Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2000684 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्थ खण्ड – स्याद्वाद |
Translated Chapter : |
चतुर्थ खण्ड – स्याद्वाद |
Section : | ३८. प्रमाणसूत्र | Translated Section : | ३८. प्रमाणसूत्र |
Sutra Number : | 684 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | विशेषावश्यकभाष्य 1342 (1339); आवश्यकनिर्युक्ति 122 | ||
Mool Sutra : | संभिन्नं पासंतो, लोगमलोगं च सव्वओ सव्वं। तं नत्थि जं न पासइ, भूयं भव्वं भविस्सं च।।११।। | ||
Sutra Meaning : | केवलज्ञान लोक और अलोक को सर्वतः परिपूर्ण रूप से जानता है। भूत, भविष्य और वर्तमान में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे केवलज्ञान नहीं जानता। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Sambhinnam pasamto, logamalogam cha savvao savvam. Tam natthi jam na pasai, bhuyam bhavvam bhavissam cha..11.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Kevalajnyana loka aura aloka ko sarvatah paripurna rupa se janata hai. Bhuta, bhavishya aura vartamana mem aisa kuchha bhi nahim hai jise kevalajnyana nahim janata. |