Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006881 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-३३ अवधि |
Translated Chapter : |
पद-३३ अवधि |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 581 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] नेरइया णं भंते! केवतियं खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति? गोयमा! जहन्नेणं अद्धगाउयं, उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाइं ओहिणा जाणंति पासंति। रयणप्पभापुढविनेरइया णं भंते! केवतियं खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति? गोयमा! जहन्नेणं अद्धट्ठाइं गाउयाइं, उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाइं ओहिणा जाणंति पासंति। सक्करप्पभापुढविनेरइया जहन्नेणं तिन्नि गाउयाइं, उक्कोसेणं अद्धट्ठाइं गाउयाइं ओहिणा जाणंति पासंति। वालुयप्पभापुढविनेरइया जहन्नेणं अड्ढाइज्जाइं गाउयाइं उक्कोसेणं तिन्नि गाउयाइं ओहिणा जाणंति पासंति। पंकप्पभापुढविनेरइया जहन्नेणं दोन्नि गाउयाइं, उक्कोसेणं अड्ढाइज्जाइं गाउयाइं ओहिणा जाणंति पासंति। धूमप्पभापुढविनेरइयाणं पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं दिवड्ढं गाउयं, उक्कोसेणं दो गाउयाइं ओहिणा जाणंति पासंति तमापुढवीए पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं गाउयं, उक्कोसेणं दिवड्ढं गाउयं ओहिणा जाणंति पासंति। अहेसत्तमाए पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं अद्धगाउयं, उक्कोसेणं गाउयं ओहिणा जाणंति पासंति। असुरकुमारा णं भंते! ओहिणा केवतियं खेत्तं जाणंति पासंति? गोयमा! जहन्नेणं पणुवीसं जोयणाइं, उक्कोसेणं असंखेज्जे दीवसमुद्दे ओहिणा जाणंति पासंति। नागकुमारा णं जहन्नेणं पणुवीसं जोयणाइं, उक्कोसेणं संखेज्जे दीव-समुद्दे ओहिणा जाणंति पासंति। एवं जाव थणियकुमारा। पंचेंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते! केवतियं खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति? गोयमा! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं असंखेज्जे दीवसमुद्दे। मनूसा णं भंते! ओहिणा केवतियं खेत्तं जाणंति पासंति? गोयमा! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखे-ज्जतिभागं, उक्कोसेणं असंखेज्जाइं अलोए लोयपमाणमेत्ताइं खंडाइं ओहिणा जाणंति पासंति। वाणमंतरा जहा नागकुमारा। जोइसिया णं भंते! केवतियं खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति? गोयमा! जहन्नेणं संखेज्जे दीव-समुद्दे, उक्कोसेण वि संखेज्जे दीवसमुद्दे। सोहम्मगदेवा णं भंते! केवतियं खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति? गोयमा! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं अहे जाव इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए हेट्ठिल्ले चरिमंते तिरियं जाव असंखेज्जे दीव-समुद्दे उड्ढं जाव सगाइं विमानाइं ओहिणा जाणंति पासंति। एवं ईसानगदेवा वि। सणंकुमारदेवा वि एवं चेव, नवरं–अहे जाव दोच्चाए सक्करप्पभाए पुढवीए हेट्ठिल्ले चरिमंते। एवं माहिंदगदेवा वि। बंभलोगलंतगदेवा तच्चाए पुढवीए हेट्ठिल्ले चरिमंते। महासुक्क-सहस्सारगदेवा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए हेट्ठिल्ले चरिमंते। आणय-पाणय-आरण-अच्चुयदेवा अहे जाव पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए हेट्ठिल्ले चरिमंते। हेट्ठिम-मज्झिमगेवेज्जगदेवा अहे जाव छट्ठाए तमाए पुढवीए हेट्ठिल्ले चरिमंते। उवरिमगेवेज्जगदेवा णं भंते! केवतियं खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति? गोयमा! जहन्नेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं अहेसत्तमाए पुढवीए हेट्ठिल्ले चरिमंते तिरियं जाव असंखे-ज्जे दीव-समुद्दे उड्ढं जाव सगाइं विमानाइं ओहिणा जाणंति पासंति। अनुत्तरोववाइयदेवा णं भंते! केवतियं खेत्तं ओहिणा जाणंति पासंति? गोयमा! संभिन्नं लोगणालिं ओहिणा जाणंति पासंति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! नैरयिक अवधि द्वारा कितने क्षेत्र को जानते – देखते हैं ? गौतम ! जघन्यतः आधा गाऊ और उत्कृष्टतः चार गाऊ। रत्नप्रभापृथ्वी के नैरयिक अवधि से कितने क्षेत्र को जानते – देखते हैं ? गौतम ! जघन्य साढ़े तीन गाऊ और उत्कृष्ट चार गाऊ। शर्कराप्रभापृथ्वी के नारक जघन्य तीन और उत्कृष्ट साढ़े तीन गाऊ को, अवधि – (ज्ञान) से जानते – देखते हैं। बालुकाप्रभापृथ्वी के नारक जघन्य ढ़ाई और उत्कृष्ट तीन गाऊ को, पंकप्रभापृथ्वी के नारक जघन्य दो और उत्कृष्ट ढ़ाई गाऊ को, धूमप्रभापृथ्वी के नारक अवधि जघन्य डेढ़ और उत्कृष्ट दो गाऊ को, तमःप्रभापृथ्वी के नारक जघन्य एक और उत्कृष्ट डेढ़ गाऊ को, तथा अधःसप्तम पृथ्वी के नैरयिक जघन्य आधा गाऊ और उत्कृष्ट एक गाऊ की अवधि से जानते – देखते हैं। भगवन् ! असुरकुमारदेव अवधि से कितने क्षेत्र को जानते – देखते हैं ? गौतम ! जघन्य पच्चीस योजन और उत्कृष्ट असंख्यात द्वीप – समुद्रों को। नागकुमारदेव जघन्य पच्चीस योजन और उत्कृष्ट संख्यात द्वीप – समुद्रों को, जानते और देखते हैं। इसी प्रकार स्तनितकुमार पर्यन्त कहना। पंचेन्द्रियतिर्यंचयोनिक जीव ? गौतम ! वे जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग को और उत्कृष्ट असंख्यात द्वीप – समुद्रों को जानते – देखते हैं। मनुष्य जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग क्षेत्र को और उत्कृष्ट अलोक में लोक प्रमाण असंख्यात खण्डों को अवधि द्वारा जानते – देखते हैं। वाणव्यन्तर देवों की जानने – देखने की क्षेत्र – सीमा नागकुमार के समान जानना। ज्योतिष्क जघन्य तथा उत्कृष्ट भी संख्यात द्वीप – समुद्रों को अवधिज्ञान से जानते – देखते हैं। भगवन् ! सौधर्मदेव कितने क्षेत्र को अवधि द्वारा जानते – देखते हैं ? गौतम ! जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भागक्षेत्र को और उत्कृष्टतः नीचे इस रत्नप्रभापृथ्वी के नीचले चरमान्त तक, तिरछे असंख्यात द्वीप – समुद्रों और ऊपर अपने – अपने विमानों तक अवधि द्वारा जानते – देखते हैं। इसी प्रकार ईशानकदेवों में भी कहना। सनत्कुमार देवों को भी इसी प्रकार समझना। किन्तु विशेष यह कि ये नीचे शर्कराप्रभा पृथ्वी के नीचले चरमान्त तक जानते – देखते हैं। माहेन्द्रदेवों में भी इसी प्रकार समझना। ब्रह्मलोक और लान्तकदेव नीचे बालुका प्रभा के नीचले चरमान्त तक, महाशुक्र और सहस्रारदेव नीचे चौथी पंकप्रभापृथ्वी के नीचले चरमान्त तक, आनत, प्राणत, आरण अच्युत देव नीचे पाँचवीं धूमप्रभापृथ्वी के नीचले चरमान्त तक, नीचले और मध्यम ग्रैवेयकदेव नीचे छठी तमःप्रभा पृथ्वी के नीचले चरमान्त तक, उपरिम ग्रैवेयकदेव जघन्य अंगुल के असंख्यातवें भाग और उत्कृष्ट नीचे अधःसप्तम पृथ्वी के नीचले चरमान्त पर्यन्त, तिरछे यावत् असंख्यात द्वीप – समुद्रों को तथा ऊपर अपने विमानों तक अवधि से जानते – देखते हैं। भगवन् ! अनुत्तरौपपातिक देव अवधि द्वारा कितने क्षेत्र को जानते देखते हैं ? गौतम ! सम्पूर्ण लोकनाड़ी को जानते – देखते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] neraiya nam bhamte! Kevatiyam khettam ohina janamti pasamti? Goyama! Jahannenam addhagauyam, ukkosenam chattari gauyaim ohina janamti pasamti. Rayanappabhapudhavineraiya nam bhamte! Kevatiyam khettam ohina janamti pasamti? Goyama! Jahannenam addhatthaim gauyaim, ukkosenam chattari gauyaim ohina janamti pasamti. Sakkarappabhapudhavineraiya jahannenam tinni gauyaim, ukkosenam addhatthaim gauyaim ohina janamti pasamti. Valuyappabhapudhavineraiya jahannenam addhaijjaim gauyaim ukkosenam tinni gauyaim ohina janamti pasamti. Pamkappabhapudhavineraiya jahannenam donni gauyaim, ukkosenam addhaijjaim gauyaim ohina janamti pasamti. Dhumappabhapudhavineraiyanam puchchha. Goyama! Jahannenam divaddham gauyam, ukkosenam do gauyaim ohina janamti pasamti Tamapudhavie puchchha. Goyama! Jahannenam gauyam, ukkosenam divaddham gauyam ohina janamti pasamti. Ahesattamae puchchha. Goyama! Jahannenam addhagauyam, ukkosenam gauyam ohina janamti pasamti. Asurakumara nam bhamte! Ohina kevatiyam khettam janamti pasamti? Goyama! Jahannenam panuvisam joyanaim, ukkosenam asamkhejje divasamudde ohina janamti pasamti. Nagakumara nam jahannenam panuvisam joyanaim, ukkosenam samkhejje diva-samudde ohina janamti pasamti. Evam java thaniyakumara. Pamchemdiyatirikkhajoniya nam bhamte! Kevatiyam khettam ohina janamti pasamti? Goyama! Jahannenam amgulassa asamkhejjatibhagam, ukkosenam asamkhejje divasamudde. Manusa nam bhamte! Ohina kevatiyam khettam janamti pasamti? Goyama! Jahannenam amgulassa asamkhe-jjatibhagam, ukkosenam asamkhejjaim aloe loyapamanamettaim khamdaim ohina janamti pasamti. Vanamamtara jaha nagakumara. Joisiya nam bhamte! Kevatiyam khettam ohina janamti pasamti? Goyama! Jahannenam samkhejje diva-samudde, ukkosena vi samkhejje divasamudde. Sohammagadeva nam bhamte! Kevatiyam khettam ohina janamti pasamti? Goyama! Jahannenam amgulassa asamkhejjatibhagam, ukkosenam ahe java imise rayanappabhae pudhavie hetthille charimamte tiriyam java asamkhejje diva-samudde uddham java sagaim vimanaim ohina janamti pasamti. Evam isanagadeva vi. Sanamkumaradeva vi evam cheva, navaram–ahe java dochchae sakkarappabhae pudhavie hetthille charimamte. Evam mahimdagadeva vi. Bambhalogalamtagadeva tachchae pudhavie hetthille charimamte. Mahasukka-sahassaragadeva chautthie pamkappabhae pudhavie hetthille charimamte. Anaya-panaya-arana-achchuyadeva ahe java pamchamae dhumappabhae pudhavie hetthille charimamte. Hetthima-majjhimagevejjagadeva ahe java chhatthae tamae pudhavie hetthille charimamte. Uvarimagevejjagadeva nam bhamte! Kevatiyam khettam ohina janamti pasamti? Goyama! Jahannenam amgulassa asamkhejjatibhagam, ukkosenam ahesattamae pudhavie hetthille charimamte tiriyam java asamkhe-jje diva-samudde uddham java sagaim vimanaim ohina janamti pasamti. Anuttarovavaiyadeva nam bhamte! Kevatiyam khettam ohina janamti pasamti? Goyama! Sambhinnam loganalim ohina janamti pasamti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Nairayika avadhi dvara kitane kshetra ko janate – dekhate haim\? Gautama ! Jaghanyatah adha gau aura utkrishtatah chara gau. Ratnaprabhaprithvi ke nairayika avadhi se kitane kshetra ko janate – dekhate haim\? Gautama ! Jaghanya sarhe tina gau aura utkrishta chara gau. Sharkaraprabhaprithvi ke naraka jaghanya tina aura utkrishta sarhe tina gau ko, avadhi – (jnyana) se janate – dekhate haim. Balukaprabhaprithvi ke naraka jaghanya rhai aura utkrishta tina gau ko, pamkaprabhaprithvi ke naraka jaghanya do aura utkrishta rhai gau ko, dhumaprabhaprithvi ke naraka avadhi jaghanya derha aura utkrishta do gau ko, tamahprabhaprithvi ke naraka jaghanya eka aura utkrishta derha gau ko, tatha adhahsaptama prithvi ke nairayika jaghanya adha gau aura utkrishta eka gau ki avadhi se janate – dekhate haim. Bhagavan ! Asurakumaradeva avadhi se kitane kshetra ko janate – dekhate haim\? Gautama ! Jaghanya pachchisa yojana aura utkrishta asamkhyata dvipa – samudrom ko. Nagakumaradeva jaghanya pachchisa yojana aura utkrishta samkhyata dvipa – samudrom ko, janate aura dekhate haim. Isi prakara stanitakumara paryanta kahana. Pamchendriyatiryamchayonika jiva\? Gautama ! Ve jaghanya amgula ke asamkhyatavem bhaga ko aura utkrishta asamkhyata dvipa – samudrom ko janate – dekhate haim. Manushya jaghanya amgula ke asamkhyatavem bhaga kshetra ko aura utkrishta aloka mem loka pramana asamkhyata khandom ko avadhi dvara janate – dekhate haim. Vanavyantara devom ki janane – dekhane ki kshetra – sima nagakumara ke samana janana. Jyotishka jaghanya tatha utkrishta bhi samkhyata dvipa – samudrom ko avadhijnyana se janate – dekhate haim. Bhagavan ! Saudharmadeva kitane kshetra ko avadhi dvara janate – dekhate haim\? Gautama ! Jaghanya amgula ke asamkhyatavem bhagakshetra ko aura utkrishtatah niche isa ratnaprabhaprithvi ke nichale charamanta taka, tirachhe asamkhyata dvipa – samudrom aura upara apane – apane vimanom taka avadhi dvara janate – dekhate haim. Isi prakara ishanakadevom mem bhi kahana. Sanatkumara devom ko bhi isi prakara samajhana. Kintu vishesha yaha ki ye niche sharkaraprabha prithvi ke nichale charamanta taka janate – dekhate haim. Mahendradevom mem bhi isi prakara samajhana. Brahmaloka aura lantakadeva niche baluka prabha ke nichale charamanta taka, mahashukra aura sahasraradeva niche chauthi pamkaprabhaprithvi ke nichale charamanta taka, anata, pranata, arana achyuta deva niche pamchavim dhumaprabhaprithvi ke nichale charamanta taka, nichale aura madhyama graiveyakadeva niche chhathi tamahprabha prithvi ke nichale charamanta taka, uparima graiveyakadeva jaghanya amgula ke asamkhyatavem bhaga aura utkrishta niche adhahsaptama prithvi ke nichale charamanta paryanta, tirachhe yavat asamkhyata dvipa – samudrom ko tatha upara apane vimanom taka avadhi se janate – dekhate haim. Bhagavan ! Anuttaraupapatika deva avadhi dvara kitane kshetra ko janate dekhate haim\? Gautama ! Sampurna lokanari ko janate – dekhate haim. |