Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006852 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-२८ आहार |
Translated Chapter : |
पद-२८ आहार |
Section : | उद्देशक-१ | Translated Section : | उद्देशक-१ |
Sutra Number : | 552 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] नेरइया णं भंते! किं सचित्ताहारा अचित्ताहारा मोसाहारा? गोयमा! नो सचित्ताहारा, अचित्ताहारा, नो मीसाहारा एवं असुरकुमारा जाव वेमानिया। ओरालियसरीरी जाव मनूसा सचित्ताहारा वि अचित्ताहारा वि मीसाहारा वि। नेरइया णं भंते! आहारट्ठी? हंता गोयमा! आहारट्ठी। नेरइयाणं भंते! केवतिकालस्स आहारट्ठे समुप्पज्जति? गोयमा! नेरइयाणं आहारे दुविहे पन्नत्ते, तं जहा–आभोगनिव्वत्तिए य अणाभोगनिव्वत्तिए य। तत्थ णं जेसे अणाभोगनिव्वत्तिए से णं अणुसमयमविरहिए आहारट्ठे समुप्पज्जति। तत्थ णं जेसे आभोगनिव्वत्तिए से णं असंखेज्जसमइए अंतोमुहुत्तिए आहारट्ठे समुप्पज्जति। नेरइया णं भंते! किमाहारमाहारेंति? गोयमा! दव्वओ अनंतपदेसियाइं दव्वाइं, खेत्तओ असंखेज्जपदेसोगाढाइं, कालतो अण्णतरठितियाइं, भावओ वण्णमंताइं गंधमंताइं रसमंताइं फासमंताइं। जाइं भावओ वण्णमंताइं आहारेंति ताइं किं एगवण्णाइं आहारेंति जाव किं पंचवण्णाइं आहारेंति? गोयमा! ठाणमग्गणं पडुच्च एगवण्णाइं पि आहारेंति जाव पंचवण्णाइं पि आहारेंति, विहाणमग्गणं पडुच्च कालवण्णाइं पि आहारेंति जाव सुक्कि लाइं पि आहारेंति। जाइं वण्णओ कालवण्णाइं आहारेंति ताइं किं एगगुणकालाइं आहारेंति जाव दसगुणकालाइं आहारेंति? संखेज्जगुणकालाइं असंखेज्जगुणालाइं अनंतगुणकालाइं आहारेंति? गोयमा! एगगुण-कालाइं पि आहारेंति जाव अनंतगुणकालाइं पि आहारेंति। एवं जाव सुक्किलाइं पि। एवं गंधओ वि रसतो वि। जाइं भावओ फासमंताइं ताइं नो एगफासाइं आहारेंति नो दुफासाइं आहारेंति नो तिफासाइं आहारेंति, चउफासाइं आहारेंति जाव अट्ठफासाइं पि आहारेंति, विहाणमग्गणं पडुच्च कक्खडाइं पि आहारेंति जाव लुक्खाइं पि। जाइं फासओ कक्खडाइं आहारेंति ताइं किं एगगुणकक्खडाइं आहारेंति जाव अनंतगुण-कक्खडाइं आहारेंति? गोयमा! एगगुणकक्खडाइं पि आहारेंति जाव अनंतगुणकक्खडाइं पि आहारेंति। एवं अट्ठ वि फासा भाणियव्वा जाव अनंतगुण-लुक्खाइं पि आहारेंति। जाइं भंते! अनंतगुणलुक्खाइं आहारेंति ताइं किं पुट्ठाइं आहारेंति? अपुट्ठाइं आहारेंति? गोयमा! पुट्ठाइं आहारेंति नो अपुट्ठाइं आहारेंति। जाइं भंते! पुट्ठाइं आहारेंति, ताइं किं ओगाढाइं आहारेंति? अणोगाढाइं आहारेंति? गोयमा! ओगाढाइं आहारेंति नो अणोगाढाइं आहारेंति। जाइं भंते! ओगाढाइं आहारेंति, ताइं किं अनंतरोगाढाइं आहारेंति? परंपरोगाढाइं आहारेंति? गोयमा! अनंतरोगाढाइं आहारेंति, नो परंपरोगाढाइं आहारेंति। जाइं भंते! अनंतरोगाढाइं आहारेंति, ताइं किं अणूइं आहारेंति? बादराइं आहारेंति? गोयमा! अणूइं पि आहारेंति, बादराइं पि आहारेंति। जाइं भंते! अणूइं पि आहारेंति, बादराइं पि आहारेंति, ताइं किं उड्ढं आहारेंति? अहे आहारेंति? तिरियं आहारेंति? गोयमा! उड्ढं पि आहारेंति, अहे वि आहारेंति, तिरियं पि आहारेंति। जाइं भंते! उड्ढं पि आहारेंति, अहे वि आहारेंति, तिरियं पि आहारेंति, ताइं किं आदिं आहारेंति? मज्झे आहारेंति? पज्जवसाणे आहारेंति? गोयमा! आदिं पि आहारेंति, मज्झे वि आहारेंति पज्जवसाणे वि आहारेंति। जाइं भंते! आदिं पि आहारेंति, मज्झे वि आहारेंति, पज्जवसाणे वि आहारेंति, ताइं किं सविसए आहारेंति? अविसए आहारेंति? गोयमा! सविसए आहारेंति, नो अविसए आहारेंति। जाइं भंते! सविसए आहारेंति, ताइं किं आनुपुव्विं आहारेंति? अनानुपुव्विं आहारेंति? गोयमा! आनुपुव्विं आहारेंति, नो अनानुपुव्विं आहारेंति। जाइं भंते! आनुपुव्विं आहारेंति, ताइं किं तिदिसिं आहारेंति जाव छद्दिसिं आहारेंति? गोयमा! नियमा छद्दिसिं आहारेंति।ओसन्नकारणं पडुच्च वण्णओ काल-नीलाइं गंधओ दुब्भिगंधाइं रसतो तित्तरसकडुयाइं फासओ कक्खड-गरुय-सीय-लुक्खाइं, तेसिं पोराणे वण्णगुणे गंधगुणे रसगुणे फासगुणे विप्परिणामइत्ता परिपीलइत्ता परिसाडइत्ता परिविद्धंसइत्ता अण्णे अपुव्वे वण्णगुणे गंधगुणे रसगुणे फासगुणे उप्पाएत्ता आयसरीरखेत्तोगाढे पोग्गले सव्वप्पणयाए आहारमाहरेंति। नेरइया णं भंते! सव्वतो आहारेंति सव्वतो परिणामेंति सव्वओ ऊससंति सव्वओ नीससंति, अभिक्खणं आहारेंति अभिक्खणं परिणामेंति अभिक्खणं ऊससंति अभिक्खणं नीससंति, आहच्च आहारेंति आहच्च परिणामेंति आहच्च ऊससंति आहच्च नीससंति? हंता गोयमा! नेरइया सव्वतो आहारेंति एवं तं चेव जाव आहच्च नीससंति। नेरइया णं भंते! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हंति ते णं तेसिं पोग्गलाणं सेयालंसि कतिभागं आहारेंति? कतिभागं आसाएंति? गोयमा! असंखेज्जतिभागं आहारेंति, अनंतभागं अस्साएंति। नेरइया णं भंते! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हंति ते किं सव्वे आहारेंति नो सव्वे आहारेंति? गोयमा! ते सव्वे अपरिसेसिए आहारेंति। नेरइया णं भंते! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हंति ते णं तेसिं पोग्गला कीसत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति? गोयमा! सोइंदियत्ताए जाव फासिंदियत्ताए अनिट्ठत्ताए अकंतत्ताए अप्पियत्ताए असुभत्ताए अमणुन्नत्ताए अमणामत्ताए अनिच्छियत्ताए अभिज्झियत्ताए अहत्ताए–नो उड्ढत्ताए दुक्खत्ताए–नो सुहत्ताए ते तेसिं, भुज्जो-भुज्जो परिणमंति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! क्या नैरयिक सचित्ताहारी होते हैं, अचित्ताहारी होते हैं या मिश्राहारी ? गौतम ! वे केवल अचित्ताहारी होते हैं। इसी प्रकार असुरकुमारों से वैमानिकों पर्यन्त जानना। औदारिकशरीरी यावत् मनुष्य सचित्ताहारी भी हैं, अचित्ताहारी भी हैं और मिश्राहारी भी हैं। भगवन् ! क्या नैरयिक आहारार्थी होते हैं ? हाँ, गौतम ! होते हैं। भगवन् ! नैरयिकों को कितने काल के पश्चात् आहार की ईच्छा होती है ? गौतम ! नैरयिकों का आहार दो प्रकार का है। आभोगनिर्वर्तित और अनाभोगनिर्वर्तित। जो अनाभोगनिर्वर्तित है, उसकी अभिलाषा प्रति समय निरन्तर उत्पन्न होती रहती है, जो आभोगनिर्वर्तित है, उसकी अभिलाषा असंख्यातसमय के अन्तर्मुहूर्त्त में उत्पन्न होती है। भगवन् ! नैरयिक कौन – सा आहार ग्रहण करते हैं ? गौतम ! द्रव्यतः – अनन्तप्रदेशी पुद्गलों का आहार ग्रहण करते हैं, क्षेत्रतः – असंख्यातप्रदेशों में अवगाढ़, कालतः – किसी भी कालस्थिति वाले और भावतः – वर्णवान्, गन्धवान्, रसवान और स्पर्शवान् पुद्गलों का आहार करते हैं। भगवन् ! भाव से जिन पुद्गलों का आहार करत हैं, क्या वे एक वर्ण वाले यावत् क्या वे पंच वर्ण वाले पुद्गलों का आहार करते हैं ? गौतम ! वे स्थानमार्गणा से एक वर्ण वाले यावत् पाँच वर्ण वाले पुद्गलों का भी आहार करते हैं तथा विधान मार्गणा से काले यावत् शुक्ल वर्णवाले पुद्गलों का भी आहार करते हैं। भगवन् ! वे वर्ण से जिन काले वर्ण वाले पुद्गलों का आहार करते हैं, क्या वे एक गुण यावत् दस गुण काले, संख्यातगुण काले, असंख्यातगुण काले या अनन्तगुण काले वर्ण वाले पुद्गलों का आहार करते हैं ? गौतम! वे एक गुण यावत् अनन्तगुण काले पुद्गलों का भी आहार करते हैं। इसी प्रकार यावत् शुक्लवर्ण में जानना। इसी प्रकार गन्ध और रस की अपेक्षा से भी कहना। जो जीव भाव से स्पर्शवाले पुद्गलों का आहार करते हैं, वे चतुःस्पर्शी यावत् अष्टस्पर्शी पुद्गलों का आहार करते हैं। विधान मार्गणा से कर्कश यावत् रूक्ष पुद्गलों का भी आहार करते हैं। वे जिन कर्कशस्पर्शवाले पुद्गलों का आहार करते हैं, क्या वे एकगुण यावत् अनन्तगुण कर्कशपुद्गलों का आहार करते हैं ? गौतम ! ऐसा ही है। इसी प्रकार आठों ही स्पर्शों के विषय में जानना। भगवन् ! वे जिन अनन्तगुण रूक्षपुद्गलों का आहार करते हैं, क्या वे स्पृष्ट पुद्गलों का आहार करते हैं या अस्पृष्ट पुद्गलों का ? गौतम ! वे स्पृष्ट पुद्गलों का ही आहार करते हैं। भाषा – उद्देशक के समान यावत् नियम से छहों दिशाओं में से आहार करते हैं। बहुल कारण की अपेक्षा से जो वर्ण से काले – नीले, गन्ध से दुर्गन्धवाले, रस से तिक्त और कटुक रसवाले और स्पर्श से कर्कश, गुरु, शीत और रूक्ष स्पर्श हैं, उनके पुराने वर्णगुण, गन्धगुण, रसगुण और स्पर्शगुण का विपरिणन कर, परिपीडन परिशाटन और परिविध्वस्त करके अन्य अपूर्व वर्णगुण, गन्ध गुण, रसगुण और स्पर्शगुण को उत्पन्न करके अपने शरीरक्षेत्र में अवगाहना किये हुए पुद्गलों का पूर्णरूपेण आहार करते हैं। भगवन् ! क्या नैरयिक सर्वतः आहार करते हैं ? पूर्णरूप से परिणत करते हैं ? सर्वतः उच्छ्वास तथा सर्वतः निःश्वास लेते हैं ? बार – बार आहार करते हैं ? बार – बार परिणत करते हैं ? बार – बार उच्छ्वास एवं निःश्वास लेते हैं ? अथवा कभी – कभी आहार करते हैं ? यावत् उच्छ्वास एवं निःश्वास लेते हैं ? हाँ, गौतम ! नैरयिक सर्वतः आहार करते हैं, इसी प्रकार वही पूर्वोक्तवत् यावत् कभी – कभी निःश्वास लेते हैं। नैरयिक जिन पुद्गलों को आहार के रूप में ग्रहण करते हैं, उन पुद्गलों का आगामी काल में असंख्यातवें भाग का आहार करते हैं और अनन्तवें भाग का आस्वादन करते हैं। भगवन् ! नैरयिक जिन पुद्गलों क आहार के रूप में ग्रहण करते हैं, क्या उन सबका आहार कर लेते हैं अथवा सबका नहीं करते ? गौतम ! शेष बचाये बिना उन सबका आहार कर लेते हैं। भगवन् ! नैरयिक जिन पुद्गलों को आहार के रूप में ग्रहण करते हैं, वे उन पुद्गलों को बार – बार किस रूप में परिणत करते हैं ? गौतम ! उन पुद्गलों को श्रोत्रेन्द्रिय यावत् स्पर्शेन्द्रिय रूप में, अनिष्टरूप से, अकान्तरूप से, अप्रियरूप से, अशुभरूप से, अमनोज्ञरूप से, अमनामरूप से, अनिश्चितता से, अनभिलषितरूप से, भारीरूप से, हल्केरूप से नहीं, दुःखरूप से सुखरूप से नहीं, उन सबका बारबार परिणमन करते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] neraiya nam bhamte! Kim sachittahara achittahara mosahara? Goyama! No sachittahara, achittahara, no misahara evam asurakumara java vemaniya. Oraliyasariri java manusa sachittahara vi achittahara vi misahara vi. Neraiya nam bhamte! Aharatthi? Hamta goyama! Aharatthi. Neraiyanam bhamte! Kevatikalassa aharatthe samuppajjati? Goyama! Neraiyanam ahare duvihe pannatte, tam jaha–abhoganivvattie ya anabhoganivvattie ya. Tattha nam jese anabhoganivvattie se nam anusamayamavirahie aharatthe samuppajjati. Tattha nam jese abhoganivvattie se nam asamkhejjasamaie amtomuhuttie aharatthe samuppajjati. Neraiya nam bhamte! Kimaharamaharemti? Goyama! Davvao anamtapadesiyaim davvaim, khettao asamkhejjapadesogadhaim, kalato annatarathitiyaim, bhavao vannamamtaim gamdhamamtaim rasamamtaim phasamamtaim. Jaim bhavao vannamamtaim aharemti taim kim egavannaim aharemti java kim pamchavannaim aharemti? Goyama! Thanamagganam paduchcha egavannaim pi aharemti java pamchavannaim pi aharemti, vihanamagganam paduchcha kalavannaim pi aharemti java sukki laim pi aharemti. Jaim vannao kalavannaim aharemti taim kim egagunakalaim aharemti java dasagunakalaim aharemti? Samkhejjagunakalaim asamkhejjagunalaim anamtagunakalaim aharemti? Goyama! Egaguna-kalaim pi aharemti java anamtagunakalaim pi aharemti. Evam java sukkilaim pi. Evam gamdhao vi rasato vi. Jaim bhavao phasamamtaim taim no egaphasaim aharemti no duphasaim aharemti no tiphasaim aharemti, chauphasaim aharemti java atthaphasaim pi aharemti, vihanamagganam paduchcha kakkhadaim pi aharemti java lukkhaim pi. Jaim phasao kakkhadaim aharemti taim kim egagunakakkhadaim aharemti java anamtaguna-kakkhadaim aharemti? Goyama! Egagunakakkhadaim pi aharemti java anamtagunakakkhadaim pi aharemti. Evam attha vi phasa bhaniyavva java anamtaguna-lukkhaim pi aharemti. Jaim bhamte! Anamtagunalukkhaim aharemti taim kim putthaim aharemti? Aputthaim aharemti? Goyama! Putthaim aharemti no aputthaim aharemti. Jaim bhamte! Putthaim aharemti, taim kim ogadhaim aharemti? Anogadhaim aharemti? Goyama! Ogadhaim aharemti no anogadhaim aharemti. Jaim bhamte! Ogadhaim aharemti, taim kim anamtarogadhaim aharemti? Paramparogadhaim aharemti? Goyama! Anamtarogadhaim aharemti, no paramparogadhaim aharemti. Jaim bhamte! Anamtarogadhaim aharemti, taim kim anuim aharemti? Badaraim aharemti? Goyama! Anuim pi aharemti, badaraim pi aharemti. Jaim bhamte! Anuim pi aharemti, badaraim pi aharemti, taim kim uddham aharemti? Ahe aharemti? Tiriyam aharemti? Goyama! Uddham pi aharemti, ahe vi aharemti, tiriyam pi aharemti. Jaim bhamte! Uddham pi aharemti, ahe vi aharemti, tiriyam pi aharemti, taim kim adim aharemti? Majjhe aharemti? Pajjavasane aharemti? Goyama! Adim pi aharemti, majjhe vi aharemti pajjavasane vi aharemti. Jaim bhamte! Adim pi aharemti, majjhe vi aharemti, pajjavasane vi aharemti, taim kim savisae aharemti? Avisae aharemti? Goyama! Savisae aharemti, no avisae aharemti. Jaim bhamte! Savisae aharemti, taim kim anupuvvim aharemti? Ananupuvvim aharemti? Goyama! Anupuvvim aharemti, no ananupuvvim aharemti. Jaim bhamte! Anupuvvim aharemti, taim kim tidisim aharemti java chhaddisim aharemti? Goyama! Niyama chhaddisim aharemtI.Osannakaranam paduchcha vannao kala-nilaim gamdhao dubbhigamdhaim rasato tittarasakaduyaim phasao kakkhada-garuya-siya-lukkhaim, tesim porane vannagune gamdhagune rasagune phasagune vipparinamaitta paripilaitta parisadaitta parividdhamsaitta anne apuvve vannagune gamdhagune rasagune phasagune uppaetta ayasarirakhettogadhe poggale savvappanayae aharamaharemti. Neraiya nam bhamte! Savvato aharemti savvato parinamemti savvao usasamti savvao nisasamti, abhikkhanam aharemti abhikkhanam parinamemti abhikkhanam usasamti abhikkhanam nisasamti, ahachcha aharemti ahachcha parinamemti ahachcha usasamti ahachcha nisasamti? Hamta goyama! Neraiya savvato aharemti evam tam cheva java ahachcha nisasamti. Neraiya nam bhamte! Je poggale aharattae genhamti te nam tesim poggalanam seyalamsi katibhagam aharemti? Katibhagam asaemti? Goyama! Asamkhejjatibhagam aharemti, anamtabhagam assaemti. Neraiya nam bhamte! Je poggale aharattae genhamti te kim savve aharemti no savve aharemti? Goyama! Te savve aparisesie aharemti. Neraiya nam bhamte! Je poggale aharattae genhamti te nam tesim poggala kisattae bhujjo-bhujjo parinamamti? Goyama! Soimdiyattae java phasimdiyattae anitthattae akamtattae appiyattae asubhattae amanunnattae amanamattae anichchhiyattae abhijjhiyattae ahattae–no uddhattae dukkhattae–no suhattae te tesim, bhujjo-bhujjo parinamamti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Kya nairayika sachittahari hote haim, achittahari hote haim ya mishrahari\? Gautama ! Ve kevala achittahari hote haim. Isi prakara asurakumarom se vaimanikom paryanta janana. Audarikashariri yavat manushya sachittahari bhi haim, achittahari bhi haim aura mishrahari bhi haim. Bhagavan ! Kya nairayika ahararthi hote haim\? Ham, gautama ! Hote haim. Bhagavan ! Nairayikom ko kitane kala ke pashchat ahara ki ichchha hoti hai\? Gautama ! Nairayikom ka ahara do prakara ka hai. Abhoganirvartita aura anabhoganirvartita. Jo anabhoganirvartita hai, usaki abhilasha prati samaya nirantara utpanna hoti rahati hai, jo abhoganirvartita hai, usaki abhilasha asamkhyatasamaya ke antarmuhurtta mem utpanna hoti hai. Bhagavan ! Nairayika kauna – sa ahara grahana karate haim\? Gautama ! Dravyatah – anantapradeshi pudgalom ka ahara grahana karate haim, kshetratah – asamkhyatapradeshom mem avagarha, kalatah – kisi bhi kalasthiti vale aura bhavatah – varnavan, gandhavan, rasavana aura sparshavan pudgalom ka ahara karate haim. Bhagavan ! Bhava se jina pudgalom ka ahara karata haim, kya ve eka varna vale yavat kya ve pamcha varna vale pudgalom ka ahara karate haim\? Gautama ! Ve sthanamargana se eka varna vale yavat pamcha varna vale pudgalom ka bhi ahara karate haim tatha vidhana margana se kale yavat shukla varnavale pudgalom ka bhi ahara karate haim. Bhagavan ! Ve varna se jina kale varna vale pudgalom ka ahara karate haim, kya ve eka guna yavat dasa guna kale, samkhyataguna kale, asamkhyataguna kale ya anantaguna kale varna vale pudgalom ka ahara karate haim\? Gautama! Ve eka guna yavat anantaguna kale pudgalom ka bhi ahara karate haim. Isi prakara yavat shuklavarna mem janana. Isi prakara gandha aura rasa ki apeksha se bhi kahana. Jo jiva bhava se sparshavale pudgalom ka ahara karate haim, ve chatuhsparshi yavat ashtasparshi pudgalom ka ahara karate haim. Vidhana margana se karkasha yavat ruksha pudgalom ka bhi ahara karate haim. Ve jina karkashasparshavale pudgalom ka ahara karate haim, kya ve ekaguna yavat anantaguna karkashapudgalom ka ahara karate haim\? Gautama ! Aisa hi hai. Isi prakara athom hi sparshom ke vishaya mem janana. Bhagavan ! Ve jina anantaguna rukshapudgalom ka ahara karate haim, kya ve sprishta pudgalom ka ahara karate haim ya asprishta pudgalom ka\? Gautama ! Ve sprishta pudgalom ka hi ahara karate haim. Bhasha – uddeshaka ke samana yavat niyama se chhahom dishaom mem se ahara karate haim. Bahula karana ki apeksha se jo varna se kale – nile, gandha se durgandhavale, rasa se tikta aura katuka rasavale aura sparsha se karkasha, guru, shita aura ruksha sparsha haim, unake purane varnaguna, gandhaguna, rasaguna aura sparshaguna ka viparinana kara, paripidana parishatana aura parividhvasta karake anya apurva varnaguna, gandha guna, rasaguna aura sparshaguna ko utpanna karake apane sharirakshetra mem avagahana kiye hue pudgalom ka purnarupena ahara karate haim. Bhagavan ! Kya nairayika sarvatah ahara karate haim\? Purnarupa se parinata karate haim\? Sarvatah uchchhvasa tatha sarvatah nihshvasa lete haim\? Bara – bara ahara karate haim\? Bara – bara parinata karate haim\? Bara – bara uchchhvasa evam nihshvasa lete haim\? Athava kabhi – kabhi ahara karate haim\? Yavat uchchhvasa evam nihshvasa lete haim\? Ham, gautama ! Nairayika sarvatah ahara karate haim, isi prakara vahi purvoktavat yavat kabhi – kabhi nihshvasa lete haim. Nairayika jina pudgalom ko ahara ke rupa mem grahana karate haim, una pudgalom ka agami kala mem asamkhyatavem bhaga ka ahara karate haim aura anantavem bhaga ka asvadana karate haim. Bhagavan ! Nairayika jina pudgalom ka ahara ke rupa mem grahana karate haim, kya una sabaka ahara kara lete haim athava sabaka nahim karate\? Gautama ! Shesha bachaye bina una sabaka ahara kara lete haim. Bhagavan ! Nairayika jina pudgalom ko ahara ke rupa mem grahana karate haim, ve una pudgalom ko bara – bara kisa rupa mem parinata karate haim\? Gautama ! Una pudgalom ko shrotrendriya yavat sparshendriya rupa mem, anishtarupa se, akantarupa se, apriyarupa se, ashubharupa se, amanojnyarupa se, amanamarupa se, anishchitata se, anabhilashitarupa se, bharirupa se, halkerupa se nahim, duhkharupa se sukharupa se nahim, una sabaka barabara parinamana karate haim. |