Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011528 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
3. समन्वय अधिकार - (समन्वय योग) |
Translated Chapter : |
3. समन्वय अधिकार - (समन्वय योग) |
Section : | 1. निश्चय-व्यवहार ज्ञान समन्वय | Translated Section : | 1. निश्चय-व्यवहार ज्ञान समन्वय |
Sutra Number : | 27 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | समयसार । ७; तुलना: उत्तराध्ययन । २८.३ | ||
Mool Sutra : | व्यवहारेणुपदिश्यते, ज्ञानिनश्चरित्रं दर्शनं ज्ञानम्। नापि ज्ञानं न चरित्रं, न दर्शनं ज्ञायकः शुद्धः ।। | ||
Sutra Meaning : | अभेद-रत्नत्रय में स्थित ज्ञानी के चरित्र है, दर्शन है या ज्ञान है, यह बात भेदोपचार (विश्लेषण) सूचक व्यवहार से ही कही जाती है। वास्तव में उस अखण्ड तत्त्व में न ज्ञान है, न दर्शन है और न चारित्र है। वह ज्ञानी तो ज्ञायक मात्र है। प्रश्न : विश्लेषणकारी इस व्यवहार का कथन करने की आवश्यकता ही क्या है? | ||
Mool Sutra Transliteration : | Vyavaharenupadishyate, jnyaninashcharitram darshanam jnyanam. Napi jnyanam na charitram, na darshanam jnyayakah shuddhah\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Abheda-ratnatraya mem sthita jnyani ke charitra hai, darshana hai ya jnyana hai, yaha bata bhedopachara (vishleshana) suchaka vyavahara se hi kahi jati hai. Vastava mem usa akhanda tattva mem na jnyana hai, na darshana hai aura na charitra hai. Vaha jnyani to jnyayaka matra hai. Prashna : vishleshanakari isa vyavahara ka kathana karane ki avashyakata hi kya hai? |