Sutra Navigation: Sthanang ( स्थानांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1002387 | ||
Scripture Name( English ): | Sthanang | Translated Scripture Name : | स्थानांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
स्थान-४ |
Translated Chapter : |
स्थान-४ |
Section : | उद्देशक-४ | Translated Section : | उद्देशक-४ |
Sutra Number : | 387 | Category : | Ang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] चत्तारि कुंभा पन्नत्ता, तं जहा– पुण्णे नाममेगे पुण्णे, पुण्णे नाममेगे तुच्छे, तुच्छे नाममेगे पुण्णे, तुच्छे नाममेगे तुच्छे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा– पुण्णे नाममेगे पुण्णे, पुण्णे नाममेगे तुच्छे, तुच्छे नाममेगे पुण्णे, तुच्छे नाममेगे तुच्छे। चत्तारि कुंभा पन्नत्ता, तं जहा– पुण्णे नाममेगे पुण्णोभासी, पुण्णे नाममेगे तुच्छोभासी, तुच्छे नाममेगे पुण्णोभासी, तुच्छे नाममेगे तुच्छोभासी। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–पुण्णे नाममेगे पुण्णोभासी, पुण्णे नाममेगे तुच्छोभासी, तुच्छे नाममेगे पुण्णो भासी, तुच्छे नाममेगे तुच्छोभासी। चत्तारि कुंभा पन्नत्ता, तं जहा– पुण्णे नाममेगे पुण्णरूवे, पुण्णे नाममेगे तुच्छरूवे, तुच्छे नाममेगे पुण्णरूवे, तुच्छे नाममेगे तुच्छरूवे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा–पुण्णे नाममेगे पुण्णरूवे, पुण्णे नाममेगे तुच्छरूवे, तुच्छे नाममेगे पुण्णरूवे, तुच्छे नाममेगे तुच्छरूवे। चत्तारि कुंभा पन्नत्ता, तं जहा– पुण्णेवि एगे पियट्ठे, पुण्णेवि एगे अवदले, तुच्छेवि एगे पियट्ठे, तुच्छेवि एगे अवदले। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा– पुण्णेवि एगे पियट्ठे, पुण्णेवि एगे अवदले, तुच्छेवि एगे पियट्ठे, तुच्छेवि एगे अवदले। चत्तारि कुंभा पन्नत्ता, तं जहा– पुण्णेवि एगे विस्संदति, पुण्णेवि एगे नो विस्संदति, तुच्छेवि एगे विस्संदति, तुच्छेवि एगे नो विस्संदति। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा– पुण्णेवि एगे विस्संदति, पुण्णेवि एगे नो विस्संदति, तुच्छेवि एगे विस्संदति, तुच्छेवि एगे नो विस्संदति। चत्तारि कुंभा पन्नत्ता, तं जहा– भिण्णे, जज्जरिए, परिस्साई, अपरिस्साई। एवामेव चउव्विहे चरित्ते पन्नत्ते, तं जहा– भिण्णे, जज्जरिए, परिस्साई, अपरिस्साई। चत्तारि कुंभा पन्नत्ता, तं जहा–महुकुंभे नाममेगे महुपिहाणे, महुकुंभे नाममेगे विसपिहाणे, विसकुंभे नाममेगे महुपिहाणे, विसकुंभे नाममेगे विसपिहाणे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा– महुकुंभे नाममेगे महुपिहाणे, महुकुंभे नाममेगे विसपिहाणे, विसकुंभे नाममेगे महुपिहाणे, विसकुंभे नाममेगे विसपिहाणे। | ||
Sutra Meaning : | कुम्भ चार प्रकार के हैं। यथा – एक कुम्भ पूर्ण (टूटा – पूटा) नहीं है और पूर्ण (मधु से भरा हुआ) है। एक कुम्भ पूर्ण है, किन्तु खाली है। एक कुम्भ पूर्ण (मधु से भरा हुआ) है किन्तु अपूर्ण (टूटा – फूटा) है। एक कुम्भ अपूर्ण (टूटा – फूटा) है और अपूर्ण (खाली है)। इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं। एक पुरुष जात्यादि गुण से पूर्ण है और ज्ञानादि गुण से भी पूर्ण है। एक पुरुष जात्यादि गुण से पूर्ण है किन्तु ज्ञानादि गुण से रहित। एक पुरुष ज्ञानादि गुण से सहित है किन्तु जात्यादि गुण से पूर्ण है। एक पुरुष जात्यादि गुण से भी रहित है और ज्ञानादि गुण से भी रहित है। कुम्भ चार प्रकार के हैं। यथा – एक कुम्भ पूर्ण है और देखने वाले को पूर्ण जैसा ही दिखता है। एक कुम्भ पूर्ण है किन्तु देखने वाले को अपूर्ण जैसा ही दिखता है। एक कुम्भ अपूर्ण है किन्तु देखने वाले को पूर्ण जैसा ही दिखता है एक कुम्भ अपूर्ण है और देखने वाले को अपूर्ण जैसा ही दिखता है। इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं। यथा – एक पुरुष धन आदि से पूर्ण है और उस धन का उदारतापूर्वक उपभोग करता है अतः पूर्ण जैसा ही प्रतीत होता है। एक पुरुष पूर्ण है (धनादि से पूर्ण है) किन्तु उस धन का उपभोग नहीं करता अतः अपूर्ण (धन हीन) जैसा ही प्रतीत होता है एक पुरुष अपूर्ण है (धनादि से परिपूर्ण नहीं है) किन्तु समय – समय पर धन का उपयोग करता है अतः पूर्ण (धनी) जैसा ही प्रतीत होता है। एक पुरुष अपूर्ण है (धनादि से परिपूर्ण भी नहीं है) और अपूर्ण (निर्धन) जैसा ही प्रतीत होता है। कुम्भ चार प्रकार के हैं। यथा – एक कुम्भ पूर्ण है (जल आदि से पूर्ण है) और पूर्ण रूप है (सुन्दर है)। एक कुम्भ पूर्ण है किन्तु अपूर्ण रूप है (सुन्दर) शेष भांगे पूर्वोक्त क्रम से कहें। इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं। यथा – एक पुरुष पूर्ण है (ज्ञानादि से पूर्ण है) और पूर्ण रूप है (संयत वेशभूषा से युक्त है)। एक पुरुष पूर्ण है किन्तु पूर्ण रूप नहीं है (संयत वेशभूषा से युक्त नहीं है) शेष भांगे पूर्वोक्त क्रम से कहें। कुम्भ चार प्रकार के हैं। यथा – एक कुम्भ पूर्ण (जलादि से) है और (स्वर्णादि मूल्यवान धातु का बना हुआ होने से) प्रिय है। एक कुम्भ पूर्ण है किन्तु (मृत्तिका आदि तुच्छ द्रव्यों का बना हुआ होने से) अप्रिय है। एक कुम्भ अपूर्ण है किन्तु (स्वर्णादि मूल्यवान धातुओं का बना हुआ होने से) प्रिय है। एक कुम्भ अपूर्ण है और अप्रिय भी है। इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं। यथा – एक पुरुष धन या श्रुत आदि से पूर्ण है और उदार हृदय है अतः प्रिय है। एक पुरुष पूर्ण है किन्तु मलिन हृदय होने से अप्रिय है। शेष भांगे पूर्वोक्त क्रम से कहें। कुम्भ चार प्रकार के हैं। यथा – एक कुम्भ (जल से) पूर्ण है किन्तु उसमें पानी झरता है। एक कुम्भ (जल से) पूर्ण है किन्तु उसमें से पानी झरता नहीं है। एक कुम्भ (जल से) अपूर्ण है किन्तु झरता है। एक कुम्भ अपूर्ण है किन्तु झरता नहीं है। इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं यथा – एक पुरुष (धन या श्रुत से) पूर्ण है और धन या श्रुत देता भी है एक पुरुष पूर्ण है किन्तु देता नहीं है। एक पुरुष (धन या श्रुत से) अपरिपूर्ण है किन्तु यथाशक्ति या यथाज्ञान देता भी है एक पुरुष अपूर्ण है और देता भी नहीं है। कुम्भ चार प्रकार के हैं। यथा – खंडित, जोजरा, कच्चा और पक्का। इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं। यथा – एक पुरुष मूल प्रायश्चित्त योग्य होता है। एक पुरुष छेदादि प्रायश्चित्त योग्य होता है। एक पुरुष सूक्ष्म अतिचार युक्त होता है। एक पुरुष निरतिचार चारित्र युक्त होता है। कुम्भ चार प्रकार के हैं, एक मधु कुम्भ है और उसका ढक्कन भी मधु पूरित है। एक मधु कुम्भ है किन्तु उसका ढक्कन विष पूरित है। एक विष कुम्भ है किन्तु उसका ढक्कन मधु पूरित है। एक विष कुम्भ है और उसका ढक्कन भी विष पूरित है। इसी प्रकार पुरुष चार प्रकार के हैं। यथा – एक पुरुष सरल हृदय है और मधुर भाषी है। एक पुरुष सरल हृदय है किन्तु कटुभाषी है। एक पुरुष मायावी है किन्तु मधुरभाषी भी नहीं है। एक पुरुष मायावी है किन्तु मधुरभाषी भी है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] chattari kumbha pannatta, tam jaha– punne namamege punne, punne namamege tuchchhe, tuchchhe namamege punne, tuchchhe namamege tuchchhe. Evameva chattari purisajaya pannatta, tam jaha– punne namamege punne, punne namamege tuchchhe, tuchchhe namamege punne, tuchchhe namamege tuchchhe. Chattari kumbha pannatta, tam jaha– punne namamege punnobhasi, punne namamege tuchchhobhasi, tuchchhe namamege punnobhasi, tuchchhe namamege tuchchhobhasi. Evameva chattari purisajaya pannatta, tam jaha–punne namamege punnobhasi, punne namamege tuchchhobhasi, tuchchhe namamege punno bhasi, tuchchhe namamege tuchchhobhasi. Chattari kumbha pannatta, tam jaha– punne namamege punnaruve, punne namamege tuchchharuve, tuchchhe namamege punnaruve, tuchchhe namamege tuchchharuve. Evameva chattari purisajaya pannatta, tam jaha–punne namamege punnaruve, punne namamege tuchchharuve, tuchchhe namamege punnaruve, tuchchhe namamege tuchchharuve. Chattari kumbha pannatta, tam jaha– punnevi ege piyatthe, punnevi ege avadale, tuchchhevi ege piyatthe, tuchchhevi ege avadale. Evameva chattari purisajaya pannatta, tam jaha– punnevi ege piyatthe, punnevi ege avadale, tuchchhevi ege piyatthe, tuchchhevi ege avadale. Chattari kumbha pannatta, tam jaha– punnevi ege vissamdati, punnevi ege no vissamdati, tuchchhevi ege vissamdati, tuchchhevi ege no vissamdati. Evameva chattari purisajaya pannatta, tam jaha– punnevi ege vissamdati, punnevi ege no vissamdati, tuchchhevi ege vissamdati, tuchchhevi ege no vissamdati. Chattari kumbha pannatta, tam jaha– bhinne, jajjarie, parissai, aparissai. Evameva chauvvihe charitte pannatte, tam jaha– bhinne, jajjarie, parissai, aparissai. Chattari kumbha pannatta, tam jaha–mahukumbhe namamege mahupihane, mahukumbhe namamege visapihane, visakumbhe namamege mahupihane, visakumbhe namamege visapihane. Evameva chattari purisajaya pannatta, tam jaha– mahukumbhe namamege mahupihane, mahukumbhe namamege visapihane, visakumbhe namamege mahupihane, visakumbhe namamege visapihane. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Kumbha chara prakara ke haim. Yatha – eka kumbha purna (tuta – puta) nahim hai aura purna (madhu se bhara hua) hai. Eka kumbha purna hai, kintu khali hai. Eka kumbha purna (madhu se bhara hua) hai kintu apurna (tuta – phuta) hai. Eka kumbha apurna (tuta – phuta) hai aura apurna (khali hai). Isi prakara purusha chara prakara ke haim. Eka purusha jatyadi guna se purna hai aura jnyanadi guna se bhi purna hai. Eka purusha jatyadi guna se purna hai kintu jnyanadi guna se rahita. Eka purusha jnyanadi guna se sahita hai kintu jatyadi guna se purna hai. Eka purusha jatyadi guna se bhi rahita hai aura jnyanadi guna se bhi rahita hai. Kumbha chara prakara ke haim. Yatha – eka kumbha purna hai aura dekhane vale ko purna jaisa hi dikhata hai. Eka kumbha purna hai kintu dekhane vale ko apurna jaisa hi dikhata hai. Eka kumbha apurna hai kintu dekhane vale ko purna jaisa hi dikhata hai eka kumbha apurna hai aura dekhane vale ko apurna jaisa hi dikhata hai. Isi prakara purusha chara prakara ke haim. Yatha – eka purusha dhana adi se purna hai aura usa dhana ka udaratapurvaka upabhoga karata hai atah purna jaisa hi pratita hota hai. Eka purusha purna hai (dhanadi se purna hai) kintu usa dhana ka upabhoga nahim karata atah apurna (dhana hina) jaisa hi pratita hota hai eka purusha apurna hai (dhanadi se paripurna nahim hai) kintu samaya – samaya para dhana ka upayoga karata hai atah purna (dhani) jaisa hi pratita hota hai. Eka purusha apurna hai (dhanadi se paripurna bhi nahim hai) aura apurna (nirdhana) jaisa hi pratita hota hai. Kumbha chara prakara ke haim. Yatha – eka kumbha purna hai (jala adi se purna hai) aura purna rupa hai (sundara hai). Eka kumbha purna hai kintu apurna rupa hai (sundara) shesha bhamge purvokta krama se kahem. Isi prakara purusha chara prakara ke haim. Yatha – eka purusha purna hai (jnyanadi se purna hai) aura purna rupa hai (samyata veshabhusha se yukta hai). Eka purusha purna hai kintu purna rupa nahim hai (samyata veshabhusha se yukta nahim hai) shesha bhamge purvokta krama se kahem. Kumbha chara prakara ke haim. Yatha – eka kumbha purna (jaladi se) hai aura (svarnadi mulyavana dhatu ka bana hua hone se) priya hai. Eka kumbha purna hai kintu (mrittika adi tuchchha dravyom ka bana hua hone se) apriya hai. Eka kumbha apurna hai kintu (svarnadi mulyavana dhatuom ka bana hua hone se) priya hai. Eka kumbha apurna hai aura apriya bhi hai. Isi prakara purusha chara prakara ke haim. Yatha – eka purusha dhana ya shruta adi se purna hai aura udara hridaya hai atah priya hai. Eka purusha purna hai kintu malina hridaya hone se apriya hai. Shesha bhamge purvokta krama se kahem. Kumbha chara prakara ke haim. Yatha – eka kumbha (jala se) purna hai kintu usamem pani jharata hai. Eka kumbha (jala se) purna hai kintu usamem se pani jharata nahim hai. Eka kumbha (jala se) apurna hai kintu jharata hai. Eka kumbha apurna hai kintu jharata nahim hai. Isi prakara purusha chara prakara ke haim yatha – eka purusha (dhana ya shruta se) purna hai aura dhana ya shruta deta bhi hai eka purusha purna hai kintu deta nahim hai. Eka purusha (dhana ya shruta se) aparipurna hai kintu yathashakti ya yathajnyana deta bhi hai eka purusha apurna hai aura deta bhi nahim hai. Kumbha chara prakara ke haim. Yatha – khamdita, jojara, kachcha aura pakka. Isi prakara purusha chara prakara ke haim. Yatha – eka purusha mula prayashchitta yogya hota hai. Eka purusha chhedadi prayashchitta yogya hota hai. Eka purusha sukshma atichara yukta hota hai. Eka purusha niratichara charitra yukta hota hai. Kumbha chara prakara ke haim, eka madhu kumbha hai aura usaka dhakkana bhi madhu purita hai. Eka madhu kumbha hai kintu usaka dhakkana visha purita hai. Eka visha kumbha hai kintu usaka dhakkana madhu purita hai. Eka visha kumbha hai aura usaka dhakkana bhi visha purita hai. Isi prakara purusha chara prakara ke haim. Yatha – eka purusha sarala hridaya hai aura madhura bhashi hai. Eka purusha sarala hridaya hai kintu katubhashi hai. Eka purusha mayavi hai kintu madhurabhashi bhi nahim hai. Eka purusha mayavi hai kintu madhurabhashi bhi hai. |