Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2004058 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Sanskrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
प्रथम खण्ड – ज्योतिर्मुख |
Translated Chapter : |
प्रथम खण्ड – ज्योतिर्मुख |
Section : | ६. कर्मसूत्र | Translated Section : | ६. कर्मसूत्र |
Sutra Number : | 58 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | उत्तराध्ययन 5/10 | ||
Mool Sutra : | कायेन वचसा मत्तः, वित्ते गृद्धश्च स्त्रीषु। द्विधा मलं संचिनोति, शिशुनाग इव मृत्तिकाम्।।३।। | ||
Sutra Meaning : | (प्रमत्त मनुष्य) शरीर और वाणी से मत्त होता है तथा धन और स्त्रियों में गृद्ध होता है। वह राग और द्वेष--दोनों से उसी प्रकार कर्म-मल का संचय करता है, जैसे शिशुनाग (अलस या केंचुआ) मुख और शरीर--दोनों से मिट्टी का संचय करता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Kayena vachasa mattah, vitte griddhashcha strishu. Dvidha malam samchinoti, shishunaga iva mrittikam..3.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | (pramatta manushya) sharira aura vani se matta hota hai tatha dhana aura striyom mem griddha hota hai. Vaha raga aura dvesha--donom se usi prakara karma-mala ka samchaya karata hai, jaise shishunaga (alasa ya kemchua) mukha aura sharira--donom se mitti ka samchaya karata hai. |