Sutra Navigation: Chandrapragnapati ( चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1007339 | ||
Scripture Name( English ): | Chandrapragnapati | Translated Scripture Name : | चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
प्राभृत-१ |
Translated Chapter : |
प्राभृत-१ |
Section : | प्राभृत-प्राभृत-१ | Translated Section : | प्राभृत-प्राभृत-१ |
Sutra Number : | 39 | Category : | Upang-06 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] ता कहं ते सेयताए संठिती आहिताति वएज्जा? तत्थ खलु इमा दुविधा संठिती पन्नत्ता, तं जहा–चंदिमसूरियसंठिती य तावक्खेत्तसंठिती य। ता कहं ते चंदिमसूरियसंठिती आहिताति वएज्जा? तत्थ खलु इमाओ सोलस पडिवत्तीओ पन्नत्ताओ। तत्थेगे एवमाहंसु–ता समचउरंससंठिता चंदिमसूरियसंठिती पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु १ एगे पुण एवमाहंसु–ता विसमचउरंससंठिता चंदिमसू-रियसंठिती पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु २ एवं समचउक्कोणसंठिता ३ विसमचउक्कोणसंठिता ४ समचक्कवालसंठिता ५ विसम-चक्कवालसंठिता ६ चक्कद्धचक्कवालसंठिता चंदिमसूरियसंठिती पन्नत्ता– एगे एवमाहंसु ७ एगे पुण एवमाहंसु–ता छत्तागारसंठिता चंदिमसूरियसंठिती पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु ८ एवं गेहसंठिता ९ गेहावणसंठिता १० पासादसंठिता ११ गोपुरसंठिता १२ पेच्छाघरसंठिता १३ वलभीसंठिता १४ हम्मियतलसंठिता १५ एगे पुण एवमाहंसु–ता बालग्गपोतियासंठिता चंदिमसूरियसंठिती पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु १६ तत्थ जेते एवमाहंसु–ता समचउरंससंठिता चंदिमसूरियसंठिती पन्नत्ता, एतेणं नएणं नेयव्वं नो चेव णं इतरेहिं। ता कहं ते तावक्खेत्तसंठिती आहिताति वएज्जा? तत्थ खलु इमाओ सोलस पडिवत्तीओ पन्नत्ताओ। तत्थेगे एवमाहंसु–ता गेहसंठिता तावक्खेत्तसंठिती पन्नत्ता एवं जाव वालग्गपोतियासंठिता तावक्खेत्तसंठिती पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु ८ एगे पुण एवमाहंसु–ता जस्संठिते जंबुद्दीवे दीवे तस्संठिता तावक्खेत्तसंठिती पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु ९ एगे पुण एवमाहंसु–ता जस्सं-ठिते भारहे वासे तस्संठिता तावक्खेत्तसंठिती पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु १० एवं उज्जाणसंठिता ११ निज्जाणसंठिता १२ एगतो निसहसंठिता १३ दुहतो निसहसंठिता १४ सेयनगसंठिता– एगे एवमाहंसु १५ एगे पुण एवमाहंसु–ता सेणगपट्ठसंठिता तावक्खेत्तसं-ठिती पन्नत्ता–एगे एवमाहंसु १६ वयं पुण एवं वदामो–ता उड्ढीमुहकलंबुयापुप्फसंठिता तावक्खेत्तसंठिती पन्नत्ता–अंतो संकुया बाहिं वित्थडा, अंतो वट्टा बाहिं पिहुला, अंतो अंकमुहसंठिता बाहिं सत्थीमुहसंठिता, उभओ पासेणं तीसे दुवे बाहाओ अवट्ठियाओ भवंति पणयालीसं-पणयालीसं जोयणसहस्साइं आयामेणं, दुवे य णं तीसे बाहाओ अणवट्ठियाओ भवंति, तं जहा–सव्वब्भंतरिया चेव बाहा सव्वबाहिरिया चेव बाहा। तत्थ को हेतूति वएज्जा? ता अयन्नं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वब्भंतराए जाव परिक्खेवेणं, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उड्ढीमुहकलंबुयापुप्फसंठिता तावक्खेत्तसंठिती आहिताति वएज्जा, अंतो संकुया बाहिं वित्थडा, अंतो वट्टा बाहिं पिहुला, अंतो अंकमुहसंठिया बाहिं सत्थीमुहसंठिता, उभओ पासेणं तीसे दुवे बाहाओ अवट्ठियाओ भवंति पणयालीसं-पणयालीसं जोयणसहस्साइं आयामेणं, दुवे य णं तीसे बाहाओ अणवट्ठियाओ भवंति, तं जहा–सव्वब्भंतरिया चेव बाहा सव्वबाहिरिया चेव बाहा। तीसे णं सव्वब्भंतरिया बाहा मंदरपव्वयंतेणं नव जोयणसहस्साइं चत्तारि य छलसीए जोयणसए नव य दसभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं आहिताति वएज्जा। ता से णं परिक्खेवविसेसे कतो आहितेति वएज्जा? ता जे णं मंदरस्स पव्वयस्स परिक्खेवे, तं परिक्खेवं तिहिं गुणेत्ता दसहिं छेत्ता दसहिं भागे हीरमाणे, एस णं परिक्खेवविसेसे आहितेति वएज्जा। तीसे णं सव्वबाहिरिया बाहा लवणसमुद्दंतेणं चउनउतिं जोयणसहस्साइं अट्ठ य अट्ठसट्ठे जोयणसए चत्तारि य दसभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं आहिताति वएज्जा ता से णं परिक्खेवविसेसे कतो आहितेति वएज्जा? ता जे णं जंबुद्दीवस्स दीवस्स परिक्खेवे, तं परिक्खेवं तिहिं गुणेत्ता दसहिं छेत्ता दसहिं भागे हीरमाणे, एस णं परिक्खेवविसेसे आहितेति वएज्जा। ता से णं तावक्खेत्ते केवतियं आयामेणं आहितेति वएज्जा? ता अट्ठत्तरिं जोयणसहस्साइं तिन्नि य तेत्तीसे जोयण-सए जोयणतिभागे य आयामेणं आहितेति वएज्जा। तया णं किंसंठिया अंधयारसंठिती आहिताति वएज्जा? ता उड्ढीमुहकलंबुयापुप्फसंठिता अंधयारसंठिती पन्नत्ता–अंतो संकुया बाहिं वित्थडा, अंतो वट्टा बाहिं पिहुला, अंतो अंकमुहसंठिता बाहिं सत्थीमुहसंठिता, उभओ पासेणं तीसे दुवे बाहाओ अवट्ठियाओ भवंति पणयालीसं-पणयालीसं जोयणसहस्साइं आयामेणं, दुवे य णं तीसे बाहाओ अणवट्ठियाओ भवंति, तं जहा–सव्वब्भंतरिया चेव बाहा सव्वबाहिरिया चेव बाहा। तत्थ को हेतूति वएज्जा? ता अयन्नं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वब्भंतराए जाव परिक्खेवेणं, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं उड्ढीमुहकलंबुया- पुप्फसंठिता अंधयारसंठिती आहिताति वएज्जा अंतो संकुया बाहिं वित्थडा, अंतो वट्टा बाहिं पिहुला, अंतो अंकमुहसंठिता बाहिं सत्थीमुहसंठिता, उभओ पासेणं तीसे दुवे बाहाओ अवट्ठियाओ भवंति पणयालीसं-पणयालीसं जोयणसहस्साइं आयामेणं, दुवे य णं तीसे बाहाओ अनवट्ठियाओ भवंति, तं जहा–सव्वब्भंतरिया चेव बाहा सव्व बाहिरिया चेव बाहा। तीसे णं सव्वब्भंतरिया बाहा मंदरपव्वयंतेणं छज्जोयणसहस्साइं तिन्नि य चउवीसे जोयणसए छच्च दसभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं आहिताति वएज्जा। तीसे णं परिक्खेवविसेसे कतो आहितेति वएज्जा? ता जे णं मंदरस्स पव्वयस्स परिक्खेवे, तं परिक्खेवं दोहिं गुणेत्ता, दसहिं छेत्ता दसहिं भागे हीरमाणे, एस णं परिक्खेवविसेसे आहितेति वएज्जा। तीसे णं सव्वबाहिरिया बाहा लवणसमुद्दंतेणं तेवट्ठिं जोयणसहस्साइं दोन्नि य पणयाले जोयणसए छच्च दस-भागे जोयणस्स परिक्खेवेणं आहितेति वएज्जा। ता से णं परिक्खेवविसेसे कतो आहितेति वएज्जा? ता जे णं जंबुद्दीवस्स दीवस्स परिक्खेवे, तं परिक्खेवं दोहिं गुणेत्ता दसहिं छेत्ता दसहिं भागे हीरमाणे, एस णं परिक्खेवविसेसे आहितेति वएज्जा। ता से णं अंधयारे केवतियं आयामेणं आहितेति वएज्जा? ता अट्ठुत्तरिं जोयणसहस्साइं तिन्नि य तेत्तीसे जोयणसए जोयणतिभागं च आयामेणं आहितेति वएज्जा, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राती भवति। ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं किंसंठिता तावक्खेत्त संठिती आहिताति वएज्जा? ता उड्ढीमुहकलंबुयापुप्फसंठिता तावक्खेत्तसंठिती आहिताति वएज्जा। एवं जं अब्भिंतरमंडले अंधयारसंठितीए पमाणं तं बाहिरमंडले तावक्खेत्तसंठितीए, जं तहिं तावक्खेत्तसंठितीए तं बाहिरमंडले अंधयारसंठितीए भाणियव्वं जाव तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति, जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ। ता जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया केवतियं खेत्तं उड्ढं तवयंति? केवतियं खेत्तं अहे तवयंति? केवतियं खेत्तं तिरियं तवयंति? ता जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया एगं जोयणसयं उड्ढं तवयंति अट्ठारस जोयणसयाइं अहे तवयंति, सीयालीसं जोयणसहस्साइं दुन्नि य तेवट्ठे जोयणसए एगवीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स तिरियं तवयंति। | ||
Sutra Meaning : | श्वेत की संस्थिति किस प्रकार की है ? श्वेत संस्थिति दो प्रकार की है – चंद्र – सूर्य की संस्थिति और तापक्षेत्र की संस्थिति। चन्द्र – सूर्य की संस्थिति के विषय में यह सोलह प्रतिपत्तियाँ (परमतवादी मत) हैं। – कोई कहता है कि, (१) चन्द्र – सूर्य की संस्थिति समचतुरस्र हैं। (२) विषम चतुरस्र है। (३) समचतुष्कोण है। (४) विषम चतुष्कोण है। (५) समचक्रवाल है। (६) विषम चक्रवाल है। (७) अर्द्धचक्रवाल है। (८) छत्राकार है। (९) गेहा – कार है। (१०) गृहापण संस्थित है। (११) प्रासाद आकार है। (१२) गोपुराकार है। (१३) प्रेक्षागृहाकार है। (१४) वल्लभी संस्थित है। (१५) हर्म्यतल संस्थित है। (१६) सोलहवां मतवादी चन्द्र – सूर्य की संस्थिति वालाग्र – पोतिका आकार की बताते हैं। इसमें जो संस्थिति को समचतुरस्राकार की बताते हैं वह कथन नय द्वारा ज्ञातव्य है, अन्य से नहीं। तापक्षेत्र की संस्थिति के सम्बन्ध में भी सोलह प्रतिपत्तियाँ हैं। अन्य मतवादी अपना अपना कथन इस प्रकार से बताते हैं – (१ से ८) तापक्षेत्र संस्थिति गेहाकार यावत् वालाग्रपोतिका आकार की है। (९) जंबूद्वीप की संस्थिति के समान है। (१०) भारत वर्ष की संस्थिति के समान है। (११) उद्यान आकार है। (१२) निर्याण आकार है। (१३) एकतः निषध संस्थान संस्थित है। (१४) उभयतः निषध संस्थान संस्थित है। (१५) श्चेनक पक्षी के आकार की है। (१६) श्चेनक पक्षी के पीठ के आकार की है। भगवंत फरमाते हैं कि यह तापक्षेत्र संस्थिति उर्ध्वमुख कलंब के पुष्प के समान आकारवाली है। अंदर से संकुचित – गोल एवं अंक के मुख के समान है और बाहर से विस्तृत – पृथुल एवं स्वस्ति के मुख के समान है। उसके दोनों तरफ दो बाहाएं अवस्थित हैं। वह बाहाएं आयाम से ४५ – ४५ हजार योजन है। वह बाहाएं सर्वाभ्यन्तर और सर्वबाह्य हैं। इन दोनों बाहा का माप बताते हैं – जो सर्वाभ्यन्तर बाहा है वह मेरु पर्वत के समीप में ९४८६ योजन एवं एक योजन के नव या दस भाग योजन परिक्षेप से कही है। मंदरपर्वत के परिक्षेप को तीन गुना कर के दश से भाग करना, वह भाग परिक्षेप विशेष का प्रमाण है। जो सर्वबाह्य बाहा है वह लवण समुद्र के अन्तमें ९४८६८ योजन एवं एक योजन के ४/१० भाग से परिक्षिप्त हैं। जंबूद्वीप के परिक्षेप को तीन गुना कर के दश से छेद कर के दश भाग घटाने से यह परिक्षेप विशेष कहा जाता है। हे भगवन् ! यह तापक्षेत्र आयाम से कितना है ? यह तापक्षेत्र आयाम से ७८३२३ योजन एवं एक योजन के एकतृतीयांश आयाम से कहा है। तब अंधकार संस्थिति कैसे कही है ? यह संस्थिति तापक्षेत्र के समान ही जानना। उसकी सर्वाभ्यन्तर बाहा मंदर पर्वत के निकट ६३२४ योजन एवं एक योजन के छ दशांश भाग प्रमाण परिक्षेप से जानना, यावत् सर्वबाह्य बाहा लवण समुद्र के अन्त में ६३२४५ योजन एवं एक योजन के छ दशांश भाग परिक्षेप से है। जो जंबूद्वीप का परिक्षेप है, उसको दूगुना करके दश से छेद करना फिर दश भाग कम करके यह परिक्षेप होता है। आयाम से ७८३२३ योजन एवं एक योजन का एक तृतीयांश भाग होता है तब परमप्रकर्ष प्राप्त उत्कृष्ट अट्ठारह मुहूर्त्त प्रमाण दिन और जघन्या बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। जो अभ्यन्तर मंडल की अन्धकार संस्थिति का प्रमाण है, वही बाह्य मंडल की तापक्षेत्र संस्थिति का प्रमाण है और जो अभ्यन्तर मंडल की तापक्षेत्र संस्थिति का प्रमाण है वही बाह्यमंडल की अन्धकार संस्थिति का प्रमाण है यावत् परमप्रकर्ष प्राप्त उत्कृष्टा अट्ठारह मुहूर्त्त की रात्रि और जघन्य बारह मुहूर्त्त का दिन होता है। उस समय जंबूद्वीप में सूर्य १०० योजन उर्ध्व प्रकाशित करता है, १८०० योजन नीचे की तरफ तथा ४७२६३ योजन एवं एक योजन के इक्किस षष्ठ्यंश तीर्छे भाग को प्रकाशित करता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] ta kaham te seyatae samthiti ahitati vaejja? Tattha khalu ima duvidha samthiti pannatta, tam jaha–chamdimasuriyasamthiti ya tavakkhettasamthiti ya. Ta kaham te chamdimasuriyasamthiti ahitati vaejja? Tattha khalu imao solasa padivattio pannattao. Tatthege evamahamsu–ta samachauramsasamthita chamdimasuriyasamthiti pannatta–ege evamahamsu 1 Ege puna evamahamsu–ta visamachauramsasamthita chamdimasu-riyasamthiti pannatta–ege evamahamsu 2 Evam samachaukkonasamthita 3 visamachaukkonasamthita 4 samachakkavalasamthita 5 visama-chakkavalasamthita 6 Chakkaddhachakkavalasamthita chamdimasuriyasamthiti pannatta– ege evamahamsu 7 Ege puna evamahamsu–ta chhattagarasamthita chamdimasuriyasamthiti pannatta–ege evamahamsu 8 Evam gehasamthita 9 gehavanasamthita 10 pasadasamthita 11 gopurasamthita 12 pechchhagharasamthita 13 valabhisamthita 14 hammiyatalasamthita 15 Ege puna evamahamsu–ta balaggapotiyasamthita chamdimasuriyasamthiti pannatta–ege evamahamsu 16 Tattha jete evamahamsu–ta samachauramsasamthita chamdimasuriyasamthiti pannatta, etenam naenam neyavvam no cheva nam itarehim. Ta kaham te tavakkhettasamthiti ahitati vaejja? Tattha khalu imao solasa padivattio pannattao. Tatthege evamahamsu–ta gehasamthita tavakkhettasamthiti pannatta evam java valaggapotiyasamthita tavakkhettasamthiti pannatta–ege evamahamsu 8 Ege puna evamahamsu–ta jassamthite jambuddive dive tassamthita tavakkhettasamthiti pannatta–ege evamahamsu 9 Ege puna evamahamsu–ta jassam-thite bharahe vase tassamthita tavakkhettasamthiti pannatta–ege evamahamsu 10 Evam ujjanasamthita 11 nijjanasamthita 12 egato nisahasamthita 13 duhato nisahasamthita 14 seyanagasamthita– ege evamahamsu 15 Ege puna evamahamsu–ta senagapatthasamthita tavakkhettasam-thiti pannatta–ege evamahamsu 16 Vayam puna evam vadamo–ta uddhimuhakalambuyapupphasamthita tavakkhettasamthiti pannatta–amto samkuya bahim vitthada, amto vatta bahim pihula, amto amkamuhasamthita bahim satthimuhasamthita, ubhao pasenam tise duve bahao avatthiyao bhavamti panayalisam-panayalisam joyanasahassaim ayamenam, duve ya nam tise bahao anavatthiyao bhavamti, tam jaha–savvabbhamtariya cheva baha savvabahiriya cheva baha. Tattha ko hetuti vaejja? Ta ayannam jambuddive dive savvadivasamuddanam savvabbhamtarae java parikkhevenam, ta jaya nam surie savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam uddhimuhakalambuyapupphasamthita tavakkhettasamthiti ahitati vaejja, amto samkuya bahim vitthada, amto vatta bahim pihula, amto amkamuhasamthiya bahim satthimuhasamthita, ubhao pasenam tise duve bahao avatthiyao bhavamti panayalisam-panayalisam joyanasahassaim ayamenam, duve ya nam tise bahao anavatthiyao bhavamti, tam jaha–savvabbhamtariya cheva baha savvabahiriya cheva baha. Tise nam savvabbhamtariya baha mamdarapavvayamtenam nava joyanasahassaim chattari ya chhalasie joyanasae nava ya dasabhage joyanassa parikkhevenam ahitati vaejja. Ta se nam parikkhevavisese kato ahiteti vaejja? Ta je nam mamdarassa pavvayassa parikkheve, tam parikkhevam tihim gunetta dasahim chhetta dasahim bhage hiramane, esa nam parikkhevavisese ahiteti vaejja. Tise nam savvabahiriya baha lavanasamuddamtenam chaunautim joyanasahassaim attha ya atthasatthe joyanasae chattari ya dasabhage joyanassa parikkhevenam ahitati vaejja ta se nam parikkhevavisese kato ahiteti vaejja? Ta je nam jambuddivassa divassa parikkheve, tam parikkhevam tihim gunetta dasahim chhetta dasahim bhage hiramane, esa nam parikkhevavisese ahiteti vaejja. Ta se nam tavakkhette kevatiyam ayamenam ahiteti vaejja? Ta atthattarim joyanasahassaim tinni ya tettise joyana-sae joyanatibhage ya ayamenam ahiteti vaejja. Taya nam kimsamthiya amdhayarasamthiti ahitati vaejja? Ta uddhimuhakalambuyapupphasamthita amdhayarasamthiti pannatta–amto samkuya bahim vitthada, amto vatta bahim pihula, amto amkamuhasamthita bahim satthimuhasamthita, ubhao pasenam tise duve bahao avatthiyao bhavamti panayalisam-panayalisam joyanasahassaim ayamenam, duve ya nam tise bahao anavatthiyao bhavamti, tam jaha–savvabbhamtariya cheva baha savvabahiriya cheva baha. Tattha ko hetuti vaejja? Ta ayannam jambuddive dive savvadivasamuddanam savvabbhamtarae java parikkhevenam, ta jaya nam surie savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charai taya nam uddhimuhakalambuya- pupphasamthita amdhayarasamthiti ahitati vaejja amto samkuya bahim vitthada, amto vatta bahim pihula, amto amkamuhasamthita bahim satthimuhasamthita, ubhao pasenam tise duve bahao avatthiyao bhavamti panayalisam-panayalisam joyanasahassaim ayamenam, duve ya nam tise bahao anavatthiyao bhavamti, tam jaha–savvabbhamtariya cheva baha savva bahiriya cheva baha. Tise nam savvabbhamtariya baha mamdarapavvayamtenam chhajjoyanasahassaim tinni ya chauvise joyanasae chhachcha dasabhage joyanassa parikkhevenam ahitati vaejja. Tise nam parikkhevavisese kato ahiteti vaejja? Ta je nam mamdarassa pavvayassa parikkheve, tam parikkhevam dohim gunetta, dasahim chhetta dasahim bhage hiramane, esa nam parikkhevavisese ahiteti vaejja. Tise nam savvabahiriya baha lavanasamuddamtenam tevatthim joyanasahassaim donni ya panayale joyanasae chhachcha dasa-bhage joyanassa parikkhevenam ahiteti vaejja. Ta se nam parikkhevavisese kato ahiteti vaejja? Ta je nam jambuddivassa divassa parikkheve, tam parikkhevam dohim gunetta dasahim chhetta dasahim bhage hiramane, esa nam parikkhevavisese ahiteti vaejja. Ta se nam amdhayare kevatiyam ayamenam ahiteti vaejja? Ta atthuttarim joyanasahassaim tinni ya tettise joyanasae joyanatibhagam cha ayamenam ahiteti vaejja, taya nam uttamakatthapatte attharasamuhutte divase bhavai, jahanniya duvalasamuhutta rati bhavati. Ta jaya nam surie savvabahiram mamdalam uvasamkamitta charam charati taya nam kimsamthita tavakkhetta samthiti ahitati vaejja? Ta uddhimuhakalambuyapupphasamthita tavakkhettasamthiti ahitati vaejja. Evam jam abbhimtaramamdale amdhayarasamthitie pamanam tam bahiramamdale tavakkhettasamthitie, jam tahim tavakkhettasamthitie tam bahiramamdale amdhayarasamthitie bhaniyavvam java taya nam uttamakatthapatta ukkosiya attharasamuhutta rati bhavati, jahannae duvalasamuhutte divase bhavai. Ta jambuddive nam dive suriya kevatiyam khettam uddham tavayamti? Kevatiyam khettam ahe tavayamti? Kevatiyam khettam tiriyam tavayamti? Ta jambuddive nam dive suriya egam joyanasayam uddham tavayamti attharasa joyanasayaim ahe tavayamti, siyalisam joyanasahassaim dunni ya tevatthe joyanasae egavisam cha satthibhage joyanassa tiriyam tavayamti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Shveta ki samsthiti kisa prakara ki hai\? Shveta samsthiti do prakara ki hai – chamdra – surya ki samsthiti aura tapakshetra ki samsthiti. Chandra – surya ki samsthiti ke vishaya mem yaha solaha pratipattiyam (paramatavadi mata) haim. – koi kahata hai ki, (1) chandra – surya ki samsthiti samachaturasra haim. (2) vishama chaturasra hai. (3) samachatushkona hai. (4) vishama chatushkona hai. (5) samachakravala hai. (6) vishama chakravala hai. (7) arddhachakravala hai. (8) chhatrakara hai. (9) geha – kara hai. (10) grihapana samsthita hai. (11) prasada akara hai. (12) gopurakara hai. (13) prekshagrihakara hai. (14) vallabhi samsthita hai. (15) harmyatala samsthita hai. (16) solahavam matavadi chandra – surya ki samsthiti valagra – potika akara ki batate haim. Isamem jo samsthiti ko samachaturasrakara ki batate haim vaha kathana naya dvara jnyatavya hai, anya se nahim. Tapakshetra ki samsthiti ke sambandha mem bhi solaha pratipattiyam haim. Anya matavadi apana apana kathana isa prakara se batate haim – (1 se 8) tapakshetra samsthiti gehakara yavat valagrapotika akara ki hai. (9) jambudvipa ki samsthiti ke samana hai. (10) bharata varsha ki samsthiti ke samana hai. (11) udyana akara hai. (12) niryana akara hai. (13) ekatah nishadha samsthana samsthita hai. (14) ubhayatah nishadha samsthana samsthita hai. (15) shchenaka pakshi ke akara ki hai. (16) shchenaka pakshi ke pitha ke akara ki hai. Bhagavamta pharamate haim ki yaha tapakshetra samsthiti urdhvamukha kalamba ke pushpa ke samana akaravali hai. Amdara se samkuchita – gola evam amka ke mukha ke samana hai aura bahara se vistrita – prithula evam svasti ke mukha ke samana hai. Usake donom tarapha do bahaem avasthita haim. Vaha bahaem ayama se 45 – 45 hajara yojana hai. Vaha bahaem sarvabhyantara aura sarvabahya haim. Ina donom baha ka mapa batate haim – jo sarvabhyantara baha hai vaha meru parvata ke samipa mem 9486 yojana evam eka yojana ke nava ya dasa bhaga yojana parikshepa se kahi hai. Mamdaraparvata ke parikshepa ko tina guna kara ke dasha se bhaga karana, vaha bhaga parikshepa vishesha ka pramana hai. Jo sarvabahya baha hai vaha lavana samudra ke antamem 94868 yojana evam eka yojana ke 4/10 bhaga se parikshipta haim. Jambudvipa ke parikshepa ko tina guna kara ke dasha se chheda kara ke dasha bhaga ghatane se yaha parikshepa vishesha kaha jata hai. He bhagavan ! Yaha tapakshetra ayama se kitana hai\? Yaha tapakshetra ayama se 78323 yojana evam eka yojana ke ekatritiyamsha ayama se kaha hai. Taba amdhakara samsthiti kaise kahi hai\? Yaha samsthiti tapakshetra ke samana hi janana. Usaki sarvabhyantara baha mamdara parvata ke nikata 6324 yojana evam eka yojana ke chha dashamsha bhaga pramana parikshepa se janana, yavat sarvabahya baha lavana samudra ke anta mem 63245 yojana evam eka yojana ke chha dashamsha bhaga parikshepa se hai. Jo jambudvipa ka parikshepa hai, usako duguna karake dasha se chheda karana phira dasha bhaga kama karake yaha parikshepa hota hai. Ayama se 78323 yojana evam eka yojana ka eka tritiyamsha bhaga hota hai taba paramaprakarsha prapta utkrishta attharaha muhurtta pramana dina aura jaghanya baraha muhurtta ki ratri hoti hai. Jo abhyantara mamdala ki andhakara samsthiti ka pramana hai, vahi bahya mamdala ki tapakshetra samsthiti ka pramana hai aura jo abhyantara mamdala ki tapakshetra samsthiti ka pramana hai vahi bahyamamdala ki andhakara samsthiti ka pramana hai yavat paramaprakarsha prapta utkrishta attharaha muhurtta ki ratri aura jaghanya baraha muhurtta ka dina hota hai. Usa samaya jambudvipa mem surya 100 yojana urdhva prakashita karata hai, 1800 yojana niche ki tarapha tatha 47263 yojana evam eka yojana ke ikkisa shashthyamsha tirchhe bhaga ko prakashita karata hai. |