Sutra Navigation: Nandisutra ( नन्दीसूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1023593 | ||
Scripture Name( English ): | Nandisutra | Translated Scripture Name : | नन्दीसूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
नन्दीसूत्र |
Translated Chapter : |
नन्दीसूत्र |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 93 | Category : | Chulika-01 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] से किं तं परोक्खं? परोक्खं दुविहं पन्नत्तं, तं जहा–आभिनिबोहियनाणपरोक्खं च सुयनाणपरोक्खं च। जत्थाभिनिबोहियनाणं, तत्थ सुयनाणं। जत्थ सुयनाणं, तत्थाभिनिबोहियनाणं। दोवि एयाइं अन्नमन्नमणुगयाइं, तहवि पुण इत्थ आयरिया नाणत्तं पन्नवयंति–अभिनिबुज्झइ त्ति आभिनिबोहियं। सुणेइ त्ति सुयं। मइपुव्वं सुयं, न मई सुयपुव्विया। | ||
Sutra Meaning : | वह परोक्षज्ञान कितने प्रकार का है ? दो प्रकार का। यथा – आभिनिबोधिक ज्ञान और श्रुतज्ञान। जहाँ आभिनिबोधिक ज्ञान है वहाँ पर श्रुतज्ञान भी होता है। जहाँ श्रुतज्ञान है वहाँ आभिनिबोधिक ज्ञान भी होता है। ये दोनों ही अन्योन्य अनुगत हैं। जो सन्मुख आए पदार्थों को प्रमाणपूर्वक अभिगत करता है वह आभिनिबोधिक ज्ञान है, किन्तु जो सुना जाता है वह श्रुतज्ञान है। श्रुतज्ञान मतिपूर्वक ही होता है किन्तु मतिज्ञान श्रुतपूर्वक नहीं होता। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] se kim tam parokkham? Parokkham duviham pannattam, tam jaha–abhinibohiyananaparokkham cha suyananaparokkham cha. Jatthabhinibohiyananam, tattha suyananam. Jattha suyananam, tatthabhinibohiyananam. Dovi eyaim annamannamanugayaim, tahavi puna ittha ayariya nanattam pannavayamti–abhinibujjhai tti abhinibohiyam. Sunei tti suyam. Maipuvvam suyam, na mai suyapuvviya. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Vaha parokshajnyana kitane prakara ka hai\? Do prakara ka. Yatha – abhinibodhika jnyana aura shrutajnyana. Jaham abhinibodhika jnyana hai vaham para shrutajnyana bhi hota hai. Jaham shrutajnyana hai vaham abhinibodhika jnyana bhi hota hai. Ye donom hi anyonya anugata haim. Jo sanmukha ae padarthom ko pramanapurvaka abhigata karata hai vaha abhinibodhika jnyana hai, kintu jo suna jata hai vaha shrutajnyana hai. Shrutajnyana matipurvaka hi hota hai kintu matijnyana shrutapurvaka nahim hota. |