Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004170 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
प्रथम खण्ड – ज्योतिर्मुख |
Translated Chapter : |
प्रथम खण्ड – ज्योतिर्मुख |
Section : | १४. शिक्षासूत्र | Translated Section : | १४. शिक्षासूत्र |
Sutra Number : | 170 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | दशवैकालिक 9/2/22 | ||
Mool Sutra : | विपत्तिरविनीतस्य, संपत्तिर्विनीतस्य च। यस्यैतद् द्विधा ज्ञातं, शिक्षां सः अधिगच्छति।।१।। | ||
Sutra Meaning : | अविनयी के ज्ञान आदि गुण नष्ट हो जाते हैं, यह उसकी विपत्ति है और विनयी को ज्ञान आदि गुणों की सम्प्राप्ति होती है, (यह उसकी सम्पत्ति है। इन दोनों बातों को जाननेवाला ही ग्रहण और आसेवनरूप) सच्ची शिक्षा प्राप्त करता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Vipattiravinitasya, sampattirvinitasya cha. Yasyaitad dvidha jnyatam, shiksham sah adhigachchhati..1.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Avinayi ke jnyana adi guna nashta ho jate haim, yaha usaki vipatti hai aura vinayi ko jnyana adi gunom ki samprapti hoti hai, (yaha usaki sampatti hai. Ina donom batom ko jananevala hi grahana aura asevanarupa) sachchi shiksha prapta karata hai. |