Sutra Navigation: Saman Suttam ( समणसुत्तं )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 2000229 | ||
Scripture Name( English ): | Saman Suttam | Translated Scripture Name : | समणसुत्तं |
Mool Language : | Prakrit | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Translated Chapter : |
द्वितीय खण्ड - मोक्ष-मार्ग |
Section : | १८. सम्यग्दर्शनसूत्र | Translated Section : | १८. सम्यग्दर्शनसूत्र |
Sutra Number : | 229 | Category : | |
Gatha or Sutra : | Sutra Anuyog : | ||
Author : | Original Author : | ||
Century : | Sect : | ||
Source : | समयसार 197 | ||
Mool Sutra : | सेवंतो वि ण सेवइ, असेवमाणो वि सेवगो कोई। पगरणचेट्ठा कस्स वि, ण य पायरणो त्ति सो होई।।११।। | ||
Sutra Meaning : | कोई तो विषयों का सेवन करते हुए भी सेवन नहीं करता और कोई सेवन न करते हुए भी विषयों का सेवन करता है। जैसे अतिथिरूप से आया कोई पुरुष विवाहादि कार्य में लगा रहने पर भी उस कार्य का स्वामी न होने से कर्ता नहीं होता। | ||
Mool Sutra Transliteration : | Sevamto vi na sevai, asevamano vi sevago koi. Pagaranachettha kassa vi, na ya payarano tti so hoi..11.. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Koi to vishayom ka sevana karate hue bhi sevana nahim karata aura koi sevana na karate hue bhi vishayom ka sevana karata hai. Jaise atithirupa se aya koi purusha vivahadi karya mem laga rahane para bhi usa karya ka svami na hone se karta nahim hota. |