Sutra Navigation: Jain Dharma Sar ( जैन धर्म सार )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2011276 | ||
Scripture Name( English ): | Jain Dharma Sar | Translated Scripture Name : | जैन धर्म सार |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
11. धर्म अधिकार - (मोक्ष संन्यास योग) |
Translated Chapter : |
11. धर्म अधिकार - (मोक्ष संन्यास योग) |
Section : | 11. उत्तम आर्जव (सरलता) | Translated Section : | 11. उत्तम आर्जव (सरलता) |
Sutra Number : | 273 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | का. अ.। ३९६; तुलना: उत्तराध्ययन । २९ सूत्र ४८ | ||
Mool Sutra : | जो चिंतेइ ण वंकं, ण कुणदि वंकं ण जंपदे वंकं। ण य गोवदि णियदोसं, अज्जवधम्मो हवे तस्स ।। | ||
Sutra Meaning : | जो मुनि मन से कुटिल विचार नहीं करता, वचन से कुटिल बात नहीं कहता, न ही गुरु के समक्ष अपने दोष छिपाता है, तथा शरीर से भी कुटिल चेष्टा नहीं करता, उसके उत्तम आर्जव धर्म होता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Jo chimtei na vamkam, na kunadi vamkam na jampade vamkam. Na ya govadi niyadosam, ajjavadhammo have tassa\.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jo muni mana se kutila vichara nahim karata, vachana se kutila bata nahim kahata, na hi guru ke samaksha apane dosha chhipata hai, tatha sharira se bhi kutila cheshta nahim karata, usake uttama arjava dharma hota hai. |