Sutra Navigation: Uttaradhyayan ( उत्तराध्ययन सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1022692 | ||
Scripture Name( English ): | Uttaradhyayan | Translated Scripture Name : | उत्तराध्ययन सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-२५ यज्ञीय |
Translated Chapter : |
अध्ययन-२५ यज्ञीय |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 992 | Category : | Mool-04 |
Gatha or Sutra : | Gatha | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [गाथा] न वि मुंडिएण समणो न ओंकारेण बंभणो । न मुनी रण्णवासेणं कुसचीरेण न तावसो ॥ | ||
Sutra Meaning : | केवल सिर मुँडाने से कोई श्रमण नहीं होता है, ओम् का जप करने से ब्राह्मण नहीं होता है, अरण्य में रहने से मुनि नहीं होता है, कुश का बना जीवर पहनने मात्र से कोई तपस्वी नहीं होता है। समभाव से श्रमण होता है। ब्रह्मचर्य से ब्राह्मण होता है। ज्ञान से मुनि होता है। तप से तपस्वी होता है। कर्म से ब्राह्मण होता है। कर्म से क्षत्रिय होता है। कर्म से वैश्य होता है। कर्म से ही शूद्र होता है।’’ सूत्र – ९९२–९९४ | ||
Mool Sutra Transliteration : | [gatha] na vi mumdiena samano na omkarena bambhano. Na muni rannavasenam kusachirena na tavaso. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Kevala sira mumdane se koi shramana nahim hota hai, om ka japa karane se brahmana nahim hota hai, aranya mem rahane se muni nahim hota hai, kusha ka bana jivara pahanane matra se koi tapasvi nahim hota hai. Samabhava se shramana hota hai. Brahmacharya se brahmana hota hai. Jnyana se muni hota hai. Tapa se tapasvi hota hai. Karma se brahmana hota hai. Karma se kshatriya hota hai. Karma se vaishya hota hai. Karma se hi shudra hota hai.’’ Sutra – 992–994 |