Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004320 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २३. श्रावकधर्मसूत्र | Translated Section : | २३. श्रावकधर्मसूत्र |
Sutra Number : | 320 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | वासुनन्दिश्रावकाचार 215 | ||
Mool Sutra : | व्रतभङ्गकारणं भवति, यस्मिन् देशे तत्र नियमेन। क्रियते गमननिवृत्तिः, तद् जानीहि गुणव्रतं द्वितीयम्।।२०।। | ||
Sutra Meaning : | जिस देश में जाने से (किसी भी) व्रत का भंग होता हो या उसमें दोष लगता हो, उस देश में जाने की नियमपूर्वक निवृत्ति देशावकाशिक नामक दूसरा गुणव्रत है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Vratabhangakaranam bhavati, yasmin deshe tatra niyamena. Kriyate gamananivrittih, tad janihi gunavratam dvitiyam..20.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jisa desha mem jane se (kisi bhi) vrata ka bhamga hota ho ya usamem dosha lagata ho, usa desha mem jane ki niyamapurvaka nivritti deshavakashika namaka dusara gunavrata hai. |