Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011373 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
15. अनेकान्त-अधिकार - (द्वैताद्वैत) |
Translated Chapter : |
15. अनेकान्त-अधिकार - (द्वैताद्वैत) |
Section : | 3. वस्तु की जटिलता | Translated Section : | 3. वस्तु की जटिलता |
Sutra Number : | 370 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | विशेषावश्यक भाष्य । २२०२; तुलना: प. मु.। ४.१-२ | ||
Mool Sutra : | तम्हा वत्थूणं चिय, जो सरिसो पज्जवो स सामन्नं। जो विसरिसो विसेसो, स मओऽणत्थंतरं तत्तो ।। | ||
Sutra Meaning : | प्रत्येक वस्तु में दो अंश होते हैं। सदृश रूप से सदा अनुगत रहनेवाला गुण तो सामान्य अंश है और एक-दूसरे से विसदृश ऐसी बाल-वृद्धादि पर्यायें विशेष अंश हैं। दोनों एक-दूसरे से पृथक् कुछ नहीं हैं। (इसलिए वस्तु सामान्यविशेषात्मक है।) | ||
Mool Sutra Transliteration : | Tamha vatthunam chiya, jo sariso pajjavo sa samannam. Jo visariso viseso, sa maonatthamtaram tatto\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Pratyeka vastu mem do amsha hote haim. Sadrisha rupa se sada anugata rahanevala guna to samanya amsha hai aura eka-dusare se visadrisha aisi bala-vriddhadi paryayem vishesha amsha haim. Donom eka-dusare se prithak kuchha nahim haim. (isalie vastu samanyavisheshatmaka hai.) |