Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006842 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-२३ कर्मप्रकृति |
Translated Chapter : |
पद-२३ कर्मप्रकृति |
Section : | उद्देशक-२ | Translated Section : | उद्देशक-२ |
Sutra Number : | 542 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] एगिंदिया णं भंते! जीवा नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स किं बंधंति? गोयमा! जहन्नेणं सागरोवमस्स तिन्नि सत्तभागे पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणए, उक्कोसेणं ते चेव पडिपुण्णे बंधंति। एवं निद्दापंचकस्स वि दंसणचउक्कस्स वि। एगिंदिया णं भंते! जीवा सातावेयणिज्जस्स कम्मस्स किं बंधंति? गोयमा! जहन्नेणं सागरोवमस्स दिवड्ढं सत्तभागं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणयं, उक्कोसेणं तं चेव पडिपुण्णं बंधंति। असायावेयणिज्जस्स जहा नाणावरणिज्जस्स। एगिंदिया णं भंते! जीवा सम्मत्तवेयणिज्जस्स कम्मस्स किं बंधंति? गोयमा! नत्थि किंचि बंधंति। एगिंदिया णं भंते! जीवा मिच्छत्तवेयणिज्जस्स कम्मस्स किं बंधंति? गोयमा! जहन्नेणं सागरोवमं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणयं, उक्कोसेणं तं चेव पडिपुण्णं बंधंति। एगिंदिया णं भंते! जीवा सम्मामिच्छत्तवेयणिज्जस्स किं बंधंति? गोयमा! नत्थि किंचि बंधंति। एगिंदिया णं भंते! कसायबारसगस्स किं बंधंति? गोयमा! जहन्नेणं सागरोवमस्स चत्तारि सत्तभागे पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणए, उक्कोसेणं ते चेव पडिपुण्णे बंधंति। एवं कोहसंजलणाए वि जाव लोभसंजलणाए वि। इत्थिवेयस्स जहा सायावेयणिज्जस्स। एगिंदिया पुरिसवेदस्स कम्मस्स जहन्नेणं सागरोवमस्स एक्कं सत्तभागं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणयं, उक्कोसेणं तं चेव पडिपुण्णं बंधंति। एगिंदिया नपुंसगवेदस्स कम्मस्स जहन्नेणं सागरोवमस्स दो सत्तभागे पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणए, उक्कोसेणं ते चेव पडिपुण्णे बंधंति। हासरतीए जहा पुरिसवेयस्स। अरति-भय-सोग-दुगुंछाए जहा नपुंसगवेयस्स। नेरइयाउय देवाउय निरयगतिनाम देवगतिनाम वेउव्वियसरीरनाम आहारगसरीरनाम नेरइया-नुपुव्विणाम देवानुपुव्विनाम तित्थगरनाम एयाणि पयाणि न बंधंति। तिरिक्खजोणियाउयस्स जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडिं सत्तहिं वाससहस्सेहिं वाससहस्सतिभागेण य अहियं बंधंति। एवं मनुस्साउयस्स वि। तिरियगतिनामाए जहा नपुंसगवेदस्स। मनुयगतिनामाए जहा सातावेदणिज्जस्स। एगिंदियजाइनामाए पंचेंदियजातिनामाए य जहा नपुंसगवेदस्स। बेइंदिय-तेइंदियजातिनामाए जहन्नेणं सागरोवमस्स नव पणतीसतिभागे पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊणए, उक्कोसेणं ते चेव पडिपुण्णे बंधंति। चउरिंदियनामाए वि जहन्नेणं सागरोवमस्स णव पणतीसतिभागे पलिओवमस्स असंखेज्जइ-भागेणं ऊणए, उक्कोसेणं ते चेव पडिपुण्णे बंधंति। एवं जत्थ जहन्नगं दो सत्तभागा तिन्नि वा चत्तारि वा सत्तभागा अट्ठावीसतिभागा भवंति तत्थ णं जहन्नेणं ते चेव पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेणं ऊनगा भाणियव्वा, उक्कोसेणं ते चेव पडिपुण्णे बंधंति। जत्थ णं जहन्नेणं एगो वा दिवड्ढो वा सत्तभागो तत्थ जहन्नेणं तं चेव भाणियव्वं, उक्कोसेणं तं चेव पडिपुण्णं बंधंति। जसोकित्ति-उच्चागोयाणं जहन्नेणं सागरोवमस्स एगं सत्तभागं पलिओवमस्स असंखेज्जइ-भागेणं ऊणयं, उक्कोसेणं तं चेव पडिपुण्णं बंधंति। अंतराइयस्स णं भंते! पुच्छा। गोयमा! जहा नाणावरणिज्जस्स जाव उक्कोसेणं ते चेव पडिपुण्णे बंधंति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! एकेन्द्रिय जीव ज्ञानावरणीयकर्म कितने काल का बाँधते हैं ? गौतम ! जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के तीन सप्तमांश और उत्कृष्ट पूरे सागरोपम के तीन सप्तमांश भाग का। इसी प्रकार निद्रापंचक और दर्शनचतुष्क का बन्ध भी जानना। एकेन्द्रिय जीव सातावेदनीयकर्म का जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के देढ़ सप्तमांश और उत्कृष्ट पूरे सागरोपम के देढ़ सप्तमांश भाग का बन्ध करते हैं। असातावेदनीय का बन्ध ज्ञानावरणीय के समान जानना। एकेन्द्रिय जीव सम्यक्त्ववेदनीय कर्म नहीं बाँधते। मिथ्यात्ववेदनीय कर्म ? जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम एक सागरोपम काल का और उत्कृष्ट एक परिपूर्ण सागरोपम का बाँधते हैं। एकेन्द्रिय जीव सम्यग्मिथ्यात्ववेदनीय नहीं बाँधते। भगवन् ! एकेन्द्रिय जीव कषायद्वादशक का कितने काल का बन्ध करते हैं ? गौतम ! वे जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के चार सप्तमांश भाग और उत्कृष्ट वहीं चार सप्तमांश परिपूर्ण बाँधते हैं। इसी प्रकार यावत् संज्वलन क्रोध से लेकर यावत् संज्वलन लोभ तक बाँधते हैं। स्त्रीवेद का बन्धकाल सातावेदनीय के समान जानना। एकेन्द्रिय जीव जघन्यतः पुरुषवेदकर्म का पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम का एक सप्तमांश भाग बाँधते हैं और उत्कृष्टतः वही एक सप्तमांश भाग पूरा बाँधते हैं। एकेन्द्रिय जीव नपुंसकवेदकर्म का जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम का दो सप्तमांश भाग बाँधते हैं और उत्कृष्ट वही दो सप्तमांश भाग परिपूर्ण बाँधते हैं। हास्य और रति का बन्धकाल पुरुषवेद के समान जानना। अरति, भय, शोक और जुगुप्सा का बन्धकाल नपुंसकवेद के समान जानना। नरकायु, देवायु, नरकगतिनाम, देवगतिनाम, वैक्रिय – शरीरनाम, आहारकशरीरनाम, नरकानुपूर्वीनाम, देवानुपूर्वीनाम, तीर्थंकरनाम, इन नौ पदों को एकेन्द्रिय जीव नहीं बाँधते। एकेन्द्रिय जीव तिर्यंचायु का जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त का, उत्कृष्ट सात हजार तथा एक हजार वर्ष का तृतीय भाग अधिक करोड़ पूर्व का बन्ध करते हैं। मनुष्यायु का बन्ध भी इसी प्रकार समझना। तिर्यंचगतिनाम का बन्धकाल नपुंसकवेद के समान है तथा मनुष्यगतिनाम का बन्धकाल सातावेदनीय के समान है। एकेन्द्रियजाति – नाम और पंचेन्द्रियजाति – नाम का बन्धकाल नपुंसकवेद के समान जानना तथा द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जाति – नाम का बंध जघन्य पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम का नव पैतीशांश और उत्कृष्ट वही नव पैतीशांश भाग पूरे बाँधते हैं। जहाँ जघन्यतः दो सप्तमांश भाग, तीन सप्तमांश भाग या चार सप्तमांश भाग अथवा पाँच – छ और सात अट्ठावीशांश भाग कहे हैं, वहाँ वे ही भाग जघन्य रूप से पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम कहना और उत्कृष्ट रूप में परिपूर्ण भाग समझना। इसी प्रकार जहाँ जघन्य रूप से एक सप्तमांश या देढ़ सप्तमांश भाग है, वहाँ जघन्य रूप से वही भाग कहना और उत्कृष्ट रूप से वही भाग परिपूर्ण कहना यशःकीर्तिनाम और उच्चगोत्र का एकेन्द्रिय जीव जघन्यतः पल्योपम के असंख्यातवें भाग कम सागरोपम के एक सप्तमांश भाग का एवं उत्कृष्टतः सागरोपम के पूर्ण एक सप्तमांश भाग का बन्ध करते हैं। एकेन्द्रिय जीव का अन्तरायकर्म का जघन्य और उत्कृष्ट बन्धकाल ज्ञानावरणीय कर्म के समान जानना। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] egimdiya nam bhamte! Jiva nanavaranijjassa kammassa kim bamdhamti? Goyama! Jahannenam sagarovamassa tinni sattabhage paliovamassa asamkhejjaibhagenam unae, ukkosenam te cheva padipunne bamdhamti. Evam niddapamchakassa vi damsanachaukkassa vi. Egimdiya nam bhamte! Jiva sataveyanijjassa kammassa kim bamdhamti? Goyama! Jahannenam sagarovamassa divaddham sattabhagam paliovamassa asamkhejjaibhagenam unayam, ukkosenam tam cheva padipunnam bamdhamti. Asayaveyanijjassa jaha nanavaranijjassa. Egimdiya nam bhamte! Jiva sammattaveyanijjassa kammassa kim bamdhamti? Goyama! Natthi kimchi bamdhamti. Egimdiya nam bhamte! Jiva michchhattaveyanijjassa kammassa kim bamdhamti? Goyama! Jahannenam sagarovamam paliovamassa asamkhejjaibhagenam unayam, ukkosenam tam cheva padipunnam bamdhamti. Egimdiya nam bhamte! Jiva sammamichchhattaveyanijjassa kim bamdhamti? Goyama! Natthi kimchi bamdhamti. Egimdiya nam bhamte! Kasayabarasagassa kim bamdhamti? Goyama! Jahannenam sagarovamassa chattari sattabhage paliovamassa asamkhejjaibhagenam unae, ukkosenam te cheva padipunne bamdhamti. Evam kohasamjalanae vi java lobhasamjalanae vi. Itthiveyassa jaha sayaveyanijjassa. Egimdiya purisavedassa kammassa jahannenam sagarovamassa ekkam sattabhagam paliovamassa asamkhejjaibhagenam unayam, ukkosenam tam cheva padipunnam bamdhamti. Egimdiya napumsagavedassa kammassa jahannenam sagarovamassa do sattabhage paliovamassa asamkhejjaibhagenam unae, ukkosenam te cheva padipunne bamdhamti. Hasaratie jaha purisaveyassa. Arati-bhaya-soga-dugumchhae jaha napumsagaveyassa. Neraiyauya devauya nirayagatinama devagatinama veuvviyasariranama aharagasariranama neraiya-nupuvvinama devanupuvvinama titthagaranama eyani payani na bamdhamti. Tirikkhajoniyauyassa jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam puvvakodim sattahim vasasahassehim vasasahassatibhagena ya ahiyam bamdhamti. Evam manussauyassa vi. Tiriyagatinamae jaha napumsagavedassa. Manuyagatinamae jaha satavedanijjassa. Egimdiyajainamae pamchemdiyajatinamae ya jaha napumsagavedassa. Beimdiya-teimdiyajatinamae jahannenam sagarovamassa nava panatisatibhage paliovamassa asamkhejjaibhagenam unae, ukkosenam te cheva padipunne bamdhamti. Chaurimdiyanamae vi jahannenam sagarovamassa nava panatisatibhage paliovamassa asamkhejjai-bhagenam unae, ukkosenam te cheva padipunne bamdhamti. Evam jattha jahannagam do sattabhaga tinni va chattari va sattabhaga atthavisatibhaga bhavamti tattha nam jahannenam te cheva paliovamassa asamkhejjaibhagenam unaga bhaniyavva, ukkosenam te cheva padipunne bamdhamti. Jattha nam jahannenam ego va divaddho va sattabhago tattha jahannenam tam cheva bhaniyavvam, ukkosenam tam cheva padipunnam bamdhamti. Jasokitti-uchchagoyanam jahannenam sagarovamassa egam sattabhagam paliovamassa asamkhejjai-bhagenam unayam, ukkosenam tam cheva padipunnam bamdhamti. Amtaraiyassa nam bhamte! Puchchha. Goyama! Jaha nanavaranijjassa java ukkosenam te cheva padipunne bamdhamti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Ekendriya jiva jnyanavaraniyakarma kitane kala ka bamdhate haim\? Gautama ! Jaghanya palyopama ke asamkhyatavem bhaga kama sagaropama ke tina saptamamsha aura utkrishta pure sagaropama ke tina saptamamsha bhaga ka. Isi prakara nidrapamchaka aura darshanachatushka ka bandha bhi janana. Ekendriya jiva satavedaniyakarma ka jaghanya palyopama ke asamkhyatavem bhaga kama sagaropama ke derha saptamamsha aura utkrishta pure sagaropama ke derha saptamamsha bhaga ka bandha karate haim. Asatavedaniya ka bandha jnyanavaraniya ke samana janana. Ekendriya jiva samyaktvavedaniya karma nahim bamdhate. Mithyatvavedaniya karma\? Jaghanya palyopama ke asamkhyatavem bhaga kama eka sagaropama kala ka aura utkrishta eka paripurna sagaropama ka bamdhate haim. Ekendriya jiva samyagmithyatvavedaniya nahim bamdhate. Bhagavan ! Ekendriya jiva kashayadvadashaka ka kitane kala ka bandha karate haim\? Gautama ! Ve jaghanya palyopama ke asamkhyatavem bhaga kama sagaropama ke chara saptamamsha bhaga aura utkrishta vahim chara saptamamsha paripurna bamdhate haim. Isi prakara yavat samjvalana krodha se lekara yavat samjvalana lobha taka bamdhate haim. Striveda ka bandhakala satavedaniya ke samana janana. Ekendriya jiva jaghanyatah purushavedakarma ka palyopama ke asamkhyatavem bhaga kama sagaropama ka eka saptamamsha bhaga bamdhate haim aura utkrishtatah vahi eka saptamamsha bhaga pura bamdhate haim. Ekendriya jiva napumsakavedakarma ka jaghanya palyopama ke asamkhyatavem bhaga kama sagaropama ka do saptamamsha bhaga bamdhate haim aura utkrishta vahi do saptamamsha bhaga paripurna bamdhate haim. Hasya aura rati ka bandhakala purushaveda ke samana janana. Arati, bhaya, shoka aura jugupsa ka bandhakala napumsakaveda ke samana janana. Narakayu, devayu, narakagatinama, devagatinama, vaikriya – shariranama, aharakashariranama, narakanupurvinama, devanupurvinama, tirthamkaranama, ina nau padom ko ekendriya jiva nahim bamdhate. Ekendriya jiva tiryamchayu ka jaghanya antarmuhurtta ka, utkrishta sata hajara tatha eka hajara varsha ka tritiya bhaga adhika karora purva ka bandha karate haim. Manushyayu ka bandha bhi isi prakara samajhana. Tiryamchagatinama ka bandhakala napumsakaveda ke samana hai tatha manushyagatinama ka bandhakala satavedaniya ke samana hai. Ekendriyajati – nama aura pamchendriyajati – nama ka bandhakala napumsakaveda ke samana janana tatha dvindriya, trindriya aura chaturindriya jati – nama ka bamdha jaghanya palyopama ke asamkhyatavem bhaga kama sagaropama ka nava paitishamsha aura utkrishta vahi nava paitishamsha bhaga pure bamdhate haim. Jaham jaghanyatah do saptamamsha bhaga, tina saptamamsha bhaga ya chara saptamamsha bhaga athava pamcha – chha aura sata atthavishamsha bhaga kahe haim, vaham ve hi bhaga jaghanya rupa se palyopama ke asamkhyatavem bhaga kama kahana aura utkrishta rupa mem paripurna bhaga samajhana. Isi prakara jaham jaghanya rupa se eka saptamamsha ya derha saptamamsha bhaga hai, vaham jaghanya rupa se vahi bhaga kahana aura utkrishta rupa se vahi bhaga paripurna kahana yashahkirtinama aura uchchagotra ka ekendriya jiva jaghanyatah palyopama ke asamkhyatavem bhaga kama sagaropama ke eka saptamamsha bhaga ka evam utkrishtatah sagaropama ke purna eka saptamamsha bhaga ka bandha karate haim. Ekendriya jiva ka antarayakarma ka jaghanya aura utkrishta bandhakala jnyanavaraniya karma ke samana janana. |