Sutra Navigation: Uttaradhyayan ( उत्तराध्ययन सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1023033 | ||
Scripture Name( English ): | Uttaradhyayan | Translated Scripture Name : | उत्तराध्ययन सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-३२ प्रमादस्थान |
Translated Chapter : |
अध्ययन-३२ प्रमादस्थान |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 1333 | Category : | Mool-04 |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] मनस्स भावं गहणं वयंति तं रागहेउं तु मणुन्नमाहु । तं दोसहेउं अमणुन्नमाहु समो य जो तेसु स वीयरागो ॥ | ||
Sutra Meaning : | मन का विषय भाव है। जो भाव राग में कारण है, उसे मनोज्ञ कहते हैं और जो भाव द्वेष का कारण होता है, उसे अमनोज्ञ कहते हैं। मन भाव का ग्राहक है। भाव मन का ग्राह्य है। जो राग का कारण है, उसे मनोज्ञ कहते हैं। और जो द्वेष का कारण है, उसे अमनोज्ञ कहते हैं। सूत्र – १३३३, १३३४ | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] manassa bhavam gahanam vayamti tam ragaheum tu manunnamahu. Tam dosaheum amanunnamahu samo ya jo tesu sa viyarago. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Mana ka vishaya bhava hai. Jo bhava raga mem karana hai, use manojnya kahate haim aura jo bhava dvesha ka karana hota hai, use amanojnya kahate haim. Mana bhava ka grahaka hai. Bhava mana ka grahya hai. Jo raga ka karana hai, use manojnya kahate haim. Aura jo dvesha ka karana hai, use amanojnya kahate haim. Sutra – 1333, 1334 |