Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011867 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
15. अनेकान्त-अधिकार - (द्वैताद्वैत) |
Translated Chapter : |
15. अनेकान्त-अधिकार - (द्वैताद्वैत) |
Section : | 1. द्रव्य-स्वरूप | Translated Section : | 1. द्रव्य-स्वरूप |
Sutra Number : | 364 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | सन्मति तर्क। १.३१; तुलना: ध.। १ गा., १९९ ३८६ पर उद्धृत | ||
Mool Sutra : | एकद्रव्ये येऽर्थपर्यायाः, व्यंजनपर्यायाः वापि। अतीतानागतभूताः, तावत्कं तत् भवति द्रव्यम् ।। | ||
Sutra Meaning : | एक द्रव्य में जो अतीत वर्तमान व भावी ऐसी त्रिकालवर्ती गुण पर्याय तथा द्रव्य पर्याय होती हैं, उतना मात्र ही वह द्रव्य होता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Ekadravye yerthaparyayah, vyamjanaparyayah vapi. Atitanagatabhutah, tavatkam tat bhavati dravyam\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Eka dravya mem jo atita vartamana va bhavi aisi trikalavarti guna paryaya tatha dravya paryaya hoti haim, utana matra hi vaha dravya hota hai. |