Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006785 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-१८ कायस्थिति |
Translated Chapter : |
पद-१८ कायस्थिति |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 485 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] सागारोवउत्ते णं भंते! सागारोवउत्ते त्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं। अनागारोवउत्ते वि एवं चेव। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! साकारोपयोगयुक्त जीव निरन्तर कितने काल तक साकारोपयोगयुक्तरूप में बना रहता है ? गौतम ! जघन्य और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त तक। अनाकारोपयोगयुक्त जीव भी इसी प्रकार जघन्य और उत्कृष्ट अन्त – र्मुहूर्त्त तक रहता है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] sagarovautte nam bhamte! Sagarovautte tti kalao kevachiram hoi? Goyama! Jahannena vi ukkosena vi amtomuhuttam. Anagarovautte vi evam cheva. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Sakaropayogayukta jiva nirantara kitane kala taka sakaropayogayuktarupa mem bana rahata hai\? Gautama ! Jaghanya aura utkrishta antarmuhurtta taka. Anakaropayogayukta jiva bhi isi prakara jaghanya aura utkrishta anta – rmuhurtta taka rahata hai. |