Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011642 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
7. व्यवहार-चारित्र अधिकार - (साधना अधिकार) [कर्म-योग] |
Translated Chapter : |
7. व्यवहार-चारित्र अधिकार - (साधना अधिकार) [कर्म-योग] |
Section : | 2. मोक्षमार्ग में चारित्र (कर्म) का स्थान | Translated Section : | 2. मोक्षमार्ग में चारित्र (कर्म) का स्थान |
Sutra Number : | 140 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | मूलाचार । गाथा । ८९७ (१०.६); तुलना: देखो आगे की गाथा १४१। | ||
Mool Sutra : | स्तोके शिक्षिते जयति, बहुश्रुतं यश्चारित्रसम्पूर्णः। यः पुनश्चारित्रहीनः, किं तस्य श्रुतेन बहुकेन ।। | ||
Sutra Meaning : | चारित्र से परिपूर्ण साधु थोड़ा पढ़ा हुआ भी क्यों न हो, बहुश्रुत को भी जीत लेता है। परन्तु जो चारित्रहीन है, वह बहुत शास्त्रों का जाननेवाला भी क्यों न हो, उसके शास्त्रज्ञान से क्या लाभ? | ||
Mool Sutra Transliteration : | Stoke shikshite jayati, bahushrutam yashcharitrasampurnah. Yah punashcharitrahinah, kim tasya shrutena bahukena\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Charitra se paripurna sadhu thora parha hua bhi kyom na ho, bahushruta ko bhi jita leta hai. Parantu jo charitrahina hai, vaha bahuta shastrom ka jananevala bhi kyom na ho, usake shastrajnyana se kya labha? |