Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )

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Sr No : 1000488
Scripture Name( English ): Acharang Translated Scripture Name : आचारांग सूत्र
Mool Language : Ardha-Magadhi Translated Language : Hindi
Chapter :

श्रुतस्कंध-२

चूलिका-१

अध्ययन-६ पात्रैषणा

Translated Chapter :

श्रुतस्कंध-२

चूलिका-१

अध्ययन-६ पात्रैषणा

Section : उद्देशक-२ Translated Section : उद्देशक-२
Sutra Number : 488 Category : Ang-01
Gatha or Sutra : Sutra Sutra Anuyog :
Author : Deepratnasagar Original Author : Gandhar
 
Century : Sect : Svetambara1
Source :
 
Mool Sutra : [सूत्र] से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गाहावइ-कुलं पिंडवाय-पडियाए अणुपविट्ठे समाणे सिया से परो आहट्टु अंतो पडिग्गहगंसि सीओदगं परिभाएत्ता नीहट्टु दलएज्जा, तहप्पगारं पडिग्गहगं परहत्थंसि वा, परपायंसि वा–अफासुयं अनेसणिज्जं ति मन्नमाणे लाभे संते नो पडिगाहेज्जा। से य आहच्च पडिग्गहिए सिया खिप्पामेव उदगंसि साहरेज्जा, सपडिग्गहमायाए पाणं परिट्ठवेज्जा, ससणिद्धाए ‘वा णं’ भूमीए नियमेज्जा। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा उदउल्लं वा, ससणिद्धं वा पडिग्गहं नो आमज्जेज्ज वा, पमज्जेज्ज वा, संलिहेज्ज वा, निल्लिहेज्ज वा, उव्वलेज्ज वा, उवट्टेज्ज वा, आयावेज्ज वा पयावेज्ज वा। अह पुण एवं जाणेज्जा–विगतोदए मे पडिग्गहए, छिन्नसिणेहे मे पडिग्गहए, तहप्पगारं पडिग्गहं तओ संजयामेव आमज्जेज्ज वा जाव पयावेज्ज वा से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गाहावइ-कुलं पिंडवाय-पडियाए पविसिउकामे सपडिग्गहमायाए गाहावइकुलंपिंडवायपडियाए पविसेज्ज वा, निक्खमेज्ज वा से भिक्खू वा भिक्खुणी वा बहिया वियार-भूमिं वा विहार-भूमिं वा निक्खममाणे वा पविसमाणे वा सपडिग्गह-मायाए बहिया वियार-भूमिं वा विहार-भूमिं वा निक्खमेज्ज वा पविसेज्ज वा। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गामाणुगामं दूइज्जमाणे सपडिग्गहमायाए गामाणुगामं दूइज्जेज्जा। अह पुणेवं जाणेज्जा–तिव्वदेसियं वासं वासमाणं पेहाए, तिव्वदेसियं वा महियं सण्णिवयमाणिं पेहाए, महावाएण वा रयं समुद्धयं पेहाए, तिरिच्छं संपाइमा वा तसा-पाणा संथडा सन्निवयमाणा पेहाए, से एवं नच्चा नो सपडिग्गहमायाए गाहावइ -कुलं पिंडवाय-पडियाए निक्खमेज्ज वा, पविसेज्ज वा, बहिया वियार-भूमिं वा, विहार-भूमिं वा निक्खमेज्ज वा, पविसेज्ज वा, गामाणुगामं वा दूइज्जेज्जा। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा एगइओ मुहुत्तगं-मुहुत्तगं पाडिहारियं पडिग्गहं जाएज्जा, एगाहेण वा, दुयाहेण वा, तियाहेण वा, चउयाहेण वा, पंचाहेण वा विप्पवसिय-विप्पवसिय उवागच्छेज्जा, तहप्पगारं पडिग्गहं णोअप्पणा गिण्हेज्जा, नो अन्नमन्नस्स देज्जा, नो पामिच्चं कुज्जा, नो पडिग्गहेण पडिग्गह-परिणामं करेज्जा, नो परं उवसंकमित्तु एवं वदेज्जा– ‘आउसंतो! समणा! अभिकंखसि पडिग्गहं धारेत्तए वा, परिहरेत्तए वा? ’थिरं वा णं संतं नो पलिच्छिंदिय-पलिच्छिंदिय परिट्ठवेज्जा। तहप्पगारं पडिग्गहं ससंधियं तस्स चेव निसिरेज्जा, नो णं साइज्जेज्जा। से एगइओ एयप्पगारं निग्घोसं सोच्चा निसम्म जे भयंतारो तहप्पगाराणि पडिग्गहाणि ससंधियाणि मुहुत्तगं-मुहुत्तगं जाइत्ता एगाहेण वा, दुयाहेण वा, तियाहेण वा, चउयाहेण वा, पंचाहेण वा विप्पवसिय-विप्पवसिय उवागच्छंति, तहप्पगाराणि पडिग्गहाणि नो अप्पणा गिण्हंति, नो अन्नमन्नस्स अणुवयंति, नो पामिच्चं करेंति, नो पडिग्गहेण पडिग्गह-परिणामं करेंति, नो परं उवसंकमित्तु एवं वदेंति– ‘आउसंतो! समणा! अभिकंखसि पडिग्गहं धारेत्तए वा, परिहरेत्तए वा? ’थिरं वा णं संतं नो पलिच्छिंदिय-पलिच्छिंदिय परिट्ठवेंति। तहप्पगाराणि पडिग्गहाणि ससंधियाणि तस्स चेव निसिरेंति, नो णं सातिज्जंति, ‘से हंता’ अहमवि मुहुत्तगं पाडिहारियं पडिग्गहं जाइत्ता एगाहेण वा, दुयाहेण वा, तियाहेण वा, चउयाहेण वा, पंचाहेण वा विप्पवसिय-विप्पवसिय उवागच्छिस्सामि। आवियाइं एयं ममेव सिया। माइट्ठाणं संफासे, नो एवं करेज्जा। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा नो वण्णमंताइं पडिग्गहाइं विवण्णाइं करेज्जा, विवण्णाइं नो वण्णमंताइं करेज्जा, ‘अन्नं वा पडिग्गहगं लभिस्सामि’ त्ति कट्टु नो अन्नमन्नस्स देज्जा, नो पामिच्चं कुज्जा, नो पडिग्गहेण पडिग्गह-परिणामं करेज्जा, नो परं उवसंकमित्तु एवं वदेज्जा– ‘आउसंतो! समणा! अभिकंखसि मे पडिग्गहं धारेत्तए वा, परिहरेत्तए वा? ’थिरं वा णं संतं नो पलिच्छिंदिय-पलिच्छिंदिय परिट्ठवेज्जा, जहा चेयं पडिग्गहं पावगं परो मन्नइ। परं च णं अदत्तहारि पडिपहे पेहाए तस्स पडिग्गहस्स निदाणाए नो तेसिं भीओ उम्मग्गेणं गच्छेज्जा, नो मग्गाओ मग्गं संकमेज्जा, नो गहणं वा, वनं वा, दुग्गं वा अणुपविसेज्जा, नो रुक्खंसि दुरुहेज्जा, नो महइमहालयंसि उदयंसि कायं विउसेज्जा, नो वाडं वा सरणं वा सेणं वा सत्थं वा कंखेज्जा, अप्पुस्सुए अबहिलेस्से एगंतगएणं अप्पाणं वियोसेज्ज समाहीए, तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइज्जेज्जा। से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से विहं सिया। सेज्जं पुण विहं जाणेज्जा–इमंसि खलु विहंसि बहवे आमोसगा पडिग्गह-पडियाए संपिडिया गच्छेज्जा, नो तेसिं भीओ उम्मग्गेणं गच्छेज्जा, नो मग्गाओ मग्गं संकमेज्जा, नो गहणं वा, वणं वा, दुग्गं वा अणुपविसेज्जा, नो रुक्खंसि दुरुहेज्जा, नो महइमहालयंसि उदयंसि कायं विउसेज्जा, नो वाडं वा, सरणं वा, सेणं वा, सत्थं वा कंखेज्जा, अप्पुस्सुए अबहिलेस्से एगंतगएणं अप्पाणं वियोसेज्ज समाहीए, तओ संजयामेव गामाणु-गामं दूइज्जेज्जा। से भिक्खू वा भिक्खुणी व गामाणुगामं दूइज्जमाणे अंतरा से आमोसगा संपिंडिया गच्छेज्जा। ते णं आमोसगा एवं वदेज्जा– ‘आउसंतो! समणा! आहरेयं पडिग्गहं देहि, निक्खिवाहि।’ तं नो देज्जा, नो निक्खिवेज्जा, नो वंदिय-वंदिय जाएज्जा, नो अंजलि कट्टु जाएज्जा, नो कलुण-पडियाए जाएज्जा, धम्मियाए जायणाए जाएज्जा, तुसिणीय-भावेण वा उवेहेज्जा। ते णं आमोसगा सयं करणिज्जं ति कट्टु अक्कोसंति वा, बंधंति वा, रुंभंति वा, उद्दवंति वा, पडिग्गहं अच्छिंदेज्ज वा, अवहरेज्ज वा, परिभवेज्ज वा। तं नो गामसंसारियं कुज्जा, नो रायसंसारियं कुज्जा, नो परं उवसंकमित्तु बूया–आउसंतो! गाहावइ! एए खलु आमोसगा पडिग्गह-पडियाए सयं करणिज्जं ति कट्टु अक्कोसंति वा, बंधंति वा, रुंभंति वा, उद्दवंति वा, पडिग्गहं अच्छिंदेंति वा, अवहरेंति वा, परिभवेति वा। एयप्पगारं मणं वा, वइं वा नो पुरओ कट्टु विहरेज्जा। अप्पुस्सुए अबहिलेस्से एगंतगएण अप्पाणं वियोसेज्ज समाहीए, तओ संजयामेव गामाणुगामं दूइज्जेज्जा। एयं खलु तस्स भिक्खुस्स वा भिक्खुणीए वा सामग्गियं, जं सव्वट्ठेहिं समिए सहिए सया जएज्जासि।
Sutra Meaning : साधु या साध्वी गृहस्थ के यहाँ आहार – पानी के लिए गये हों और गृहस्थ घर के भीतर से अपने पात्र में सचित्त जल लाकर साधु को देने लगे, तो साधु उस प्रकार के पर – हस्तगत एवं पर – पात्रगत शीतल जल को अप्रासुक और अनैषणीय जानकर अपने पात्र में ग्रहण न करे। कदाचित्‌ असावधानी से वह जल ले लिया हो तो शीघ्र दाता के जल पात्र में उड़ेल दे। यदि गृहस्थ उस पानी को वापस न ले तो किसी स्निग्ध भूमि में या अन्य किसी योग्य स्थान में उस जल का विधिपूर्वक परिष्ठापन कर दे। उस जल से स्निग्ध पात्र को एकान्त निर्दोष स्थान में रख दे। वह साधु या साध्वी जल से आर्द्र और स्निग्ध पात्र को जब तक उसमें से बूँदें टपकती रहें, और वह गीला रहे, तब तक न तो पोंछे और न ही धूप में सूखाए। जब वह यह जान ले कि मेरा पात्र अब निर्गतजल और स्नेह – रहित हो गया है, तब वह उस प्रकार के पात्र को यतनापूर्वक पोंछ सकता है और धूप में सूखा सकता है। साधु या साध्वी गृहस्थ के यहाँ आहारादि लेने के लिए प्रवेश करना चाहे तो अपने पात्र साथ लेकर वहाँ आहारादि के लिए प्रवेश करे या उपाश्रय से नीकले। इसी प्रकार स्वपात्र लेकर वस्ती से बाहर स्वाध्याय भूमि या शौचार्थ स्थण्डिलभूमि को जाए, अथवा ग्रामानुग्राम विहार करे। तीव्र वर्षा दूर – दूर तक हो रही हो यावत्‌ तीरछे उड़ने वाले त्रस प्राणी एकत्रित हो कर गिर रहे हों, इत्यादि परिस्थितियों में वस्त्रैषणा के निषेधादेश समान समझना। विशेष इतना ही है कि वहाँ सभी वस्त्रों को साथ में लेकर जाने का निषेध है, जबकि यहाँ अपने सब पात्र लेकर जाने का निषेध है। यही साधु – साध्वी का समग्र आचार है, जिसके परिपालन के लिए प्रत्येक साधु – साध्वी को ज्ञानादि सभी अर्थों में प्रयत्नशील रहना चाहिए। – ऐसा मैं कहता हूँ। अध्ययन – ६ का मुनि दीपरत्नसागर कृत्‌ हिन्दी अनुवाद पूर्ण अध्ययन – ७ – अवग्रहप्रतिमा उद्देशक – १
Mool Sutra Transliteration : [sutra] se bhikkhu va bhikkhuni va gahavai-kulam pimdavaya-padiyae anupavitthe samane siya se paro ahattu amto padiggahagamsi siodagam paribhaetta nihattu dalaejja, tahappagaram padiggahagam parahatthamsi va, parapayamsi va–aphasuyam anesanijjam ti mannamane labhe samte no padigahejja. Se ya ahachcha padiggahie siya khippameva udagamsi saharejja, sapadiggahamayae panam paritthavejja, sasaniddhae ‘va nam’ bhumie niyamejja. Se bhikkhu va bhikkhuni va udaullam va, sasaniddham va padiggaham no amajjejja va, pamajjejja va, samlihejja va, nillihejja va, uvvalejja va, uvattejja va, ayavejja va payavejja va. Aha puna evam janejja–vigatodae me padiggahae, chhinnasinehe me padiggahae, tahappagaram padiggaham tao samjayameva amajjejja va java payavejja va se bhikkhu va bhikkhuni va gahavai-kulam pimdavaya-padiyae pavisiukame sapadiggahamayae gahavaikulampimdavayapadiyae pavisejja va, nikkhamejja va Se bhikkhu va bhikkhuni va bahiya viyara-bhumim va vihara-bhumim va nikkhamamane va pavisamane va sapadiggaha-mayae bahiya viyara-bhumim va vihara-bhumim va nikkhamejja va pavisejja va. Se bhikkhu va bhikkhuni va gamanugamam duijjamane sapadiggahamayae gamanugamam duijjejja. Aha punevam janejja–tivvadesiyam vasam vasamanam pehae, tivvadesiyam va mahiyam sannivayamanim pehae, mahavaena va rayam samuddhayam pehae, tirichchham sampaima va tasa-pana samthada sannivayamana pehae, se evam nachcha no sapadiggahamayae gahavai -kulam pimdavaya-padiyae nikkhamejja va, pavisejja va, bahiya viyara-bhumim va, vihara-bhumim va nikkhamejja va, pavisejja va, gamanugamam va duijjejja. Se bhikkhu va bhikkhuni va egaio muhuttagam-muhuttagam padihariyam padiggaham jaejja, egahena va, duyahena va, tiyahena va, chauyahena va, pamchahena va vippavasiya-vippavasiya uvagachchhejja, tahappagaram padiggaham noappana ginhejja, no annamannassa dejja, no pamichcham kujja, no padiggahena padiggaha-parinamam karejja, no param uvasamkamittu evam vadejja– ‘ausamto! Samana! Abhikamkhasi padiggaham dharettae va, pariharettae va? ’thiram va nam samtam no palichchhimdiya-palichchhimdiya paritthavejja. Tahappagaram padiggaham sasamdhiyam tassa cheva nisirejja, no nam saijjejja. Se egaio eyappagaram nigghosam sochcha nisamma je bhayamtaro tahappagarani padiggahani sasamdhiyani muhuttagam-muhuttagam jaitta egahena va, duyahena va, tiyahena va, chauyahena va, pamchahena va vippavasiya-vippavasiya uvagachchhamti, tahappagarani padiggahani no appana ginhamti, no annamannassa anuvayamti, no pamichcham karemti, no padiggahena padiggaha-parinamam karemti, no param uvasamkamittu evam vademti– ‘ausamto! Samana! Abhikamkhasi padiggaham dharettae va, pariharettae va? ’thiram va nam samtam no palichchhimdiya-palichchhimdiya paritthavemti. Tahappagarani padiggahani sasamdhiyani tassa cheva nisiremti, no nam satijjamti, ‘se hamta’ ahamavi muhuttagam padihariyam padiggaham jaitta egahena va, duyahena va, tiyahena va, chauyahena va, pamchahena va vippavasiya-vippavasiya uvagachchhissami. Aviyaim eyam mameva siya. Maitthanam samphase, no evam karejja. Se bhikkhu va bhikkhuni va no vannamamtaim padiggahaim vivannaim karejja, vivannaim no vannamamtaim karejja, ‘annam va padiggahagam labhissami’ tti kattu no annamannassa dejja, no pamichcham kujja, no padiggahena padiggaha-parinamam karejja, no param uvasamkamittu evam vadejja– ‘ausamto! Samana! Abhikamkhasi me padiggaham dharettae va, pariharettae va? ’thiram va nam samtam no palichchhimdiya-palichchhimdiya paritthavejja, jaha cheyam padiggaham pavagam paro mannai. Param cha nam adattahari padipahe pehae tassa padiggahassa nidanae no tesim bhio ummaggenam gachchhejja, no maggao maggam samkamejja, no gahanam va, vanam va, duggam va anupavisejja, no rukkhamsi duruhejja, no mahaimahalayamsi udayamsi kayam viusejja, no vadam va saranam va senam va sattham va kamkhejja, appussue abahilesse egamtagaenam appanam viyosejja samahie, tao samjayameva gamanugamam duijjejja. Se bhikkhu va bhikkhuni va gamanugamam duijjamane amtara se viham siya. Sejjam puna viham janejja–imamsi khalu vihamsi bahave amosaga padiggaha-padiyae sampidiya gachchhejja, no tesim bhio ummaggenam gachchhejja, no maggao maggam samkamejja, no gahanam va, vanam va, duggam va anupavisejja, no rukkhamsi duruhejja, no mahaimahalayamsi udayamsi kayam viusejja, no vadam va, saranam va, senam va, sattham va kamkhejja, appussue abahilesse egamtagaenam appanam viyosejja samahie, tao samjayameva gamanu-gamam duijjejja. Se bhikkhu va bhikkhuni va gamanugamam duijjamane amtara se amosaga sampimdiya gachchhejja. Te nam amosaga evam vadejja– ‘ausamto! Samana! Ahareyam padiggaham dehi, nikkhivahi.’ tam no dejja, no nikkhivejja, no vamdiya-vamdiya jaejja, no amjali kattu jaejja, no kaluna-padiyae jaejja, dhammiyae jayanae jaejja, tusiniya-bhavena va uvehejja. Te nam amosaga sayam karanijjam ti kattu akkosamti va, bamdhamti va, rumbhamti va, uddavamti va, padiggaham achchhimdejja va, avaharejja va, paribhavejja va. Tam no gamasamsariyam kujja, no rayasamsariyam kujja, no param uvasamkamittu buya–ausamto! Gahavai! Ee khalu amosaga padiggaha-padiyae sayam karanijjam ti kattu akkosamti va, bamdhamti va, rumbhamti va, uddavamti va, padiggaham achchhimdemti va, avaharemti va, paribhaveti va. Eyappagaram manam va, vaim va no purao kattu viharejja. Appussue abahilesse egamtagaena appanam viyosejja samahie, tao samjayameva gamanugamam duijjejja. Eyam khalu tassa bhikkhussa va bhikkhunie va samaggiyam, jam savvatthehim samie sahie saya jaejjasi.
Sutra Meaning Transliteration : Sadhu ya sadhvi grihastha ke yaham ahara – pani ke lie gaye hom aura grihastha ghara ke bhitara se apane patra mem sachitta jala lakara sadhu ko dene lage, to sadhu usa prakara ke para – hastagata evam para – patragata shitala jala ko aprasuka aura anaishaniya janakara apane patra mem grahana na kare. Kadachit asavadhani se vaha jala le liya ho to shighra data ke jala patra mem urela de. Yadi grihastha usa pani ko vapasa na le to kisi snigdha bhumi mem ya anya kisi yogya sthana mem usa jala ka vidhipurvaka parishthapana kara de. Usa jala se snigdha patra ko ekanta nirdosha sthana mem rakha de. Vaha sadhu ya sadhvi jala se ardra aura snigdha patra ko jaba taka usamem se bumdem tapakati rahem, aura vaha gila rahe, taba taka na to pomchhe aura na hi dhupa mem sukhae. Jaba vaha yaha jana le ki mera patra aba nirgatajala aura sneha – rahita ho gaya hai, taba vaha usa prakara ke patra ko yatanapurvaka pomchha sakata hai aura dhupa mem sukha sakata hai. Sadhu ya sadhvi grihastha ke yaham aharadi lene ke lie pravesha karana chahe to apane patra satha lekara vaham aharadi ke lie pravesha kare ya upashraya se nikale. Isi prakara svapatra lekara vasti se bahara svadhyaya bhumi ya shauchartha sthandilabhumi ko jae, athava gramanugrama vihara kare. Tivra varsha dura – dura taka ho rahi ho yavat tirachhe urane vale trasa prani ekatrita ho kara gira rahe hom, ityadi paristhitiyom mem vastraishana ke nishedhadesha samana samajhana. Vishesha itana hi hai ki vaham sabhi vastrom ko satha mem lekara jane ka nishedha hai, jabaki yaham apane saba patra lekara jane ka nishedha hai. Yahi sadhu – sadhvi ka samagra achara hai, jisake paripalana ke lie pratyeka sadhu – sadhvi ko jnyanadi sabhi arthom mem prayatnashila rahana chahie. – aisa maim kahata hum. Adhyayana – 6 ka muni diparatnasagara krit hindi anuvada purna Adhyayana – 7 – avagrahapratima Uddeshaka – 1