Sutra Navigation: Sutrakrutang ( सूत्रकृतांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1001491 | ||
Scripture Name( English ): | Sutrakrutang | Translated Scripture Name : | सूत्रकृतांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-१० समाधि |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-१० समाधि |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 491 | Category : | Ang-02 |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] जहाय वित्तं पसवो य सव्वे जे बंधवा जे य पिया य मित्ता । लालप्पई ‘से वि उवेति मोहं’ अन्ने जणा तं सि हरंति वित्तं ॥ | ||
Sutra Meaning : | वित्त, पशु, बान्धव और अन्य जो भी प्रियमित्र हैं उन्हें छोड़कर वह विलाप करता है और मोहित होता है, अन्य लोग उसके धन का हरण कर लेते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] jahaya vittam pasavo ya savve je bamdhava je ya piya ya mitta. Lalappai ‘se vi uveti moham’ anne jana tam si haramti vittam. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Vitta, pashu, bandhava aura anya jo bhi priyamitra haim unhem chhorakara vaha vilapa karata hai aura mohita hota hai, anya loga usake dhana ka harana kara lete haim. |