Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011532 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
3. समन्वय अधिकार - (समन्वय योग) |
Translated Chapter : |
3. समन्वय अधिकार - (समन्वय योग) |
Section : | 2. निश्चय-व्यवहार चारित्र समन्वय | Translated Section : | 2. निश्चय-व्यवहार चारित्र समन्वय |
Sutra Number : | 31 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | नयचक्र बृहद । ३२९; तुलना: अध्यात्मसार । ११.१४ | ||
Mool Sutra : | निश्चयः साध्यस्वरूपः, सरागं तस्यैव साधनं चरणम्। तस्माद् द्वे अपि क्रमशः, पठ्यमाने प्रबुध्यस्व ।। | ||
Sutra Meaning : | समता भाव रूप निश्चय चारित्र साध्य है, और व्रत-समिति-गुप्ति आदि रूप व्यवहार चारित्र उसे प्राप्त करने का साधन है। क्रम से अंगीकार किये गये ये दोनों ही व्यक्ति को प्रबुद्ध करने के लिए प्रयोजनीय हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Nishchayah sadhyasvarupah, saragam tasyaiva sadhanam charanam. Tasmad dve api kramashah, pathyamane prabudhyasva\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Samata bhava rupa nishchaya charitra sadhya hai, aura vrata-samiti-gupti adi rupa vyavahara charitra use prapta karane ka sadhana hai. Krama se amgikara kiye gaye ye donom hi vyakti ko prabuddha karane ke lie prayojaniya haim. |