Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2000230 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | १८. सम्यग्दर्शनसूत्र | Translated Section : | १८. सम्यग्दर्शनसूत्र |
Sutra Number : | 230 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | उत्तराध्ययन 32/101 | ||
Mool Sutra : | न कामभोगा समयं उवेंति, न यावि भोगा विगइं उवेंति। जे तप्पओसी य परिग्गही य, सो तेसु मोहा विगइं उवेइ।।१२।। | ||
Sutra Meaning : | (इसी तरह-) कामभोग न समभाव उत्पन्न करते हैं और न विकृति (विषमता)। जो उनके प्रति द्वेष और ममत्व रखता है वह उनमें विकृति को प्राप्त होता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Na kamabhoga samayam uvemti, na yavi bhoga vigaim uvemti. Je tappaosi ya pariggahi ya, so tesu moha vigaim uvei..12.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | (isi taraha-) kamabhoga na samabhava utpanna karate haim aura na vikriti (vishamata). Jo unake prati dvesha aura mamatva rakhata hai vaha unamem vikriti ko prapta hota hai. |