Sutra Navigation: Sthanang ( स्थानांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1002064 | ||
Scripture Name( English ): | Sthanang | Translated Scripture Name : | स्थानांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
स्थान-२ |
Translated Chapter : |
स्थान-२ |
Section : | उद्देशक-१ | Translated Section : | उद्देशक-१ |
Sutra Number : | 64 | Category : | Ang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] दो ठाणाइं अपरियाणेत्ता आया नो केवलिपन्नत्तं धम्मं लभेज्ज सवणयाए, तं जहा–आरंभे चेव, परिग्गहे चेव। दो ठाणाइं अपरियाणेत्ता आया नो केवलं बोधिं बुज्झेज्जा, तं जहा–आरंभे चेव, परिग्गहे चेव। दो ठाणाइं अपरियाणेत्ता आया नो केवलं मुंडे भवित्ता अगाराओ अनगारियं पव्वइज्जा, तं जहा–आरंभे चेव, परि-ग्गहे चेव। दो ठाणाइं अपरियाणेत्ता आया नो केवलं बंभचेरवासमावसेज्जा, तं जहा–आरंभे चेव, परिग्गहे चेव। दो ठाणाइं अपरियाणेत्ता आया नो केवलेणं संजमेणं संजमेज्जा, तं जहा–आरंभे चेव, परिग्गहे चेव। दो ठाणाइं अपरियाणेत्ता आया नो केवलेणं संवरेणं संवरेज्जा, तं जहा–आरंभे चेव, परिग्गहे चेव। दो ठाणाइं अपरियाणेत्ता आया नो केवलमाभिनिबोहियनाणं उप्पाडेज्जा, तं जहा–आरंभे चेव, परिग्गहे चेव। दो ठाणाइं अपरियाणेत्ता आया नो केवलं सुयनाणं उप्पाडेज्जा, तं जहा–आरंभे चेव, परिग्गहे चेव। दो ठाणाइं अपरियाणेत्ता आया नो केवलं ओहिनाणं उप्पाडेज्जा, तं जहा–आरंभे चेव, परिग्गहे चेव। दो ठाणाइं अपरियाणेत्ता आया नो केवलं मनपज्जवनाणं उप्पाडेज्जा, तं जहा–आरंभे चेव, परिग्गहे चेव। दो ठाणाइं अपरियाणेत्ता आया नो केवलं केवलनाणं उप्पाडेज्जा, तं जहा–आरंभे चेव, परिग्गहे चेव। | ||
Sutra Meaning : | दो स्थानों को जाने बिना और त्यागे बिना आत्मा को केवली – प्ररूपित धर्म सूनने के लिए नहीं मिलता, यथा – आरम्भ और परिग्रह। दो स्थान जाने बिना और त्यागे बिना आत्मा शुद्ध सम्यक्त्व नहीं पाता है, यथा – आरम्भ और परिग्रह। दो स्थान जाने बिना और त्यागे बिना आत्मा गृहवास का त्याग कर और मुण्डित होकर शुद्ध प्रव्रज्या अंगीकार नहीं कर सकता है, यथा – आरम्भ और परिग्रह। इसी प्रकार – शुद्ध ब्रह्मचर्य का पालन नहीं कर सकता है, शुद्ध संयम से अपने आपको संयत नहीं कर सकता है, शुद्ध संवर से संवृत्त नहीं हो सकता है, सम्पूर्ण मतिज्ञान नहीं प्राप्त कर सकता, सम्पूर्ण श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान, मनः पर्यव ज्ञान और केवल ज्ञान नहीं प्राप्त कर सकता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] do thanaim apariyanetta aya no kevalipannattam dhammam labhejja savanayae, tam jaha–arambhe cheva, pariggahe cheva. Do thanaim apariyanetta aya no kevalam bodhim bujjhejja, tam jaha–arambhe cheva, pariggahe cheva. Do thanaim apariyanetta aya no kevalam mumde bhavitta agarao anagariyam pavvaijja, tam jaha–arambhe cheva, pari-ggahe cheva. Do thanaim apariyanetta aya no kevalam bambhacheravasamavasejja, tam jaha–arambhe cheva, pariggahe cheva. Do thanaim apariyanetta aya no kevalenam samjamenam samjamejja, tam jaha–arambhe cheva, pariggahe cheva. Do thanaim apariyanetta aya no kevalenam samvarenam samvarejja, tam jaha–arambhe cheva, pariggahe cheva. Do thanaim apariyanetta aya no kevalamabhinibohiyananam uppadejja, tam jaha–arambhe cheva, pariggahe cheva. Do thanaim apariyanetta aya no kevalam suyananam uppadejja, tam jaha–arambhe cheva, pariggahe cheva. Do thanaim apariyanetta aya no kevalam ohinanam uppadejja, tam jaha–arambhe cheva, pariggahe cheva. Do thanaim apariyanetta aya no kevalam manapajjavananam uppadejja, tam jaha–arambhe cheva, pariggahe cheva. Do thanaim apariyanetta aya no kevalam kevalananam uppadejja, tam jaha–arambhe cheva, pariggahe cheva. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Do sthanom ko jane bina aura tyage bina atma ko kevali – prarupita dharma sunane ke lie nahim milata, yatha – arambha aura parigraha. Do sthana jane bina aura tyage bina atma shuddha samyaktva nahim pata hai, yatha – arambha aura parigraha. Do sthana jane bina aura tyage bina atma grihavasa ka tyaga kara aura mundita hokara shuddha pravrajya amgikara nahim kara sakata hai, yatha – arambha aura parigraha. Isi prakara – Shuddha brahmacharya ka palana nahim kara sakata hai, shuddha samyama se apane apako samyata nahim kara sakata hai, shuddha samvara se samvritta nahim ho sakata hai, sampurna matijnyana nahim prapta kara sakata, sampurna shrutajnyana, avadhijnyana, manah paryava jnyana aura kevala jnyana nahim prapta kara sakata hai. |