूल – भोजन, कन्द – भोजन, त्वक् – भोजन, प्रबाल – भोजन, पुष्प – भोजन, फल – भोजन और हरित – भोजन करने वाला शबल, १९. एक वर्ष के भीतर दश बार जलावगाहन या जल में प्रवेश करने वाला शबल, २०. एक वर्ष के भीतर दश बार मायास्थानों का सेवन करने वाला शबल और २१. बार – बार शीतल जल से व्याप्त हाथों से अशन, पान, खादिम और स्वादिम वस्तुओं को ग्रहण कर खाने वाला शबल। जिसने अनन्तानुबन्धी चतुष्क और दर्शनमोहत्रिक इन सात प्रकृतियों का क्षय कर दिया है ऐसे क्षायिक सम्यग्दृष्टि अष्टम गुणस्थानवर्ती निवृत्तिबादर संयत के मोहनीय कर्म की इक्कीस प्रकृतियों का सत्व कहा गया है। जैसे – अप्रत्याख्यान क्रोधकषाय, अप्रत्याख्यान मानकषाय, अप्रत्याख्यान मायाकषाय, अप्रत्याख्यान लोभकषाय, प्रत्याख्यानावरण क्रोधकषाय, प्रत्याख्यानावरण मानकषाय, प्रत्याख्यानावरण मायाकषाय, प्रत्याख्यानावरण लोभ – कषाय, (संज्वलन क्रोधकषाय, संज्वलन मानकषाय, संज्वलन मायाकषाय, संज्वलन लोभकषाय) स्त्रीवेद, पुरुष वेद, नपुंसकवेद, हास्य, अरति, रति, भय, शोक और दुगुंछा (जुगुप्सा)। प्रत्येक अवसर्पिणी के पाँचवे और छठे और इक्कीस – इक्कीस हजार वर्ष के काल वाले कहे गए हैं। जैसे – दुःषमा और दुःषम – दुःषमा। प्रत्येक उत्सर्पिणी के प्रथम और द्वीतिय और इक्कीस – इक्कीस हजार वर्ष के काल वाले कहे गए हैं। जैसे – दुःषम – दुःषमा और दुःषमा। इस रत्नप्रभा पृथ्वी में कितनेक नारकों की स्थिति इक्कीस पल्योपम की कही गई है। छठी तमःप्रभा पृथ्वी में कितनेक नारकों की स्थिति इक्कीस सागरोपम कही गई है। कितनेक असुरकुमार देवों की स्थिति इक्कीस पल्योपम कही गई है। सौधर्म – ईशान कल्पों में कितनेक देवों की स्थिति इक्कीस पल्योपम कही गई है। आरणकल्प में देवों की उत्कृष्ट स्थिति इक्कीस सागरोपम कही गई है। अच्युत कल्प में देवों की जघन्य स्थिति इक्कीस सागरोपम कही गई है। वहाँ जो देव श्रीवत्स, श्रीदामकाण्ड, मल्ल, कृष्ट, चापोन्नत और आरणावतंसक नाम के विमानों में देवरूप से उत्पन्न होते हैं, उन देवों की स्थिति इक्कीस सागरोपम कही गई है। वे देव इक्कीस अर्धमासों (साढ़े दस मासों) के बाद आन – प्राण या उच्छ्वास – निःश्वास लेते हैं। उन देवों के इक्कीस हजार वर्षों के बाद आहार की ईच्छा होती है। कितनेक भव्यसिद्धिक जीव ऐसे हैं जो इक्कीस भव ग्रहण करके सिद्ध होंगे, बुद्ध होंगे, कर्मों से मुक्त होंगे, परम निर्वाण को प्राप्त होंगे और सर्व दुःखों का अन्त करेंगे। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] ekkavisam sabala pannatta, tam jaha– 1. Hatthakammam karemane sabale. 2. Mehunam padisevamane sabale. 3. Raibhoyanam bhumjamane sabale. 4. Ahakammam bhumjamane sabale. 5. Sagariyapimdam bhumjamane sabale. 6. Uddesiyam, kiyam, ahattu dijjamanam bhumjamane sabale. 7. Abhikkhanam padiyaikkhetta nam bhumjamane sabale. 8. Amto chhanham masanam ganao ganam samkamamane sabale. 9. Amto masassa tao dagaleve karemane sabale. 10. Amto masassa tao maithane sevamane sabale. 11. Rayapimdam bhumjamane sabale. 12. Auttiae panaivayam karemane sabale. 13. Auttiae musavayam vadamane sabale. 14. Auttiae adinnadanam ginhamane sabale. 15. Auttiae anamtarahiae pudhavie thanam va nisihiyam va chetemane sabale. 16. Auttiyae sasaniddhae pudhavie sasarakkhae pudhavie thanam va nisihiyam va chetemane sabale. 17. Auttiae chittamamtae pudhavie, chittamamtae silae, chittamamtae lelue, kolavasamsi va darue Annayare va tahappagare jivapaitthie saamde sapane sabie saharie sauttimge panaga-daga-matti – Makkadasamtanae thanam va nisihiyam va chetemane sabale. 18. Auttiae mulabhoyanam va kamdabhoyanam va khamdhabhoyanam va tayabhoyanam va pavalabhoyanam va Pattabhoyanam va pupphabhoyanam va phalabhoyanam va biyabhoyanam va hariyabhoyanam va bhumjamane sabale. 19. Amto samvachchharassa dasa dagaleve karemane sabale. 20. Amto samvachchharassa dasa maithanaim sevamane sabale. 21. Abhikkhanam-abhikkhanam sitodaya-viyada-vagghariya-panina asanam va panam va khaimam va saimam va padigahitta bhumjamane sabale. Niattibadarassa nam khavitasattayassa mohanijjassa kammassa ekkavisam kammamsa samtakamma pannatta, tam jaha– apachchakkhanakasae kohe apachchakkhanakasae mane apachchakkhanakasae maya apachchakkhanakasae lobhe pachchakkhanavarane kohe pachchakkhanavarane mane pachchakkhanavarana maya pachchakkhanavarane lobhe samjalane kohe samjalane mane samjalane maya samjalane lobhe itthivede pumvede napumsayavede hase arati rati bhaya soga dugumchha. Egamegae nam osappinie pamchamachhatthao samao ekkavisam-ekkavisam vasasahassaim kalenam pannattao, tam jaha–dusama dusamadusama ya. Egamegae nam ussappinie padhamabitiyao samao ekkavisam-ekkavisam vasasahassaim kalenam pannattao, tam jaha–dusamadusama dusama ya. Imise nam rayanappabhae pudhavie atthegaiyanam neraiyanam ekavisam paliovamaim thii pannatta. Chhatthie pudhavie atthegaiyanam neraiyanam ekavisam sagarovamaim thii pannatta. Asurakumaranam devanam attheyaiyanam egavisam paliovamaim thii pannatta. Sohammisanesu kappesu atthegaiyanam devanam ekkavisam paliovamaim thii pannatta. Arane kappe devanam ukkosenam ekkavisam sagarovamaim thii pannatta. Achchute kappe devanam jahannenam ekavisam sagarovamaim thii pannatta. Je deva sirivachchham siridamagamdam mallam kitthim chavonnatam arannavademsagam vimanam devattae uvavanna, tesi nam devanam ukkosenam ekkavisam sagarovamaim thii pannatta. Te nam deva ekkavisae addhamasanam anamamti va panamamti va usasamti va nisasamti va. Tesi nam devanam ekkavisae vasasahassehim aharatthe samuppajjai. Samtegaia bhavasiddhiya jiva, je ekkavisae bhavaggahanehim sijjhissamti bujjhissamti muchchissamti parinivvaissamti savvadukkhanamamtam karissamti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Ikkisa shabala haim (jo dosha rupa kriya – visheshom ke dvara apane charitra ko shabala karburita, malina ya dhabbom se dushita karate haim) 1. Hasta – maithuna karane vala shabala, 2. Stri adi ke satha maithuna karane vala shabala, 3. Rata mem bhojana karane vala shabala, 4. Adhakarmika bhojana ko sevana karane vala shabala, 5. Sagarika ka bhojana – pimda grahana karane vala shabala, 6. Auddeshika, bajara se krita aura anyatra se lakara diye gae bhojana ko khane vala shabala, 7. Bara – bara pratyakhyana kara punah usi vastu ko sevana karane vala shabala, 8. Chhaha masa ke bhitara eka ya dusare gana mem jane vala shabala, 9. Eka masa ke bhitara tina bara nabhipramana jala mem pravesha karane vala shabala, 10. Eka masa ke bhitara tina bara mayasthana ko sevana karane vala shabala. 11. Rajapinda khane vala shabala, 12. Jana – bujha kara prithvi adi jivom ka ghata karane vala shabala, 13. Jana – bujha kara asatya vachana bolane vala shabala, 14. Jana – bujha kara bina di (hui) vastu ko grahana karane vala shabala, 15. Jana – bujha kara anantarhita (sachitta) prithvi para sthana, asana, kayotsarga adi karane vala shabala, 16. Isi prakara jana – bujha kara sachetana prithvi, sachetana shila para aura kolavasa lakari adi para sthana, shayana, asana adi karane vala shabala, 17. Jiva – pratishthita, prana – yukta, sabija, harita – sahita, kire – makore vale, panaka, udaka, mrittika kirinagara vale evam isi prakara ke anya sthana para avasthana, shayana, ashanadi karane vala shabala, 18. Jana – bujha kara mula – bhojana, kanda – bhojana, tvak – bhojana, prabala – bhojana, pushpa – bhojana, phala – bhojana aura harita – bhojana karane vala shabala, 19. Eka varsha ke bhitara dasha bara jalavagahana ya jala mem pravesha karane vala shabala, 20. Eka varsha ke bhitara dasha bara mayasthanom ka sevana karane vala shabala aura 21. Bara – bara shitala jala se vyapta hathom se ashana, pana, khadima aura svadima vastuom ko grahana kara khane vala shabala. Jisane anantanubandhi chatushka aura darshanamohatrika ina sata prakritiyom ka kshaya kara diya hai aise kshayika samyagdrishti ashtama gunasthanavarti nivrittibadara samyata ke mohaniya karma ki ikkisa prakritiyom ka satva kaha gaya hai. Jaise – apratyakhyana krodhakashaya, apratyakhyana manakashaya, apratyakhyana mayakashaya, apratyakhyana lobhakashaya, pratyakhyanavarana krodhakashaya, pratyakhyanavarana manakashaya, pratyakhyanavarana mayakashaya, pratyakhyanavarana lobha – kashaya, (samjvalana krodhakashaya, samjvalana manakashaya, samjvalana mayakashaya, samjvalana lobhakashaya) striveda, purusha veda, napumsakaveda, hasya, arati, rati, bhaya, shoka aura dugumchha (jugupsa). Pratyeka avasarpini ke pamchave aura chhathe aura ikkisa – ikkisa hajara varsha ke kala vale kahe gae haim. Jaise – duhshama aura duhshama – duhshama. Pratyeka utsarpini ke prathama aura dvitiya aura ikkisa – ikkisa hajara varsha ke kala vale kahe gae haim. Jaise – duhshama – duhshama aura duhshama. Isa ratnaprabha prithvi mem kitaneka narakom ki sthiti ikkisa palyopama ki kahi gai hai. Chhathi tamahprabha prithvi mem kitaneka narakom ki sthiti ikkisa sagaropama kahi gai hai. Kitaneka asurakumara devom ki sthiti ikkisa palyopama kahi gai hai. Saudharma – ishana kalpom mem kitaneka devom ki sthiti ikkisa palyopama kahi gai hai. Aranakalpa mem devom ki utkrishta sthiti ikkisa sagaropama kahi gai hai. Achyuta kalpa mem devom ki jaghanya sthiti ikkisa sagaropama kahi gai hai. Vaham jo deva shrivatsa, shridamakanda, malla, krishta, chaponnata aura aranavatamsaka nama ke vimanom mem devarupa se utpanna hote haim, una devom ki sthiti ikkisa sagaropama kahi gai hai. Ve deva ikkisa ardhamasom (sarhe dasa masom) ke bada ana – prana ya uchchhvasa – nihshvasa lete haim. Una devom ke ikkisa hajara varshom ke bada ahara ki ichchha hoti hai. Kitaneka bhavyasiddhika jiva aise haim jo ikkisa bhava grahana karake siddha homge, buddha homge, karmom se mukta homge, parama nirvana ko prapta homge aura sarva duhkhom ka anta karemge. |