Sutra Navigation: Nirayavalika ( निरयावलिकादि सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1008014 | ||
Scripture Name( English ): | Nirayavalika | Translated Scripture Name : | निरयावलिकादि सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-१ काल |
Translated Chapter : |
अध्ययन-१ काल |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 14 | Category : | Upang-08 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तए णं तस्स कूणियस्स कुमारस्स अन्नया कयाइ पुव्वरत्ता वरत्तकालसमयंसि अयमेयारूवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मनोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था– एवं खलु अहं सेणियस्स रन्नो वाघाएणं नो संचाएमि सयमेव रज्जसिरिं करेमाणे पालेमाणे विहरित्तए, तं सेयं खलु मम सेणियं रायं नियलबंधणं करेत्ता अप्पाणं महया-महया रायाभिसेएणं अभिसिंचावित्तएत्तिकट्टु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता सेणियस्स रन्नो अंतराणि य छिद्दाणि य विरहाणि य पडिजागरमाणे-पडिजागरमाणे विहरइ। तए णं से कूणिए कुमारे सेणियस्स रन्नो अंतरं वा छिद्दं वा विरहं वा मम्मं वा अलभमाणे अन्नया कयाइ कालाईए दस कुमारे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी–एवं खलु देवानुप्पिया! अम्हे सेणियस्स रन्नो वाघाएणं नो संचाएमो सयमेव रज्जसिरिं करेमाणा पालेमाणा विहरित्तए, तं सेयं खलु देवानुप्पिया! अम्हं सेणियं रायं नियलबंधणं करेत्ता रज्जं च रट्ठं च बलं च वाहणं च कोसं च कोट्ठागारं च जनपदं च एक्कारसभाए विरंचित्ता सयमेव रज्जसिरिं करेमाणाणं पालेमाणाणं विहरित्तए। तए णं ते कालाईया दस कुमारा कूणियस्स कुमारस्स एयमट्ठं विनएणं पडिसुणेंति। तए णं से कूणिए कुमारे अन्नया कयाइ सेणियस्स रन्नो अंतरं जाणइ, जाणित्ता सेणियं रायं नियलबंधणं करेइ, करेत्ता अप्पाणं महया-महया रायाभिसेएणं अभिसिंचावेइ। तए णं से कूणिए कुमारे राया जाए–महयाहिमवंत-महंत-मलय-मंदर-महिंदसारे। तए णं से कूणिए राया अन्नया कयाइ ण्हाए कयबलिकम्मे कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए चेल्लणाए देवीए पायवंदए हव्वमागच्छइ। | ||
Sutra Meaning : | तत्पश्चात् उस कुमार कूणिक को किसी समय मध्यरात्रिमें यावत् ऐसा विचार आया कि श्रेणिक राजा के विघ्न के कारण मैं स्वयं राज्यशासन और राज्यवैभव का उपभोग नहीं कर पाता हूँ, अतएव श्रेणिक राजा को बेड़ी में डाल देना और महान् राज्याभिषेक से अपना अभिषेक कर लेना मेरे लिए श्रेयस्कर होगा। उसने इस प्रकार का संकल्प किया और श्रेणिक राजा के अन्तर, छिद्र और विरह की ताक के रहता हुआ समय – यापन करने लगा। तत्पश्चात् श्रेणिक राजा के अवसरों यावत् मर्मों को जान न सकने के कारण कूणिक कुमार ने एक दिन काल आदि दस राजकुमारों को अपने घर आमंत्रित किया और उनको अपने विचार बताए – श्रेणिक राजा के कारण हम स्वयं राजश्री का उपभोग और राज्य का पालन नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए हे देवानुप्रियों ! हमारे लिए श्रेयस्कर यह होगा कि श्रेणिक राजा को बेड़ी में डालकर और राज्य, राष्ट्र, बल, वाहन, कोष, धान्यभंडार और जनपद को ग्यारह भागों में बाँट करके हम लोग स्वयं राजश्री का उपभोग करें और राज्य का पालन करें। कूणिक का कथन सूनकर उन काल आदि दस राजपुत्रों ने उस के इस विचार को विनयपूर्वक स्वीकार किया। कूणिक कुमार ने किसी समय श्रेणिक राजा के अंदरूनी रहस्यों को जाना और श्रेणिक राजा को बेड़ी से बाँध दिया। महान राज्याभिषेक से अपना अभिषेक कराया, जिससे वह कूणिक कुमार स्वयं राजा बन गया। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tae nam tassa kuniyassa kumarassa annaya kayai puvvaratta varattakalasamayamsi ayameyaruve ajjhatthie chimtie patthie manogae samkappe samuppajjittha– Evam khalu aham seniyassa ranno vaghaenam no samchaemi sayameva rajjasirim karemane palemane viharittae, tam seyam khalu mama seniyam rayam niyalabamdhanam karetta appanam mahaya-mahaya rayabhiseenam abhisimchavittaettikattu evam sampehei, sampehetta seniyassa ranno amtarani ya chhiddani ya virahani ya padijagaramane-padijagaramane viharai. Tae nam se kunie kumare seniyassa ranno amtaram va chhiddam va viraham va mammam va alabhamane annaya kayai kalaie dasa kumare saddavei, saddavetta evam vayasi–evam khalu devanuppiya! Amhe seniyassa ranno vaghaenam no samchaemo sayameva rajjasirim karemana palemana viharittae, tam seyam khalu devanuppiya! Amham seniyam rayam niyalabamdhanam karetta rajjam cha rattham cha balam cha vahanam cha kosam cha kotthagaram cha janapadam cha ekkarasabhae viramchitta sayameva rajjasirim karemananam palemananam viharittae. Tae nam te kalaiya dasa kumara kuniyassa kumarassa eyamattham vinaenam padisunemti. Tae nam se kunie kumare annaya kayai seniyassa ranno amtaram janai, janitta seniyam rayam niyalabamdhanam karei, karetta appanam mahaya-mahaya rayabhiseenam abhisimchavei. Tae nam se kunie kumare raya jae–mahayahimavamta-mahamta-malaya-mamdara-mahimdasare. Tae nam se kunie raya annaya kayai nhae kayabalikamme kayakouya-mamgala-payachchhitte savvalamkaravibhusie chellanae devie payavamdae havvamagachchhai. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Tatpashchat usa kumara kunika ko kisi samaya madhyaratrimem yavat aisa vichara aya ki shrenika raja ke vighna ke karana maim svayam rajyashasana aura rajyavaibhava ka upabhoga nahim kara pata hum, ataeva shrenika raja ko beri mem dala dena aura mahan rajyabhisheka se apana abhisheka kara lena mere lie shreyaskara hoga. Usane isa prakara ka samkalpa kiya aura shrenika raja ke antara, chhidra aura viraha ki taka ke rahata hua samaya – yapana karane laga. Tatpashchat shrenika raja ke avasarom yavat marmom ko jana na sakane ke karana kunika kumara ne eka dina kala adi dasa rajakumarom ko apane ghara amamtrita kiya aura unako apane vichara batae – shrenika raja ke karana hama svayam rajashri ka upabhoga aura rajya ka palana nahim kara pa rahe haim. Isalie he devanupriyom ! Hamare lie shreyaskara yaha hoga ki shrenika raja ko beri mem dalakara aura rajya, rashtra, bala, vahana, kosha, dhanyabhamdara aura janapada ko gyaraha bhagom mem bamta karake hama loga svayam rajashri ka upabhoga karem aura rajya ka palana karem. Kunika ka kathana sunakara una kala adi dasa rajaputrom ne usa ke isa vichara ko vinayapurvaka svikara kiya. Kunika kumara ne kisi samaya shrenika raja ke amdaruni rahasyom ko jana aura shrenika raja ko beri se bamdha diya. Mahana rajyabhisheka se apana abhisheka karaya, jisase vaha kunika kumara svayam raja bana gaya. |