Sutra Navigation: Sutrakrutang ( सूत्रकृतांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1001247 | ||
Scripture Name( English ): | Sutrakrutang | Translated Scripture Name : | सूत्रकृतांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-४ स्त्री परिज्ञा |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-४ स्त्री परिज्ञा |
Section : | उद्देशक-१ | Translated Section : | उद्देशक-१ |
Sutra Number : | 247 | Category : | Ang-02 |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] जे मायरं च पियरं च विप्पजहाय पुव्वसंजोगं । एगे सहिए चरिस्सामि आरतमेहुणो विवित्तेसी ॥ | ||
Sutra Meaning : | जो माता, पिता तथा पूर्व संयोग को छोड़कर संकल्प करता है – मैं अकेला ही मैथुन से विरत होकर विवक्त (एकान्त) स्थानों में विचरण करूँगा। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] je mayaram cha piyaram cha vippajahaya puvvasamjogam. Ege sahie charissami aratamehuno vivittesi. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jo mata, pita tatha purva samyoga ko chhorakara samkalpa karata hai – maim akela hi maithuna se virata hokara vivakta (ekanta) sthanom mem vicharana karumga. |