Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004276 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २०. सम्यक्चारित्रसूत्र | Translated Section : | २०. सम्यक्चारित्रसूत्र |
Sutra Number : | 276 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | प्रवचनसार 1/14 | ||
Mool Sutra : | सुविदितपदार्थसूत्रः, संयमतपःसंयुतो विगतरागः। श्रमणः समसुखदुःखो, भणितः शुद्धोपयोग इति।।१५।। | ||
Sutra Meaning : | जिसने (स्व-द्रव्य व पर-द्रव्य के भेदज्ञान के श्रद्धान तथा आचरण द्वारा) पदार्थों तथा सूत्रों को भलीभाँति जान लिया है, जो संयम और तप से युक्त है, विगतराग है, सुख-दुःख में समभाव रखता है, उसी श्रमण को शुद्धोपयोगी कहा जाता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Suviditapadarthasutrah, samyamatapahsamyuto vigataragah. Shramanah samasukhaduhkho, bhanitah shuddhopayoga iti..15.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jisane (sva-dravya va para-dravya ke bhedajnyana ke shraddhana tatha acharana dvara) padarthom tatha sutrom ko bhalibhamti jana liya hai, jo samyama aura tapa se yukta hai, vigataraga hai, sukha-duhkha mem samabhava rakhata hai, usi shramana ko shuddhopayogi kaha jata hai. |