Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2000317 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | २३. श्रावकधर्मसूत्र | Translated Section : | २३. श्रावकधर्मसूत्र |
Sutra Number : | 317 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | सावयपण्णत्ति 279 | ||
Mool Sutra : | भाविज्ज य संतोसं, गहियमियाणिं अजाणमाणेणं। थोवं पुणो न एवं, गिहिणस्सामो त्ति चिंतिज्जा।।१७।। | ||
Sutra Meaning : | उसे सन्तोष रखना चाहिए। उसे ऐसा विचार करना चाहिए कि `इस समय मैंने बिना जाने ज्यादा संग्रह किया है, अब पुनः अधिक ग्रहण नहि करुंगा।' | ||
Mool Sutra Transliteration : | Bhavijja ya samtosam, gahiyamiyanim ajanamanenam. Thovam puno na evam, gihinassamo tti chimtijja..17.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Use santosha rakhana chahie. Use aisa vichara karana chahie ki `isa samaya maimne bina jane jyada samgraha kiya hai, aba punah adhika grahana nahi karumga. |