Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1000168 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-५ लोकसार |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-५ लोकसार |
Section : | उद्देशक-३ अपरिग्रह | Translated Section : | उद्देशक-३ अपरिग्रह |
Sutra Number : | 168 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से वसुभं सव्व-समन्नागय-पण्णाणेणं अप्पाणेणं अकरणिज्जं पाव कम्मं। तं नो अन्नेसिं। जं सम्मं ति पासहा, तं मोणं ति पासहा । जं मोणं ति पासहा, तं सम्मं ति पासहा ॥ न इमं सक्कं सिढिलेहिं अद्दिज्जमाणेहिं गुणासाएहिं वंकसमायारेहिं पमत्तेहिं गारमावसंतेहिं। मुनी मोणं समायाए, धुणे कम्म-सरीरगं। पंतं लूहं सेवंति, वीरा समत्तदंसिणो। एस ओहंतरे मुनी, तिण्णे मुत्ते विरए वियाहिए। | ||
Sutra Meaning : | संयमधनी मुनि के लिए सर्व समन्वागत प्रज्ञारूप अन्तःकरण से पापकर्म अकरणीय है, अतः साधक उनका अन्वेषण न करे। जिस सम्यक् को देखते हो, वह मुनित्व को देखते हो, जिस मुनित्व को देखते हो, वह सम्यक् को देखते हो। (सम्यक्त्व) का सम्यक्रूप से आचरण करना उन साधकों द्वारा शक्य नहीं है, जो शिथिल हैं, आसक्ति – मूलक स्नेह से आर्द्र बने हुए हैं, विषयास्वादन में लोलुप हैं, वक्राचारी हैं, प्रमादी हैं, जो गृहवासी हैं। मुनि मुनित्व ग्रहण करके स्थूल और सूक्ष्म शरीर को प्रकम्पित करें। समत्वदर्शी वीर प्रान्त और रूखा आहारादि सेवन करते हैं। इस जन्म – मृत्यु के प्रवाह को तैरने वाला मुनि तीर्ण, मुक्त और विरत कहलाता है। – ऐसा मैं कहता हूँ। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se vasubham savva-samannagaya-pannanenam appanenam akaranijjam pava kammam. Tam no annesim. Jam sammam ti pasaha, tam monam ti pasaha. Jam monam ti pasaha, tam sammam ti pasaha. Na imam sakkam sidhilehim addijjamanehim gunasaehim vamkasamayarehim pamattehim garamavasamtehim. Muni monam samayae, dhune kamma-sariragam. Pamtam luham sevamti, vira samattadamsino. Esa ohamtare muni, tinne mutte virae viyahie. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Samyamadhani muni ke lie sarva samanvagata prajnyarupa antahkarana se papakarma akaraniya hai, atah sadhaka unaka anveshana na kare. Jisa samyak ko dekhate ho, vaha munitva ko dekhate ho, jisa munitva ko dekhate ho, vaha samyak ko dekhate ho. (samyaktva) ka samyakrupa se acharana karana una sadhakom dvara shakya nahim hai, jo shithila haim, asakti – mulaka sneha se ardra bane hue haim, vishayasvadana mem lolupa haim, vakrachari haim, pramadi haim, jo grihavasi haim. Muni munitva grahana karake sthula aura sukshma sharira ko prakampita karem. Samatvadarshi vira pranta aura rukha aharadi sevana karate haim. Isa janma – mrityu ke pravaha ko tairane vala muni tirna, mukta aura virata kahalata hai. – aisa maim kahata hum. |