Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004277 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २०. सम्यक्चारित्रसूत्र | Translated Section : | २०. सम्यक्चारित्रसूत्र |
Sutra Number : | 277 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | प्रवचनसार 3/74 | ||
Mool Sutra : | शुद्धस्य च श्रामण्यं, भणितं शुद्धस्य दर्शनं ज्ञानम्। शुद्धस्य च निर्वाणं, स एव सिद्धो नमस्तस्मै।।१६।। | ||
Sutra Meaning : | (ऐसे) शुद्धोपयोग को ही श्रामण्य कहा गया है। उसीको दर्शन और ज्ञान कहा गया है। उसीका निर्वाण होता है। वही सिद्धपद प्राप्त करता है। उसे मैं नमन करता हूँ। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Shuddhasya cha shramanyam, bhanitam shuddhasya darshanam jnyanam. Shuddhasya cha nirvanam, sa eva siddho namastasmai..16.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | (aise) shuddhopayoga ko hi shramanya kaha gaya hai. Usiko darshana aura jnyana kaha gaya hai. Usika nirvana hota hai. Vahi siddhapada prapta karata hai. Use maim namana karata hum. |