Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2000723 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्थ खण्ड – स्याद्वाद |
Translated Chapter : |
चतुर्थ खण्ड – स्याद्वाद |
Section : | ४१. समन्वयसूत्र | Translated Section : | ४१. समन्वयसूत्र |
Sutra Number : | 723 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | कार्तिकेयानुप्रेक्षा 263 | ||
Mool Sutra : | लोयाणं ववहारं, धम्मविवक्खाइ जो पसाहेदि। सुयणाणस्स वियप्पो, सो वि णओ लिंगसंभूदो।।२।। | ||
Sutra Meaning : | जो वस्तु के किसी एक धर्म की विवक्षा या अपेक्षा से लोकव्यवहार को साधता है, वह नय है। नय श्रुतज्ञान का भेद है और लिंग से उत्पन्न होता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Loyanam vavaharam, dhammavivakkhai jo pasahedi. Suyananassa viyappo, so vi nao limgasambhudo..2.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jo vastu ke kisi eka dharma ki vivaksha ya apeksha se lokavyavahara ko sadhata hai, vaha naya hai. Naya shrutajnyana ka bheda hai aura limga se utpanna hota hai. |