Sutra Navigation: Suryapragnapti ( सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1007025 | ||
Scripture Name( English ): | Suryapragnapti | Translated Scripture Name : | सूर्यप्रज्ञप्ति सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
प्राभृत-१ |
Translated Chapter : |
प्राभृत-१ |
Section : | प्राभृत-प्राभृत-४ | Translated Section : | प्राभृत-प्राभृत-४ |
Sutra Number : | 25 | Category : | Upang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] ता केवतियं एते दुवे सूरिया अन्नमन्नस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति आहिताति वएज्जा? तत्थ खलु इमाओ छ पडिवत्तीओ। तत्थ एगे एवमाहंसु– ता एगं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणसतं अन्नमन्नस्स अंतरं कट्टु सूरिया चारं चरंति आहिताति वएज्जा– एगे एवमाहंसु १ एगे पुण एवमाहंसु–ता एगं जोयणसहस्सं एगं च चउतीसं जोयणसयं अन्नमन्नस्स अंतरं कट्टु सूरिया चारं चरंति आहिताति वएज्जा– एगे एवमाहंसु २ एगे पुण एवमाहंसु–ता एगं जोयणसहस्सं एगं च पणतीसं जोयणसयं अन्नमन्नस्स अंतरं कट्टु सूरिया चारं चरंति आहिताति वएज्जा–एगे एवमाहंसु ३ एगे पुण एवमाहंसु– ता एगं दीवं एगं समुद्दं अण्ण मण्णस्स अंतरं कट्टु सूरिया चारं चरंति आहिताति वएज्जा–एगे एवमाहंसु ४ एगे पुण एवमाहंसु–ता दो दीवे दो समुद्दे अन्नमन्नस्स अंतरं कट्टु सूरिया चारं चरंति आहिताति वएज्जा–एगे एवमाहंसु ५ एगे पुण एवमाहंसु–ता तिन्नि दीवे तिन्नि समुद्दे अन्नमन्नस्स अंतरं कट्टु सूरिया चारं चरंति आहिताति वएज्जा–एगे एवमाहंसु ६ वयं पुण एवं वयामो–ता पंच पंच जोयणाइं पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले अन्नमन्नस्स अंतरं अभिवड्ढेमाणा वा निवड्ढेमाणा वा सूरिया चारं चरंति आहिताति वएज्जा। तत्थ णं को हेतूति वएज्जा? ता अयन्नं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वब्भंतराए जाव परिक्खेवेणं पन्नत्ते, ता जया णं एते दुवे सूरिया सव्वब्भंतरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं नवनउतिं जोयणसहस्साइं छच्च चत्ताले जोयणसए अन्नमन्नस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति आहिताति वएज्जा, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राती भवति। ते निक्खममाणा सूरिया नवं संवच्छरं अयमाणा पढमंसि अहोरत्तंसि अब्भितरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ता जया णं एते दुवे सूरिया अब्भिंतरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं नवनवतिं जोयणसहस्साइं छच्च पणयाले जोयणसए पणवीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स अन्नमन्नस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति आहिताति वएज्जा, तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राती भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया। ते निक्खममाणा सूरिया दोच्चंसि अहोरत्तंसि अब्भिंतरं तच्च मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ता जया णं एते दुवे सूरिया अब्भिंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं नवनवतिं जोयणसहस्साइं छच्च इक्कावण्णे जोयणसए नव य एगट्ठिभागे जोयणस्स अन्नमन्नस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति आहिताति वएज्जा, तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे, दुवालसमुहुत्ता राती भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया। एवं खलु एतेणुवाएणं निक्खममाणा एते दुवे सूरिया तयानंतराओ तयानंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणा-संकममाणा पंच-पंच जोयणाइं पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले अन्नमन्नस्स अंतरं अभिवड्ढेमाणा-अभिवड्ढेमाणा सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ता जया णं एते दुवे सूरिया सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं एगं जोयणसयसहस्सं छच्च सट्ठे जोयणसए अन्नमन्नस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति, तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति, जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ। एस णं पढमे छम्मासे, एस णं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे। ते पविसमाणा सूरिया दोच्चं छम्मासं अयमाणा पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिरानंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ता जया णं एते दुवे सूरिया बाहिरानंतर मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, तया णं एगं जोयणसयसहस्सं छच्च चउप्पण्णे जोयणसए छव्वीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स अन्नमन्नस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति आहिताति वएज्जा, तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति दोहिं एगट्ठिभाग-मुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए। ते पविसमाणा सूरिया दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ता जया णं एते दुवे सूरिया बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तया णं एगं जोयणसयसहस्सं छच्च अडयाले जोयणसए बावन्नं च एगट्ठिभागे जोयणस्स अन्नमन्नस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति, तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा, दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए। एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणा एते दुवे सूरिया तयानंतराओ तयानंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणा-संकममाणा पंच-पंच जोयणाइं पणतीसे एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले अन्नमन्नस्स अंतरं निवुड्ढेमाणा-निवुड्ढेमाणा सव्वब्भंतरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ता जया णं एते दुवे सूरिया सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, तया णं नवनउतिं जोयणसहस्साइं छच्च चत्ताले जोयणसए अन्नमन्नस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति, तया णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राती भवति। एस णं दोच्चे छम्मासे, एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे, एस णं आदिच्चे संवच्छरे, एस णं आदिच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे। | ||
Sutra Meaning : | भारतीय एवं ऐरवतीय सूर्य परस्पर कितने अन्तर से गति करता है ? अन्तर सम्बन्धी यह छह प्रतिपत्तियाँ हैं। कोई एक परमतवादी कहता है कि ये दोनों सूर्य परस्पर एक हजार योजन के एवं दूसरे एकसो तैंतीस योजन के अन्तर से गति करते हैं। कोई एक कहते हैं कि ये एक हजार योजन एवं दूसरे १३४ योजन अंतर से गति करते हैं। कोई एक ऐसा कहते हैं कि यह अंतर एक हजार योजन एवं दूसरा १३५ योजन का है। चौथा अन्यतीर्थि का कथन है कि दोनों सूर्य एक द्वीप – समुद्र के परस्पर अंतर से गति करते हैं। कोई यह अन्तर दो – दो द्वीप समुद्रों का बतलाते हैं और छट्ठा परतीर्थिक दोनों सूर्यों का परस्पर अन्तर तीन – तीन द्वीप समुद्रों का बतलाते हैं। भगवंत कहते हैं कि यह दोनों सूर्य की गति का अन्तर नियत नहीं है, वे जब सर्वाभ्यन्तर मंडल से निष्क्रमण करता है तब पाँच – पाँच योजन और एक योजन के पैंतीस एकसट्ठांश भाग के अन्तर से प्रत्येक मंडल में अभिवृद्धि करते हुए और बाह्य मंडल से अभ्यन्तर मंडल की तरफ प्रवेश करते हुए कम करते – करते गति करते हैं। यह जंबूद्वीप सर्वद्वीप समुद्रों से परिक्षेप से घीरा हुआ है। जब ये दोनों सूर्य सर्वाभ्यन्तर मंडल का संक्रमण करके गति करते हैं तब एक प्रकार से ९९००० योजन का और दूसरा ६४० योजन का परस्पर अन्तर होता है। उस समय उत्कृष्ट अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन और जघन्य बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। निष्क्रम्यमान वे सूर्यों नूतन संवत्सर के पहले अहोरात्र में अभ्यन्तर मंडल के प्रथम मंडल का उपसंक्रमण करके जब दूसरे मंडल में गति करता है, तब ९९६४५ योजन एवं एक योजन के पैंतीस एकसट्ठांश भाग जितना परस्पर अन्तर रखके यह दोनों सूर्य गति करते हैं। उस समय दो एकसट्ठांश मुहूर्त्त दिन की हानि और रात्रि की वृद्धि होती है। जब यह दोनों सूर्य सर्वा – भ्यन्तर निष्क्रमण करके दूसरे मंडल से तीसरे मंडल में गति करते हैं, तब ९९६५१ योजन एवं एक योजन के नव एकसट्ठांश भाग का परस्पर अन्तर होता है। उस समय चार एकसट्ठांश मुहूर्त्त की दिन में हानि और रात्रि में वृद्धि होती है। इसी अनुक्रम से निष्क्रम्यमाण दोनों सूर्य अनन्तर – अनन्तर मंडल में गति करते हैं तब पाँच – पाँच योजन और एक योजन के पैंतीश एकसट्ठांश भाग परस्पर अन्तर में वृद्धि होती है और १००६६० योजन का परस्पर अन्तर हो जाता है, तब उत्कृष्ट अट्ठारह मुहूर्त्त की रात्रि और जघन्य बारह मुहूर्त्त का दिन होता है। यहाँ छ मास पूर्ण होते हैं। दूसरे छ मास का आरंभ होता है तब दोनों सूर्य सर्वबाह्य मंडल से सर्वाभ्यन्तर मंडल की तरफ संक्रमण करते हुए गति करते हैं। उस समय दोनों सूर्य का परस्पर अन्तर १००६५४ योजन एवं एक योजन के छब्बीश एकसट्ठांश भाग का होता है और अट्ठारह मुहूर्त्त की रात्रि के दो एकसट्ठांश मुहूर्त्त की हानि तथा बारह मुहूर्त्त के दिन में दो एकसट्ठांश मुहूर्त्त की वृद्धि होती है। इसी अनुक्रम से संक्रमण करते हुए दोनों सूर्य अभ्यन्तर मंडल की तरफ प्रविष्ट होते हैं तब दोनों सूर्यों का परस्पर अन्तर पाँच – पाँच योजन एवं एक योजन के पैंतीश एकसट्ठांश भाग प्रत्येक मंडल में कम होता रहता है। जब वह दोनों सूर्य सर्वाभ्यन्तर मंडल में प्रविष्ट कर जाते हैं उस समय दोनों के बीच ९९६४० योजन का अन्तर रहता है और परमप्रकर्ष प्राप्त उत्कृष्ट अट्ठारह मुहूर्त्त का दिन और जघन्य बारह मुहूर्त्त की रात्रि होती है। यह हुए दूसरे छह मास और दूसरे छ मास का पर्यवसान। यहीं है आदित्य संवत्सर। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] ta kevatiyam ete duve suriya annamannassa amtaram kattu charam charamti ahitati vaejja? Tattha khalu imao chha padivattio. Tattha ege evamahamsu– ta egam joyanasahassam egam cha tettisam joyanasatam annamannassa amtaram kattu suriya charam charamti ahitati vaejja– ege evamahamsu 1 Ege puna evamahamsu–ta egam joyanasahassam egam cha chautisam joyanasayam annamannassa amtaram kattu suriya charam charamti ahitati vaejja– ege evamahamsu 2 Ege puna evamahamsu–ta egam joyanasahassam egam cha panatisam joyanasayam annamannassa amtaram kattu suriya charam charamti ahitati vaejja–ege evamahamsu 3 Ege puna evamahamsu– ta egam divam egam samuddam anna mannassa amtaram kattu suriya charam charamti ahitati vaejja–ege evamahamsu 4 Ege puna evamahamsu–ta do dive do samudde annamannassa amtaram kattu suriya charam charamti ahitati vaejja–ege evamahamsu 5 Ege puna evamahamsu–ta tinni dive tinni samudde annamannassa amtaram kattu suriya charam charamti ahitati vaejja–ege evamahamsu 6 Vayam puna evam vayamo–ta pamcha pamcha joyanaim panatisam cha egatthibhage joyanassa egamege mamdale annamannassa amtaram abhivaddhemana va nivaddhemana va suriya charam charamti ahitati vaejja. Tattha nam ko hetuti vaejja? Ta ayannam jambuddive dive savvadivasamuddanam savvabbhamtarae java parikkhevenam pannatte, ta jaya nam ete duve suriya savvabbhamtaramamdalam uvasamkamitta charam charamti taya nam navanautim joyanasahassaim chhachcha chattale joyanasae annamannassa amtaram kattu charam charamti ahitati vaejja, taya nam uttamakatthapatte ukkosae attharasamuhutte divase bhavai, jahanniya duvalasamuhutta rati bhavati. Te nikkhamamana suriya navam samvachchharam ayamana padhamamsi ahorattamsi abbhitaranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charamti, ta jaya nam ete duve suriya abbhimtaranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charamti taya nam navanavatim joyanasahassaim chhachcha panayale joyanasae panavisam cha egatthibhage joyanassa annamannassa amtaram kattu charam charamti ahitati vaejja, taya nam attharasamuhutte divase bhavai dohim egatthibhagamuhuttehim une, duvalasamuhutta rati bhavati dohim egatthibhagamuhuttehim ahiya. Te nikkhamamana suriya dochchamsi ahorattamsi abbhimtaram tachcha mamdalam uvasamkamitta charam charamti, ta jaya nam ete duve suriya abbhimtaram tachcham mamdalam uvasamkamitta charam charamti taya nam navanavatim joyanasahassaim chhachcha ikkavanne joyanasae nava ya egatthibhage joyanassa annamannassa amtaram kattu charam charamti ahitati vaejja, taya nam attharasamuhutte divase bhavai chauhim egatthibhagamuhuttehim une, duvalasamuhutta rati bhavati chauhim egatthibhagamuhuttehim ahiya. Evam khalu etenuvaenam nikkhamamana ete duve suriya tayanamtarao tayanamtaram mamdalao mamdalam samkamamana-samkamamana pamcha-pamcha joyanaim panatisam cha egatthibhage joyanassa egamege mamdale annamannassa amtaram abhivaddhemana-abhivaddhemana savvabahiram mamdalam uvasamkamitta charam charamti, ta jaya nam ete duve suriya savvabahiram mamdalam uvasamkamitta charam charamti taya nam egam joyanasayasahassam chhachcha satthe joyanasae annamannassa amtaram kattu charam charamti, taya nam uttamakatthapatta ukkosiya attharasamuhutta rati bhavati, jahannae duvalasamuhutte divase bhavai. Esa nam padhame chhammase, esa nam padhamassa chhammasassa pajjavasane. Te pavisamana suriya dochcham chhammasam ayamana padhamamsi ahorattamsi bahiranamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charamti, ta jaya nam ete duve suriya bahiranamtara mamdalam uvasamkamitta charam charamti, taya nam egam joyanasayasahassam chhachcha chauppanne joyanasae chhavvisam cha egatthibhage joyanassa annamannassa amtaram kattu charam charamti ahitati vaejja, taya nam attharasamuhutta rati bhavati dohim egatthibhaga-muhuttehim una, duvalasamuhutte divase bhavai dohim egatthibhagamuhuttehim ahie. Te pavisamana suriya dochchamsi ahorattamsi bahiram tachcham mamdalam uvasamkamitta charam charamti, ta jaya nam ete duve suriya bahiram tachcham mamdalam uvasamkamitta charam charamti taya nam egam joyanasayasahassam chhachcha adayale joyanasae bavannam cha egatthibhage joyanassa annamannassa amtaram kattu charam charamti, taya nam attharasamuhutta rati bhavati chauhim egatthibhagamuhuttehim una, duvalasamuhutte divase bhavai chauhim egatthibhagamuhuttehim ahie. Evam khalu etenuvaenam pavisamana ete duve suriya tayanamtarao tayanamtaram mamdalao mamdalam samkamamana-samkamamana pamcha-pamcha joyanaim panatise egatthibhage joyanassa egamege mamdale annamannassa amtaram nivuddhemana-nivuddhemana savvabbhamtaramamdalam uvasamkamitta charam charamti, ta jaya nam ete duve suriya savvabbhamtaram mamdalam uvasamkamitta charam charamti, taya nam navanautim joyanasahassaim chhachcha chattale joyanasae annamannassa amtaram kattu charam charamti, taya nam uttamakatthapatte ukkosae attharasamuhutte divase bhavai, jahanniya duvalasamuhutta rati bhavati. Esa nam dochche chhammase, esa nam dochchassa chhammasassa pajjavasane, esa nam adichche samvachchhare, esa nam adichchassa samvachchharassa pajjavasane. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bharatiya evam airavatiya surya paraspara kitane antara se gati karata hai\? Antara sambandhi yaha chhaha pratipattiyam haim. Koi eka paramatavadi kahata hai ki ye donom surya paraspara eka hajara yojana ke evam dusare ekaso taimtisa yojana ke antara se gati karate haim. Koi eka kahate haim ki ye eka hajara yojana evam dusare 134 yojana amtara se gati karate haim. Koi eka aisa kahate haim ki yaha amtara eka hajara yojana evam dusara 135 yojana ka hai. Chautha anyatirthi ka kathana hai ki donom surya eka dvipa – samudra ke paraspara amtara se gati karate haim. Koi yaha antara do – do dvipa samudrom ka batalate haim aura chhattha paratirthika donom suryom ka paraspara antara tina – tina dvipa samudrom ka batalate haim. Bhagavamta kahate haim ki yaha donom surya ki gati ka antara niyata nahim hai, ve jaba sarvabhyantara mamdala se nishkramana karata hai taba pamcha – pamcha yojana aura eka yojana ke paimtisa ekasatthamsha bhaga ke antara se pratyeka mamdala mem abhivriddhi karate hue aura bahya mamdala se abhyantara mamdala ki tarapha pravesha karate hue kama karate – karate gati karate haim. Yaha jambudvipa sarvadvipa samudrom se parikshepa se ghira hua hai. Jaba ye donom surya sarvabhyantara mamdala ka samkramana karake gati karate haim taba eka prakara se 99000 yojana ka aura dusara 640 yojana ka paraspara antara hota hai. Usa samaya utkrishta attharaha muhurtta ka dina aura jaghanya baraha muhurtta ki ratri hoti hai. Nishkramyamana ve suryom nutana samvatsara ke pahale ahoratra mem abhyantara mamdala ke prathama mamdala ka upasamkramana karake jaba dusare mamdala mem gati karata hai, taba 99645 yojana evam eka yojana ke paimtisa ekasatthamsha bhaga jitana paraspara antara rakhake yaha donom surya gati karate haim. Usa samaya do ekasatthamsha muhurtta dina ki hani aura ratri ki vriddhi hoti hai. Jaba yaha donom surya sarva – bhyantara nishkramana karake dusare mamdala se tisare mamdala mem gati karate haim, taba 99651 yojana evam eka yojana ke nava ekasatthamsha bhaga ka paraspara antara hota hai. Usa samaya chara ekasatthamsha muhurtta ki dina mem hani aura ratri mem vriddhi hoti hai. Isi anukrama se nishkramyamana donom surya anantara – anantara mamdala mem gati karate haim taba pamcha – pamcha yojana aura eka yojana ke paimtisha ekasatthamsha bhaga paraspara antara mem vriddhi hoti hai aura 100660 yojana ka paraspara antara ho jata hai, taba utkrishta attharaha muhurtta ki ratri aura jaghanya baraha muhurtta ka dina hota hai. Yaham chha masa purna hote haim. Dusare chha masa ka arambha hota hai taba donom surya sarvabahya mamdala se sarvabhyantara mamdala ki tarapha samkramana karate hue gati karate haim. Usa samaya donom surya ka paraspara antara 100654 yojana evam eka yojana ke chhabbisha ekasatthamsha bhaga ka hota hai aura attharaha muhurtta ki ratri ke do ekasatthamsha muhurtta ki hani tatha baraha muhurtta ke dina mem do ekasatthamsha muhurtta ki vriddhi hoti hai. Isi anukrama se samkramana karate hue donom surya abhyantara mamdala ki tarapha pravishta hote haim taba donom suryom ka paraspara antara pamcha – pamcha yojana evam eka yojana ke paimtisha ekasatthamsha bhaga pratyeka mamdala mem kama hota rahata hai. Jaba vaha donom surya sarvabhyantara mamdala mem pravishta kara jate haim usa samaya donom ke bicha 99640 yojana ka antara rahata hai aura paramaprakarsha prapta utkrishta attharaha muhurtta ka dina aura jaghanya baraha muhurtta ki ratri hoti hai. Yaha hue dusare chhaha masa aura dusare chha masa ka paryavasana. Yahim hai aditya samvatsara. |