Sutra Navigation: Sutrakrutang ( सूत्रकृतांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1001217 | ||
Scripture Name( English ): | Sutrakrutang | Translated Scripture Name : | सूत्रकृतांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-३ उपसर्ग परिज्ञा |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-३ उपसर्ग परिज्ञा |
Section : | उद्देशक-३ परवादी वचन जन्य अध्यात्म दुःख | Translated Section : | उद्देशक-३ परवादी वचन जन्य अध्यात्म दुःख |
Sutra Number : | 217 | Category : | Ang-02 |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] तत्तेन अणुसिट्ठा ते अपडिण्णेन जाणया । न एस णियए मग्गे असमिक्खा वई किई ॥ | ||
Sutra Meaning : | ज्ञानी भिक्षु अप्रतिज्ञ होकर उन अनुशिष्ट लोगों से तत्त्व – पूर्वक कहे – आपका यह मार्ग नियत/युक्ति संगत नहीं है। आपकी कथनी और करनी भी असमीक्ष्य है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] tattena anusittha te apadinnena janaya. Na esa niyae magge asamikkha vai kii. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jnyani bhikshu apratijnya hokara una anushishta logom se tattva – purvaka kahe – apaka yaha marga niyata/yukti samgata nahim hai. Apaki kathani aura karani bhi asamikshya hai. |