Sutra Navigation: Anuyogdwar ( अनुयोगद्वारासूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1024309 | ||
Scripture Name( English ): | Anuyogdwar | Translated Scripture Name : | अनुयोगद्वारासूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अनुयोगद्वारासूत्र |
Translated Chapter : |
अनुयोगद्वारासूत्र |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 309 | Category : | Chulika-02 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] अग्गेयं वा वायव्वं वा अन्नयरं वा अप्पसत्थं उप्पायं पासित्ता तेणं साहिज्जइ, जहा–कुवुट्ठी भविस्सइ। से तं अनागयकालगहणं। से तं अनुमाणे। से किं तं ओवम्मे? ओवम्मे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–साहम्मोवणीए य वेहम्मोवणीए य। से किं तं साहम्मोवणीए? साहम्मोवणीए तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–किंचिसाहम्मे पायसाहम्मे सव्वसाहम्मे। से किं तं किंचिसाहम्मे? किंचिसाहम्मे–जहा मंदरो तहा सरिसवो, जहा सरिसवो तहा मंदरो। जहा समुद्दो तहा गोप्पयं, जहा गोप्पयं तहा समुद्दो। जहा आइच्चो तहा खज्जोतो, जहा खज्जोतो तहा आइच्चो। जहा चंदो तहा कुंदो, जहा कुंदो तहा चंदो। से तं किंचिसाहम्मे। से किं तं पायसाहम्मे? पायसाहम्मे–जहा गो तहा गवओ, जहा गवओ तहा गो। से तं पायसाहम्मे। से किं तं सव्वसाहम्मे? सव्वसाहम्मे ओवम्मं नत्थि, तहा वि तस्स तेणेव ओवम्मं कीरइ, जहा–अरहंतेहिं अरहंतसरिसं कयं, चक्कवट्टिणा चक्कवट्टिसरिसं कयं, बलदेवेण बलदेवसरिसं कयं, वासुदेवेण वासुदेवसरिसं कयं, साहुणा साहुसरिसं कयं। से तं सव्वसाहम्मे। से तं साहम्मोवणीए। से किं तं वेहम्मोवणीए? वेहम्मोवणीए तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–किंचिवेहम्मे पायवेहम्मे सव्ववेहम्मे। से किं तं किंचिवेहम्मे? किंचिवेहम्मे–जहा सामलेरो न तहा बाहुलेरो, जहा बाहुलेरो न तहा सामलेरो। से तं किंचिवेहम्मे। से किं तं पायवेहम्मे? पायवेहम्मे–जहा वायसो न तहा पायसो, जहा पायसो न तहा वायसो। से तं पायवेहम्मे से किं तं सव्ववेहम्मे? सव्ववेहम्मे ओवम्मं नत्थि, तहा वि तस्स तेणेव ओवम्मं कीरइ, जहा–नीचेण नीचसरिसं कयं, काकेण कागसरिसं कयं, साणेण साणसरिसं कयं। से तं सव्ववेहम्मे। से तं वेहम्मोवणीए। से तं ओवम्मे। से किं तं आगमे? आगमे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–लोइए लोगुत्तरिए य। से किं तं लोइए आगमे? लोइए आगमे–जण्णं इमं अन्नाणिएहिं मिच्छदिट्ठीहिं सच्छंदबुद्धि-मइ-विगप्पियं तं जहा–१. भारहं २. रामायणं ३.-४. हंभीमासुरुत्तं ५. कोडिल्लयं ६. घोडमुहं ७. सगभद्दियाओ ८. कप्पासियं ९. नागसुहुमं १०. कणगसत्तरी ११. वेसियं १२. वइसेसियं १३. बुद्धवयणं १४. काविलं १५. लोगायतं १६. सट्ठितंतं १७. माढरं १८. पुराणं १९. वाग-रणं २०. नाडगादि। अहवा–बावत्तरिकलाओ चत्तारि वेया संगोवंगा। से तं लोइए आगमे। से किं तं लोगुत्तरिए आगमे? लोगुत्तरिए आगमे– जण्णं इमं अरहंतेहिं भगवंतेहिं उप्पन्ननाणदंसणधरेहिं तीय-पडुप्पन्न-मणागयजाणएहिं सव्वण्णूहिं सव्वदरिसीहिं तेलोक्कचहिय-महिय-पूइएहिं पणीयं दुवालसंगं गणि-पिडगं, तं जहा–१. आयारो २. सूयगडो ३. ठाणं ४. समवाओ ५. वियाहपन्नत्ती ६. नायाधम्मकहाओ ७. उवासगदसाओ ८. अंतगडदसाओ ९. अनुत्तरोववाइयदसाओ १०. पण्हावागरणाइं ११. विवागसुयं १२. दिट्ठिवाओ। से तं लोगुत्तरिए आगमे। अहवा आगमे तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–सुत्तागमे अत्थागमे तदुभयागमे। अहवा आगमे तिविहे पन्नत्ते, तं जहा–अत्तागमे अनंतरागमे परंपरागमे। तित्थगराणं अत्थस्स अत्तागमे। गणहराणं सुत्तस्स अत्तागमे, अत्थस्स अनंतरागमे। गणहरसीसाणं सुत्तस्स अनंतरागमे, अत्थस्स परंपरागमे। तेण परं सुत्तस्स वि अत्थ-स्स वि नो अत्तागमे, नो अनंतरागमे, परंपरागमे। से तं लोगुत्तरिए आगमे। से तं आगमे। से तं नाणगुणप्पमाणे। से किं तं दंसणगुणप्पमाणे? दंसणगुणप्पमाणे चउव्विहे पन्नत्ते, तं जहा– चक्खुदंसण-गुणप्पमाणे अचक्खुदंसण-गुणप्पमाणे ओहिदंसणगुणप्पमाणे केवलदंसणगुणप्पमाणे। चक्खुदंसणं चक्खुदंसणिस्स घड-पड-कड-रहादिएसु दव्वेसु। अच-क्खुदंसणं अचक्खुदंसणिस्स आयभावे। ओहिदंसणं ओहिदंसणिस्स सव्वरूविदव्वेहिं न पुण सव्वपज्जवेहिं। केवलदंसणं केवलदंसणिस्स सव्वदव्वेहिं सव्वपज्जवेहि य। से तं दंसणगुणप्पमाणे। से किं तं चरित्तगुणप्पमाणे? चरित्तगुणप्पमाणे पंचविहे पन्नत्ते, तं जहा– सामाइयचरित्तगुणप्पमाणे छेदोवट्ठावणिय- चरित्तगुणप्पमाणे परिहारविसुद्धियचरित्तगुणप्पमाणे सुहुमसंपरायचरित्तगुणप्पमाणे अहक्खाय-चरित्तगुणप्पमाणे। सामाइयचरित्तगुणप्पमाणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–इत्तरिए य आवकहिए य। छेदोवट्ठावणियचरित्तगुणप्पमाणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–साइयारे य निरइयारे य। परिहारविसुद्धियचरित्तगुणप्पमाणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–निव्विसमाणए य निव्विट्ठकाइए य। सुहुमसंपरायचरित्तगुणप्पमाणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–संकिलिस्समाणए य विसुज्झमाणए य। अहक्खायचरित्तगुणप्पमाणे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–पडिवाई य अपडिवाई य। अहवा–छउमत्थिए य केवलिए य। से तं चरित्तगुणप्पमाणे। से तं जीवगुणप्पमाणे। से तं गुणप्पमाणे। | ||
Sutra Meaning : | आग्नेय मंडल के नक्षत्र, वायव्य मंडल के नक्षत्र या अन्य कोई उत्पात देखकर अनुमान किया जाना कि कुवृष्टि होगी, ठीक वर्षा नहीं होगी। यह अनागतकालग्रहण अनुमान है। उपमान प्रमाण क्या है ? दो प्रकार का है, जैसे – साधर्म्योपनीत और वैधर्म्योपनीत। जिन पदार्थों की सदृशत उपमा द्वारा सिद्ध की जाए उसे साधर्म्योपनीत कहते हैं। उसके तीन प्रकार हैं – किंचित् साधर्म्योपनीत, प्रायः साधर्म्योपनीत और सर्व – साधर्म्योपनीत। जैसा मंदर पर्वत है वैसा ही सर्षप है और जैसा सर्षप है वैसा ही मन्दर है। जैसा समुद्र है, उसी प्रकार गोष्पद है और जैसा गोष्पद है, वैसा ही समुद्र है तथा जैसा आदित्य है, वैसा खद्योत है। जैसा खद्योत है, वैसा आदित्य है। जैसा चन्द्रमा है, वैसा कुंद पुष्प है, और जैसा कुंद है, वैसा चन्द्रमा है। यह किंचित् साधर्म्योपनीत है। जैसी गाय है वैसा गवय होता है और जैसा गवय है, वैसी गाय है। यह प्रायः साधर्म्योपनीत है। सर्वसाधर्म्य में उपमा नहीं होती, तथापि उसी से उसको उपमित किया जाता है। वह इस प्रकार – अरिहंत ने अरिहंत के सदृश, चक्रवर्ती ने चक्रवर्ती के जैसा, बलदेव ने बलदेव के सदृश, वासुदेव ने वासुदेव के समान, साधु ने साधु सदृश किया। यही सर्वसाधर्म्योपनीत है। वैधर्म्योपनीत का तात्पर्य क्या है ? वैधर्म्योपनीत के तीन प्रकार हैं, यथा – किंचित् वैधर्म्योपनीत, प्रायः वैधर्म्योपनीत और सर्वधर्म्योपनीत। किसी धर्मविशेष की विलक्षणता प्रकट करने को किंचित् वैधर्म्योपनीत कहते हैं। जैसा शबला गाय का बछड़ा होता है वैसा बहुला गाय का बछड़ा नहीं ओर जैसा बहुला गाय का बछड़ा वैसा शबला गाय का नहीं होता है। यह किंचित् वैधर्म्योपनीत का स्वरूप जानना। अधिकांश रूप में अनेक अवयवगत विसदृशता प्रकट करना। प्रायः वैधर्म्योपनीत हैं। यथा – जैसा वायस है वैया पायस नहीं होता और जैसा पायस होता है वैसा वायस नहीं। यही प्रायः वैधर्म्योपनीत है। जिसमें किसी भी प्रकार की सजातीयता न हो उसे सर्ववैधर्म्योपनीत कहते हैं। यद्यपि सर्ववैधर्म्य में उपमा नहीं होती है, तथापि उसीकी उपमा उसीको दी जाती है, जैसे – नीच ने नीच के समान, दास ने दास के सदृश, कौए ने कौए जैसा, श्वान ने श्वान जैसा और चांडाल ने चांडाल के सदृश किया। यही सर्ववैधर्म्योपनीत है। आगमप्रमाण क्या है ? दो प्रकार का है। यथा – लौकिक, लोकोत्तर। जिसे अज्ञानी मिथ्यादृष्टिजनों ने अपनी स्वच्छन्द बुद्धि और मति से रचा हो, उसे लौकिक आगम कहते हैं। यथा – महाभारत, रामायण यावत् सांगोपांग चार वेद। उत्पन्नज्ञान – दर्शन के धारक, अतीत, प्रत्युत्पन्न और अनागत के ज्ञाता त्रिलोकवर्ती जीवों द्वारा सहर्ष वंदित, पूजित सर्वज्ञ, सर्वदर्शी अरिहंत भगवंतों द्वारा प्रणीत आचारांग यावत् दृष्टिवाद पर्यन्त द्वादशांग रूप गणिपिटक लोकोत्तरिक आगम हैं। अथवा तीन प्रकार का है। जैसे – सूत्रागम, अर्थागम और तदुभयागम। अथवा (लोकोत्तरिक) आगम तीन प्रकार का है। आत्मागम, अनन्तरागम और परम्परागम। अर्थागम तीर्थंकरो के लिए आत्मागम है। सूत्र का ज्ञान गणधरों के लिए आत्मागम और अर्थ का ज्ञान अनन्तरागम रूप है। गणधरों के शिष्यों के लिए सूत्रज्ञान अनन्तरागम और अर्थ का ज्ञान परम्परागम है। तत्पश्चात् सूत्र और अर्थ रूप आगम आत्मागम भी नहीं है, अनन्तरागम भी नहीं है, किन्तु परम्परागम है। इस प्रकार से लोकोत्तर आगम का स्वरूप जानना। दर्शनप्रमाणगुण क्या है ? चार प्रकार का है। चक्षुदर्शनगुणप्रमाण, अचक्षुदर्शनगुणप्रमाण, अवधिदर्शन – गुणप्रमाण और केवलदर्शनगुणप्रमाण। चक्षुदर्शनी का चक्षुदर्शन घट, पट, कट, रथ आदि द्रव्यों में होता है। अचक्षुदर्शनी का अचक्षुदर्शन आत्मभाव में होता है। अवधिदर्शनी का अवधिदर्शन सभी रूपी द्रव्यों में होता है, किन्तु सभी पर्यायों में नहीं होता है। केवल – दर्शनी का केवलदर्शन सर्व द्रव्यों और सर्व पर्यायों में होता है। भगवन् ! चारित्रगुणप्रमाण किसे कहते हैं ? पाँच भेद हैं। सामायिकचारित्रगुणप्रमाण, छेदोपस्थापनीय चारित्रगुणप्रमाण, परिहारविशुद्धिचारित्रगुणप्रमाण, सूक्ष्मसंपरायचारित्रगुणप्रमाण, यथाख्यातचारित्रगुणप्रमाण। इनमें से – सामायिकचारित्रगुणप्रमाण दो प्रकार का कहा गया है – इत्वरिक और यावत्कथिक। छेदोपस्थापनीयचारित्रगुणप्रमाण के दो भेद हैं, सातिचार और निरतिचार। परिहारविशुद्धिक – चारित्रगुणप्रमाण दो प्रकार का है – निर्विश्यमानक, निर्विष्टकायिक। सूक्ष्मसंपरायचारित्रगुणप्रमाण दो प्रकार का है – संक्लिश्यमानक और विशुद्धयमानक। यथाख्यातचारित्रगुणप्रमाण के दो भेद हैं। प्रतिपाती और अप्रतिपाती। अथवा छाद्मस्थिक और कैवलिक। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] aggeyam va vayavvam va annayaram va appasattham uppayam pasitta tenam sahijjai, jaha–kuvutthi bhavissai. Se tam anagayakalagahanam. Se tam anumane. Se kim tam ovamme? Ovamme duvihe pannatte, tam jaha–sahammovanie ya vehammovanie ya. Se kim tam sahammovanie? Sahammovanie tivihe pannatte, tam jaha–kimchisahamme payasahamme savvasahamme. Se kim tam kimchisahamme? Kimchisahamme–jaha mamdaro taha sarisavo, jaha sarisavo taha mamdaro. Jaha samuddo taha goppayam, jaha goppayam taha samuddo. Jaha aichcho taha khajjoto, jaha khajjoto taha aichcho. Jaha chamdo taha kumdo, jaha kumdo taha chamdo. Se tam kimchisahamme. Se kim tam payasahamme? Payasahamme–jaha go taha gavao, jaha gavao taha go. Se tam payasahamme. Se kim tam savvasahamme? Savvasahamme ovammam natthi, taha vi tassa teneva ovammam kirai, jaha–arahamtehim arahamtasarisam kayam, chakkavattina chakkavattisarisam kayam, baladevena baladevasarisam kayam, vasudevena vasudevasarisam kayam, sahuna sahusarisam kayam. Se tam savvasahamme. Se tam sahammovanie. Se kim tam vehammovanie? Vehammovanie tivihe pannatte, tam jaha–kimchivehamme payavehamme savvavehamme. Se kim tam kimchivehamme? Kimchivehamme–jaha samalero na taha bahulero, jaha bahulero na taha samalero. Se tam kimchivehamme. Se kim tam payavehamme? Payavehamme–jaha vayaso na taha payaso, jaha payaso na taha vayaso. Se tam payavehamme Se kim tam savvavehamme? Savvavehamme ovammam natthi, taha vi tassa teneva ovammam kirai, jaha–nichena nichasarisam kayam, kakena kagasarisam kayam, sanena sanasarisam kayam. Se tam savvavehamme. Se tam vehammovanie. Se tam ovamme. Se kim tam agame? Agame duvihe pannatte, tam jaha–loie loguttarie ya. Se kim tam loie agame? Loie agame–jannam imam annaniehim michchhaditthihim sachchhamdabuddhi-mai-vigappiyam tam jaha–1. Bharaham 2. Ramayanam 3.-4. Hambhimasuruttam 5. Kodillayam 6. Ghodamuham 7. Sagabhaddiyao 8. Kappasiyam 9. Nagasuhumam 10. Kanagasattari 11. Vesiyam 12. Vaisesiyam 13. Buddhavayanam 14. Kavilam 15. Logayatam 16. Satthitamtam 17. Madharam 18. Puranam 19. Vaga-ranam 20. Nadagadi. Ahava–bavattarikalao chattari veya samgovamga. Se tam loie agame. Se kim tam loguttarie agame? Loguttarie agame– jannam imam arahamtehim bhagavamtehim uppannananadamsanadharehim tiya-paduppanna-managayajanaehim savvannuhim savvadarisihim telokkachahiya-mahiya-puiehim paniyam duvalasamgam gani-pidagam, tam jaha–1. Ayaro 2. Suyagado 3. Thanam 4. Samavao 5. Viyahapannatti 6. Nayadhammakahao 7. Uvasagadasao 8. Amtagadadasao 9. Anuttarovavaiyadasao 10. Panhavagaranaim 11. Vivagasuyam 12. Ditthivao. Se tam loguttarie agame. Ahava agame tivihe pannatte, tam jaha–suttagame atthagame tadubhayagame. Ahava agame tivihe pannatte, tam jaha–attagame anamtaragame paramparagame. Titthagaranam atthassa attagame. Ganaharanam suttassa attagame, atthassa anamtaragame. Ganaharasisanam suttassa anamtaragame, atthassa paramparagame. Tena param suttassa vi attha-ssa vi no attagame, no anamtaragame, paramparagame. Se tam loguttarie agame. Se tam agame. Se tam nanagunappamane. Se kim tam damsanagunappamane? Damsanagunappamane chauvvihe pannatte, tam jaha– chakkhudamsana-gunappamane achakkhudamsana-gunappamane ohidamsanagunappamane kevaladamsanagunappamane. Chakkhudamsanam chakkhudamsanissa ghada-pada-kada-rahadiesu davvesu. Acha-kkhudamsanam achakkhudamsanissa ayabhave. Ohidamsanam ohidamsanissa savvaruvidavvehim na puna savvapajjavehim. Kevaladamsanam kevaladamsanissa savvadavvehim savvapajjavehi ya. Se tam damsanagunappamane. Se kim tam charittagunappamane? Charittagunappamane pamchavihe pannatte, tam jaha– samaiyacharittagunappamane chhedovatthavaniya- charittagunappamane pariharavisuddhiyacharittagunappamane suhumasamparayacharittagunappamane ahakkhaya-charittagunappamane. Samaiyacharittagunappamane duvihe pannatte, tam jaha–ittarie ya avakahie ya. Chhedovatthavaniyacharittagunappamane duvihe pannatte, tam jaha–saiyare ya niraiyare ya. Pariharavisuddhiyacharittagunappamane duvihe pannatte, tam jaha–nivvisamanae ya nivvitthakaie ya. Suhumasamparayacharittagunappamane duvihe pannatte, tam jaha–samkilissamanae ya visujjhamanae ya. Ahakkhayacharittagunappamane duvihe pannatte, tam jaha–padivai ya apadivai ya. Ahava–chhaumatthie ya kevalie ya. Se tam charittagunappamane. Se tam jivagunappamane. Se tam gunappamane. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Agneya mamdala ke nakshatra, vayavya mamdala ke nakshatra ya anya koi utpata dekhakara anumana kiya jana ki kuvrishti hogi, thika varsha nahim hogi. Yaha anagatakalagrahana anumana hai. Upamana pramana kya hai\? Do prakara ka hai, jaise – sadharmyopanita aura vaidharmyopanita. Jina padarthom ki sadrishata upama dvara siddha ki jae use sadharmyopanita kahate haim. Usake tina prakara haim – kimchit sadharmyopanita, prayah sadharmyopanita aura sarva – sadharmyopanita. Jaisa mamdara parvata hai vaisa hi sarshapa hai aura jaisa sarshapa hai vaisa hi mandara hai. Jaisa samudra hai, usi prakara goshpada hai aura jaisa goshpada hai, vaisa hi samudra hai tatha jaisa aditya hai, vaisa khadyota hai. Jaisa khadyota hai, vaisa aditya hai. Jaisa chandrama hai, vaisa kumda pushpa hai, aura jaisa kumda hai, vaisa chandrama hai. Yaha kimchit sadharmyopanita hai. Jaisi gaya hai vaisa gavaya hota hai aura jaisa gavaya hai, vaisi gaya hai. Yaha prayah sadharmyopanita hai. Sarvasadharmya mem upama nahim hoti, tathapi usi se usako upamita kiya jata hai. Vaha isa prakara – arihamta ne arihamta ke sadrisha, chakravarti ne chakravarti ke jaisa, baladeva ne baladeva ke sadrisha, vasudeva ne vasudeva ke samana, sadhu ne sadhu sadrisha kiya. Yahi sarvasadharmyopanita hai. Vaidharmyopanita ka tatparya kya hai\? Vaidharmyopanita ke tina prakara haim, yatha – kimchit vaidharmyopanita, prayah vaidharmyopanita aura sarvadharmyopanita. Kisi dharmavishesha ki vilakshanata prakata karane ko kimchit vaidharmyopanita kahate haim. Jaisa shabala gaya ka bachhara hota hai vaisa bahula gaya ka bachhara nahim ora jaisa bahula gaya ka bachhara vaisa shabala gaya ka nahim hota hai. Yaha kimchit vaidharmyopanita ka svarupa janana. Adhikamsha rupa mem aneka avayavagata visadrishata prakata karana. Prayah vaidharmyopanita haim. Yatha – jaisa vayasa hai vaiya payasa nahim hota aura jaisa payasa hota hai vaisa vayasa nahim. Yahi prayah vaidharmyopanita hai. Jisamem kisi bhi prakara ki sajatiyata na ho use sarvavaidharmyopanita kahate haim. Yadyapi sarvavaidharmya mem upama nahim hoti hai, tathapi usiki upama usiko di jati hai, jaise – nicha ne nicha ke samana, dasa ne dasa ke sadrisha, kaue ne kaue jaisa, shvana ne shvana jaisa aura chamdala ne chamdala ke sadrisha kiya. Yahi sarvavaidharmyopanita hai. Agamapramana kya hai\? Do prakara ka hai. Yatha – laukika, lokottara. Jise ajnyani mithyadrishtijanom ne apani svachchhanda buddhi aura mati se racha ho, use laukika agama kahate haim. Yatha – mahabharata, ramayana yavat samgopamga chara veda. Utpannajnyana – darshana ke dharaka, atita, pratyutpanna aura anagata ke jnyata trilokavarti jivom dvara saharsha vamdita, pujita sarvajnya, sarvadarshi arihamta bhagavamtom dvara pranita acharamga yavat drishtivada paryanta dvadashamga rupa ganipitaka lokottarika agama haim. Athava tina prakara ka hai. Jaise – sutragama, arthagama aura tadubhayagama. Athava (lokottarika) agama tina prakara ka hai. Atmagama, anantaragama aura paramparagama. Arthagama tirthamkaro ke lie atmagama hai. Sutra ka jnyana ganadharom ke lie atmagama aura artha ka jnyana anantaragama rupa hai. Ganadharom ke shishyom ke lie sutrajnyana anantaragama aura artha ka jnyana paramparagama hai. Tatpashchat sutra aura artha rupa agama atmagama bhi nahim hai, anantaragama bhi nahim hai, kintu paramparagama hai. Isa prakara se lokottara agama ka svarupa janana. Darshanapramanaguna kya hai\? Chara prakara ka hai. Chakshudarshanagunapramana, achakshudarshanagunapramana, avadhidarshana – gunapramana aura kevaladarshanagunapramana. Chakshudarshani ka chakshudarshana ghata, pata, kata, ratha adi dravyom mem hota hai. Achakshudarshani ka achakshudarshana atmabhava mem hota hai. Avadhidarshani ka avadhidarshana sabhi rupi dravyom mem hota hai, kintu sabhi paryayom mem nahim hota hai. Kevala – darshani ka kevaladarshana sarva dravyom aura sarva paryayom mem hota hai. Bhagavan ! Charitragunapramana kise kahate haim\? Pamcha bheda haim. Samayikacharitragunapramana, chhedopasthapaniya charitragunapramana, pariharavishuddhicharitragunapramana, sukshmasamparayacharitragunapramana, yathakhyatacharitragunapramana. Inamem se – samayikacharitragunapramana do prakara ka kaha gaya hai – itvarika aura yavatkathika. Chhedopasthapaniyacharitragunapramana ke do bheda haim, satichara aura niratichara. Pariharavishuddhika – charitragunapramana do prakara ka hai – nirvishyamanaka, nirvishtakayika. Sukshmasamparayacharitragunapramana do prakara ka hai – samklishyamanaka aura vishuddhayamanaka. Yathakhyatacharitragunapramana ke do bheda haim. Pratipati aura apratipati. Athava chhadmasthika aura kaivalika. |