Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004228 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | १८. सम्यग्दर्शनसूत्र | Translated Section : | १८. सम्यग्दर्शनसूत्र |
Sutra Number : | 228 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | समयसार 193 | ||
Mool Sutra : | उपभोगमिन्द्रियैः, द्रव्याणामचेतनानामितरेषाम्। यत् करोति सम्यग्दृष्टिः, तत् सर्वं निर्जरानिमित्तम्।।१०।। | ||
Sutra Meaning : | सम्यग्दृष्टि मनुष्य अपनी इन्द्रियों के द्वारा चेतन तथा अचेतन द्रव्यों का जो भी उपभोग करता है, वह सब कर्मों की निर्जरा में सहायक होता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Upabhogamindriyaih, dravyanamachetananamitaresham. Yat karoti samyagdrishtih, tat sarvam nirjaranimittam..10.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Samyagdrishti manushya apani indriyom ke dvara chetana tatha achetana dravyom ka jo bhi upabhoga karata hai, vaha saba karmom ki nirjara mem sahayaka hota hai. |