Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2000679 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
चतुर्थ खण्ड – स्याद्वाद |
Translated Chapter : |
चतुर्थ खण्ड – स्याद्वाद |
Section : | ३८. प्रमाणसूत्र | Translated Section : | ३८. प्रमाणसूत्र |
Sutra Number : | 679 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | विशेषावश्यकभाष्य 99 | ||
Mool Sutra : | इंदियमणोनिमित्तं, जं विण्णाणं सुयाणुसारेणं। निययतत्थुत्तिसमत्थं, तं भावसुयं मई सेसं।।६।। | ||
Sutra Meaning : | इन्द्रिय और मन के निमित्त से श्रुतानुसारी होनेवाला ज्ञान श्रुतज्ञान कहलाता है। वह अपने विषयभूत अर्थ को दूसरे से कहने में समर्थ होता है। शेष इन्द्रिय और मन के निमित्त से होनेवाला अश्रुतानुसारी अवग्रहादि ज्ञान मतिज्ञान है। (इससे स्वयं तो जाना जा सकता है, किन्तु दूसरे को नहीं समझाया जा सकता।) | ||
Mool Sutra Transliteration : | Imdiyamanonimittam, jam vinnanam suyanusarenam. Niyayatatthuttisamattham, tam bhavasuyam mai sesam..6.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Indriya aura mana ke nimitta se shrutanusari honevala jnyana shrutajnyana kahalata hai. Vaha apane vishayabhuta artha ko dusare se kahane mem samartha hota hai. Shesha indriya aura mana ke nimitta se honevala ashrutanusari avagrahadi jnyana matijnyana hai. (isase svayam to jana ja sakata hai, kintu dusare ko nahim samajhaya ja sakata.) |