[सूत्र] जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुण-वडियाए पोसंतं वा पिट्ठंतं वा भल्लायएण उप्पाएति, उप्पाएंतं वा सातिज्जति।
Sutra Meaning :
जो साधु मैथुन सेवन की ईच्छा से स्त्री को (साध्वी – पुरुष को) जननेन्द्रिय, गुह्य हिस्सा या छिद्र को औषधि विशेष से लेप करे, अचित्त ऐसे ठंड़े या गर्म पानी से एक बार या बार – बार प्रक्षालन करे, प्रक्षालन बाद एक या कईं बार किसी आलेपन विशेष से विलेपन करे, विलेपन के बाद तेल, घी, चरबी या मक्खन से अभ्यंगन या म्रक्षण करे, उसके बाद किसी गन्धकार द्रव्य से उसको धूप करे मतलब गन्धदार बनाए यह काम खुद करे, करवाए या करनेवाले की अनुमोदना करे तो प्रायश्चित्त।
सूत्र – ४०६–४१०
Mool Sutra Transliteration :
[sutra] je bhikkhu mauggamassa mehuna-vadiyae posamtam va pitthamtam va bhallayaena uppaeti, uppaemtam va satijjati.
Sutra Meaning Transliteration :
Jo sadhu maithuna sevana ki ichchha se stri ko (sadhvi – purusha ko) jananendriya, guhya hissa ya chhidra ko aushadhi vishesha se lepa kare, achitta aise thamre ya garma pani se eka bara ya bara – bara prakshalana kare, prakshalana bada eka ya kaim bara kisi alepana vishesha se vilepana kare, vilepana ke bada tela, ghi, charabi ya makkhana se abhyamgana ya mrakshana kare, usake bada kisi gandhakara dravya se usako dhupa kare matalaba gandhadara banae yaha kama khuda kare, karavae ya karanevale ki anumodana kare to prayashchitta.
Sutra – 406–410