Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2000720 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्थ खण्ड – स्याद्वाद |
Translated Chapter : |
चतुर्थ खण्ड – स्याद्वाद |
Section : | ४०. स्याद्वाद व सप्तभङ्गीसूत्र | Translated Section : | ४०. स्याद्वाद व सप्तभङ्गीसूत्र |
Sutra Number : | 720 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | नयचक्र 258 | ||
Mool Sutra : | अत्थि त्ति णत्थि उहयं, अव्वत्तव्वं तहेव पुण तिदयं। तह सिय णयणिरवेक्खं, जाणसु दव्वे दुणयभंगी।।७।। | ||
Sutra Meaning : | स्यात् पद तथा नय-निरपेक्ष होने पर यही सातों भंग दुर्नयभंगी कहलाते हैं। जैसे वस्तु अस्ति ही है, नास्ति ही है, उभयरूप ही है, अवक्तव्य ही है, अस्ति-अवक्तव्य ही है, नास्ति-अवक्तव्य ही है या अस्ति-नास्ति अवक्तव्य ही है। (किसी एक ही पहलू या दृष्टिकोण पर जोर देना या आग्रह रखना तथा दूसरे की सर्वथा उपेक्षा करना दुर्नय है।) | ||
Mool Sutra Transliteration : | Atthi tti natthi uhayam, avvattavvam taheva puna tidayam. Taha siya nayaniravekkham, janasu davve dunayabhamgi..7.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Syat pada tatha naya-nirapeksha hone para yahi satom bhamga durnayabhamgi kahalate haim. Jaise vastu asti hi hai, nasti hi hai, ubhayarupa hi hai, avaktavya hi hai, asti-avaktavya hi hai, nasti-avaktavya hi hai ya asti-nasti avaktavya hi hai. (kisi eka hi pahalu ya drishtikona para jora dena ya agraha rakhana tatha dusare ki sarvatha upeksha karana durnaya hai.) |