Sutra Navigation: Acharang ( आचारांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1000165 | ||
Scripture Name( English ): | Acharang | Translated Scripture Name : | आचारांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-५ लोकसार |
Translated Chapter : |
श्रुतस्कंध-१ अध्ययन-५ लोकसार |
Section : | उद्देशक-३ अपरिग्रह | Translated Section : | उद्देशक-३ अपरिग्रह |
Sutra Number : | 165 | Category : | Ang-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] जे पुव्वुट्ठाई, नोपच्छा-निवाई। जे पुव्वुट्ठाई, पच्छा-निवाई। जे नोपुव्वुट्ठाई, नोपच्छा-निवाई। सेवि तारिसए सिया, जे परिण्णाय लोगमणुस्सिओ। | ||
Sutra Meaning : | (इस मुनिधर्म में मोक्ष – मार्ग साधक तीन प्रकार के होते हैं) – एक वह होता है, जो पहले साधना के लिए उठता है और बाद में (जीवन पर्यन्त) उत्थित ही रहता है। दूसरा वह है – जो पहले साधना के लिए उठता है, किन्तु बाद में गिर जाता है। तीसरा वह होता है – जो न तो पहले उठता है और न ही बाद में गिरता है। जो साधक लोक को परिज्ञा से जान और त्याग कर पुनः उसी का आश्रय लेता या ढूँढ़ता है, वह भी वैसा ही (गृहस्थतुल्य) हो जाता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] je puvvutthai, nopachchha-nivai. Je puvvutthai, pachchha-nivai. Je nopuvvutthai, nopachchha-nivai. Sevi tarisae siya, je parinnaya logamanussio. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | (isa munidharma mem moksha – marga sadhaka tina prakara ke hote haim) – eka vaha hota hai, jo pahale sadhana ke lie uthata hai aura bada mem (jivana paryanta) utthita hi rahata hai. Dusara vaha hai – jo pahale sadhana ke lie uthata hai, kintu bada mem gira jata hai. Tisara vaha hota hai – jo na to pahale uthata hai aura na hi bada mem girata hai. Jo sadhaka loka ko parijnya se jana aura tyaga kara punah usi ka ashraya leta ya dhumrhata hai, vaha bhi vaisa hi (grihasthatulya) ho jata hai. |