Sutra Navigation: Sutrakrutang ( सूत्रकृतांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1001092 | ||
Scripture Name( English ): | Sutrakrutang | Translated Scripture Name : | सूत्रकृतांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-२ वैतालिक |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कन्ध १ अध्ययन-२ वैतालिक |
Section : | उद्देशक-१ | Translated Section : | उद्देशक-१ |
Sutra Number : | 92 | Category : | Ang-02 |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] जमिणं जगई पुढो जगा कम्मेहिं लुप्पंति पाणिणो । सयमेव ‘कडेहि गाहई’ नो तस्स मुच्चे अपुट्ठवं ॥ | ||
Sutra Meaning : | इस जगत में सभी जन्तु अलग – अलग हैं। वे प्राणी कर्मों के कारण लिप्त हैं। वे स्वकृत क्रियाओं के द्वारा कर्म ग्रहण करते हैं। वे कर्मों का फल स्पर्श किये बिना छूट नहीं सकते। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] jaminam jagai pudho jaga kammehim luppamti panino. Sayameva ‘kadehi gahai’ no tassa muchche aputthavam. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Isa jagata mem sabhi jantu alaga – alaga haim. Ve prani karmom ke karana lipta haim. Ve svakrita kriyaom ke dvara karma grahana karate haim. Ve karmom ka phala sparsha kiye bina chhuta nahim sakate. |