Sutra Navigation: Sthanang ( स्थानांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1002496 | ||
Scripture Name( English ): | Sthanang | Translated Scripture Name : | स्थानांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
स्थान-५ |
Translated Chapter : |
स्थान-५ |
Section : | उद्देशक-३ | Translated Section : | उद्देशक-३ |
Sutra Number : | 496 | Category : | Ang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] पंचविधा संसारसमावन्नगा जीवा पन्नत्ता, तं जहा– एगिंदिया, बेइंदिया, तेइंदिया, चउरिंदिया, पंचिंदिया। एगिंदिया पंचगतिया पंचागतिया पन्नत्ता, तं जहा– एगिंदिए एगिंदिएसु उववज्जमाणे एगिंदि-एहिंतो वा, बेइंदिएहिंतो वा, तेइंदिएहिंतो वा, चउरिंदिएहिंतो वा, पंचिंदिएहिंतो वा उववज्जेज्जा। ‘से चेव णं से’ एगिंदिए एगिंदियत्तं विप्पजहमाने एगिंदियत्ताए वा, बेइंदियत्ताए वा, तेइंदिय-त्ताए वा, चउरिंदियत्ताए वा, पंचिंदियत्ताए वा गच्छेज्जा। बेइंदिया पंचगतिया पंचागतिया एवं चेव। एवं जाव पंचिंदिया पंचगतिया पंचागतिया पन्नत्ता, तं जहा–पंचिंदिए जाव गच्छेज्जा। पंचविधा सव्वजीवा पन्नत्ता, तं जहा–कोहकसाई, मानकसाई, मायाकसाई, लोभकसाई, अकसाई। अहवा–पंचविधा सव्वजीवा पन्नत्ता, तं जहा– नेरइया, तिरिक्खजोणिया, मनुस्सा, देवा, सिद्धा। | ||
Sutra Meaning : | संसारी जीव पाँच प्रकार के हैं, यथा – एकेन्द्रिय यावत् पंचेन्द्रिय। एकेन्द्रिय जीव पाँच गतियों में पाँच गतियों से आकर उत्पन्न होते हैं। एकेन्दिंय जीव एकेन्द्रियों में एके – न्द्रियों से यावत् पंचेन्द्रियों से आकर उत्पन्न होता है। एकेन्द्रिय एकेन्द्रियपन को छोड़कर एकेन्द्रिय रूप में यावत् पंचेन्द्रिय रूप में उत्पन्न होता है। द्वीन्द्रिय जीव पाँच स्थानों में पाँच स्थानों से आकर उत्पन्न होते हैं। द्वीन्द्रिय जीव एकेन्द्रियों में यावत् – पंचेन्द्रियों में आकर उत्पन्न होते हैं। त्रीन्द्रिय जीव पाँच स्थानों में पाँच स्थानों से आकर उत्पन्न होते हैं। त्रीन्द्रिय जीव एकेन्द्रियों में यावत् पंचेन्द्रियों में आकर उत्पन्न होते हैं। चतुरिन्द्रिय जीव पाँच स्थानों में पाँच स्थानों से आकर उत्पन्न होते हैं। चतुरिन्द्रिय जीव एकेन्द्रियों में यावत् पंचेन्द्रियों में आकर उत्पन्न होते हैं। पंचेन्द्रिय जीव पाँच स्थानों में पाँच स्थानों से आकर उत्पन्न होते हैं। पंचेन्द्रिय जीव एकेन्द्रियों में यावत् – पंचेन्द्रियों में आकर उत्पन्न होते हैं। सभी जीव पाँच प्रकार के हैं, यथा – क्रोध कषायी – यावत् अकषायी। अथवा सभी जीव पाँच प्रकार के हैं, यथा – नैरयिक यावत् सिद्ध। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] pamchavidha samsarasamavannaga jiva pannatta, tam jaha– egimdiya, beimdiya, teimdiya, chaurimdiya, pamchimdiya. Egimdiya pamchagatiya pamchagatiya pannatta, tam jaha– egimdie egimdiesu uvavajjamane egimdi-ehimto va, beimdiehimto va, teimdiehimto va, chaurimdiehimto va, pamchimdiehimto va uvavajjejja. ‘se cheva nam se’ egimdie egimdiyattam vippajahamane egimdiyattae va, beimdiyattae va, teimdiya-ttae va, chaurimdiyattae va, pamchimdiyattae va gachchhejja. Beimdiya pamchagatiya pamchagatiya evam cheva. Evam java pamchimdiya pamchagatiya pamchagatiya pannatta, tam jaha–pamchimdie java gachchhejja. Pamchavidha savvajiva pannatta, tam jaha–kohakasai, manakasai, mayakasai, lobhakasai, akasai. Ahava–pamchavidha savvajiva pannatta, tam jaha– neraiya, tirikkhajoniya, manussa, deva, siddha. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Samsari jiva pamcha prakara ke haim, yatha – ekendriya yavat pamchendriya. Ekendriya jiva pamcha gatiyom mem pamcha gatiyom se akara utpanna hote haim. Ekendimya jiva ekendriyom mem eke – ndriyom se yavat pamchendriyom se akara utpanna hota hai. Ekendriya ekendriyapana ko chhorakara ekendriya rupa mem yavat pamchendriya rupa mem utpanna hota hai. Dvindriya jiva pamcha sthanom mem pamcha sthanom se akara utpanna hote haim. Dvindriya jiva ekendriyom mem yavat – pamchendriyom mem akara utpanna hote haim. Trindriya jiva pamcha sthanom mem pamcha sthanom se akara utpanna hote haim. Trindriya jiva ekendriyom mem yavat pamchendriyom mem akara utpanna hote haim. Chaturindriya jiva pamcha sthanom mem pamcha sthanom se akara utpanna hote haim. Chaturindriya jiva ekendriyom mem yavat pamchendriyom mem akara utpanna hote haim. Pamchendriya jiva pamcha sthanom mem pamcha sthanom se akara utpanna hote haim. Pamchendriya jiva ekendriyom mem yavat – pamchendriyom mem akara utpanna hote haim. Sabhi jiva pamcha prakara ke haim, yatha – krodha kashayi – yavat akashayi. Athava sabhi jiva pamcha prakara ke haim, yatha – nairayika yavat siddha. |