Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004280 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २०. सम्यक्चारित्रसूत्र | Translated Section : | २०. सम्यक्चारित्रसूत्र |
Sutra Number : | 280 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | नयचक्र 329 | ||
Mool Sutra : | निश्चयः साध्यस्वरूपः, सरागं तस्यैव साधनं चरणम्। तस्मात् द्वे अपि च क्रमशः, प्रतीष्यमाणं प्रबुध्यध्वम्।।१९।। | ||
Sutra Meaning : | निश्चयचारित्र तो साध्य-रूप है तथा सराग (व्यवहार)-चारित्र उसका साधन है। साधन तथा साध्यस्वरूप दोनों चारित्र को क्रमपूर्वक धारण करने पर जीव प्रबोध को प्राप्त होता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Nishchayah sadhyasvarupah, saragam tasyaiva sadhanam charanam. Tasmat dve api cha kramashah, pratishyamanam prabudhyadhvam..19.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Nishchayacharitra to sadhya-rupa hai tatha saraga (vyavahara)-charitra usaka sadhana hai. Sadhana tatha sadhyasvarupa donom charitra ko kramapurvaka dharana karane para jiva prabodha ko prapta hota hai. |