Sutra Navigation: Pragnapana ( प्रज्ञापना उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006517 | ||
Scripture Name( English ): | Pragnapana | Translated Scripture Name : | प्रज्ञापना उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
पद-२ स्थान |
Translated Chapter : |
पद-२ स्थान |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 217 | Category : | Upang-04 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] कहि णं भंते! वाणमंतराणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता? कहि णं भंते! वाणमंतरा देवा परिवसंति? गोयमा! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए रयणामयस्स कंडस्स जोयणसहस्सबाहल्लस्स उवरिं एगं जोयणसतं ओगाहित्ता हेट्ठा वि एगं जोयणसतं वज्जेत्ता मज्झे अट्ठसु जोयणसएसु, एत्थ णं वाणमंतराणं देवाणं तिरियमसंखेज्जा भोमेज्जनगरावाससतसहस्सा भवंतीति मक्खातं। ते णं भोमेज्जा नगरा बाहिं वट्टा अंतो चउरंसा अहे पुक्खरकण्णियासंठाणसंठिता उक्किन्नंतरविउलगंभीरखायपरिहा पागारट्टालय कबाड तोरण पडिदुवारदेसभागा जंत सयग्घि मुसल मुसुंढिपरिवारिया अओज्झा सदाजता सदागुत्ता अडयालकोट्ठगरइया अडयालकयवणमाला खेमा सिवा किंकरामरदंडोवरक्खिया लाउल्लोइयमहिया गोसीस सरसरत्तचंदणदद्दरदिन्नपंचंगुलितला उवचितवंदनकलसा वंदनघडसुकयतोरणपडिदुवारदेसभागा आसत्तोसत्तविउलवट्टवग्घारियमल्ल-दामकलावा पंचवण्णसरससुरभिमुक्कपुप्फपुंजोवयारकलिया कालागरु पवरकुंदुरुक्क तुरुक्कधूव मघमघेंतगंधुद्धूयाभिरामा सुगंध वरगंध गंधिया गंधवट्टिभूता अच्छरगण-संघसंविकिण्णा दिव्वतुडित-सद्दसंपणदिता पडागमालाउलाभिरामा सव्वरयणामया अच्छा सण्हा लण्हा धट्ठा मट्ठा नीरया निम्मला निप्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पभा सस्सिरीया सउज्जोता पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा, एत्थ णं वाणमंतराणं देवाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं ठाणा पन्नत्ता। तिसु वि लोगस्स असंखेज्जइभागे। तत्थ णं बहवे वाणमंतरा देवा परिवसंति, तं जहा–पिसाया भूया जक्खा रक्खसा किंपुरिसा, भयगवइणो य महाकाया, गंधव्वगणा य निउणगंधव्वगीतरइणो अणवण्णिय-पणवण्णिय-इसिवा-इय भूयवाइय कंदित महाकंदिय कुहंड पयगदेवा चंचलचलचवलचित्तकीलण दवप्पिया गहिरहसिय गीय नच्चणरई वणमालामेल-मउल-कुंडल-सच्छंदविउव्वियाभरणचारुभूसणधरा सव्वोउयसुरभि-कुसुमसुरइयपलंबसोहंतकंतवियसंताचित्तवणमालरइयवच्छा काम गमा कामरूवदेहधारी नानाविह-वण्णरागवरवत्थ-चित्तचिल्लगणियंसणा विविहदेसिणेवच्छगहियवेसा पमुइयकंदप्प कलह केलि कोलाहलप्पिया हासबोलबहुला असि-मोग्गर-सत्तिकुंतहत्था अनेगमणि रयणविविहनिजुत्तविचित्त-चिंधगया सुरूवा महिड्ढीया महज्जुतीया महायसा महाबला महाणुभाया महासोक्खा हारविराइय-वच्छा कडय तुडितथंभियभुया अंगय कुंडल मट्ठगंडयलकण्णपीढधारी विचित्तहत्थाभरणा विचित्त-मालामउली कल्लाणग पवरवत्थपरिहिया कल्लाणगपवरमल्लाणुलेवणधरा भासुरबोंदी पलंबवण-मालधरा दिव्वेणं वण्णेणं दिव्वेणं गंधेणं दिव्वेणं फासेणं दिव्वेणं संघयणेणं दिव्वेणं संठाणेणं दिव्वाए इड्ढीए दिव्वाए जुतीए दिव्वाए पभाए दिव्वाए छायाए दिव्वाए अच्चीए दिव्वेणं तेएणं दिव्वाए लेस्साए दस दिसाओ उज्जोवेमाणा पभासेमाणा। ते णं तत्थ साणं-साणं भोमेज्जगनगरावाससतसहस्साणं साणं-साणं सामानियसाहस्सीणं साणं-साणं अग्गमहिसीणं साणं-साणं परिसाणं साणं-साणं अनियाणं साणं-साणं अनियाधिवतीणं साणं-साणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसिं च बहूणं वाणमंतराणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं आणाईसरसेनावच्चं कारेमाणा पालेमाणा महयाहतनट्ट-गीय-वाइयतंती-तल-ताल-तुडिय-घनमुइंगपडुप्पवाइयरवेणं दिव्वाइं भोगभोगाइं भुंजमाणा विहरंति। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! पर्याप्त और अपर्याप्त वाणव्यन्तर देवों के स्थान कहाँ हैं ? गौतम ! इस रत्नप्रभापृथ्वी के एक हजार योजन मोटे रत्नमय काण्ड के ऊपर तथा नीचे भी एक सौ योजन छोड़कर, बीच में आठ सौ योजन में, वाण – व्यन्तर देवों के तीरछे असंख्यात भौमेय लाखों नगरावास हैं। वे भौमेयनगर बाहर से गोल और अंदर से चौरस तथा नीचे से कमल की कर्णिका के आकार में संस्थित हैं। इत्यादि वर्णन भवनवासी के भवन समान समझना। इनमें पर्याप्त और अपर्याप्त वाणव्यन्तर देवों के स्थान हैं। वे स्थान तीनों अपेक्षाओं से लोक के असंख्यातवें भाग में हैं; जहाँ कि बहुत – से वाणव्यन्तर देव निवास करते हैं। वे इस प्रकार हैं – पिशाच, भूत, यक्ष, राक्षस, किन्नर, किम्पुरुष, महाकाय भुजगपति तथा गन्धर्वगण। (इनके आठ अवान्तर भेद – ) अणपर्णिक, पणपर्णिक, ऋषिवादित, भूत – वादित, क्रन्दित, महाक्रन्दित, कूष्माण्ड और पतंगदेव हैं। ये चंचल, चपल, क्रीडा – तत्पर और परिहास – प्रिय होते हैं। गंभीर हास्य, गीत और नृत्य में इनकी अनुरक्ति है। वनमाला, कलंगी, मुकुट, कुण्डल तथा ईच्छानुसार विकुर्वित आभूषणों से वे भलीभाँति मण्डित रहते हैं। सुगन्धित पुष्पों से सुरचित, लम्बी शोभनीय, सुन्दर एवं खिलती हुई विचित्र वनमाला से वक्षःस्थल सुशोभित रहता है। अपनी कामनानुसार काम – भोगों का सेवन करने वाले, ईच्छानुसार रूप एवं देह के धारक, विविध वर्णों वाले, श्रेष्ठ विचित्र चमकीले वस्त्रों के धारक, विविध देशों की वेशभूषा धारण करने वाले होते हैं, इन्हें प्रमोद, कन्दर्प, कलह, केलि और कोलाहल प्रिय है। इनमें हास्य और विवाद बहुत होता है। इनके हाथों में खड्ग, मुद्गर, शक्ति और भाले रहते हैं। अनेक मणियों और रत्नों के विविधचिह्न वाले होते हैं। महर्द्धिक, महाद्युतिमान, महायशस्वी, महाबली, महानुभाव या महासामर्थ्यशाली, महासुखी, हार से सुशोभित वक्षःस्थल वाले हैं। कड़े और बाजूबंद से इनकी भुजाएं मानो स्तब्ध रहती हैं। अंगद और कुण्डल इनके कपोल – स्थल को स्पर्श किये रहते हैं। ये कानों में कर्णपीठ धारण किये रहते हैं, इनके हाथों में विचित्र आभूषण एवं मस्तक में विचित्र मालाएं होती हैं। ये कल्याणकारी उत्तम वस्त्र पहने हुए तथा कल्याणकारी माला एवं अनुलेपन धारण किये रहते हैं। इनके शरीर अत्यन्त देदीप्यमान होते हैं। ये लम्बी वनमालाएं धारण करते हैं तथा दिव्य वर्ण – गन्ध – स्पर्श – संहनन – संस्थान – ऋद्धि – द्युति – प्रभा – छाया – अर्चि – तेज एवं दिव्य लेश्या से दिशाओं को उद्योतित एवं प्रभासित करते हुए वे वहाँ अपने – अपने लाखों भौमेय नगरवासों का, हजारों सामानिक देवों का, अग्रमहिषियों का, परिषदों का, सेनाओं का, सेनाधिपति देवों का, आत्मरक्षक देवों का और अन्य बहुत – से वाणव्यन्तर देवों और देवियों का आधिपत्य, पौरपत्य, स्वामित्व, भर्तृत्व, महत्तरकत्व, आज्ञैश्वरत्व एवं सेनापतित्व करते – कराते तथा उनका पालन करते – कराते हुए वे महान् उत्सव के साथ नृत्य, गीत और वीणा, तल, ताल, त्रुटित, घनमृदंग आदि वाद्यों को बजाने से उत्पन्न महाध्वनि के साथ दिव्य भोगों को भोगते हुए रहते हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] kahi nam bhamte! Vanamamtaranam devanam pajjattapajjattanam thana pannatta? Kahi nam bhamte! Vanamamtara deva parivasamti? Goyama! Imise rayanappabhae pudhavie rayanamayassa kamdassa joyanasahassabahallassa uvarim egam joyanasatam ogahitta hettha vi egam joyanasatam vajjetta majjhe atthasu joyanasaesu, ettha nam vanamamtaranam devanam tiriyamasamkhejja bhomejjanagaravasasatasahassa bhavamtiti makkhatam. Te nam bhomejja nagara bahim vatta amto chauramsa ahe pukkharakanniyasamthanasamthita ukkinnamtaraviulagambhirakhayapariha pagarattalaya kabada torana padiduvaradesabhaga jamta sayagghi musala musumdhiparivariya aojjha sadajata sadagutta adayalakotthagaraiya adayalakayavanamala khema siva kimkaramaradamdovarakkhiya laulloiyamahiya gosisa sarasarattachamdanadaddaradinnapamchamgulitala uvachitavamdanakalasa vamdanaghadasukayatoranapadiduvaradesabhaga asattosattaviulavattavagghariyamalla-damakalava pamchavannasarasasurabhimukkapupphapumjovayarakaliya kalagaru pavarakumdurukka turukkadhuva maghamaghemtagamdhuddhuyabhirama sugamdha varagamdha gamdhiya gamdhavattibhuta achchharagana-samghasamvikinna divvatudita-saddasampanadita padagamalaulabhirama savvarayanamaya achchha sanha lanha dhattha mattha niraya nimmala nippamka nikkamkadachchhaya sappabha sassiriya saujjota pasadiya darisanijja abhiruva padiruva, ettha nam vanamamtaranam devanam pajjattapajjattanam thana pannatta. Tisu vi logassa asamkhejjaibhage. Tattha nam bahave vanamamtara deva parivasamti, tam jaha–pisaya bhuya jakkha rakkhasa kimpurisa, bhayagavaino ya mahakaya, gamdhavvagana ya niunagamdhavvagitaraino anavanniya-panavanniya-isiva-iya bhuyavaiya kamdita mahakamdiya kuhamda payagadeva chamchalachalachavalachittakilana davappiya gahirahasiya giya nachchanarai vanamalamela-maula-kumdala-sachchhamdaviuvviyabharanacharubhusanadhara savvouyasurabhi-kusumasuraiyapalambasohamtakamtaviyasamtachittavanamalaraiyavachchha kama gama kamaruvadehadhari nanaviha-vannaragavaravattha-chittachillaganiyamsana vivihadesinevachchhagahiyavesa pamuiyakamdappa kalaha keli kolahalappiya hasabolabahula asi-moggara-sattikumtahattha anegamani rayanavivihanijuttavichitta-chimdhagaya suruva mahiddhiya mahajjutiya mahayasa mahabala mahanubhaya mahasokkha haraviraiya-vachchha kadaya tuditathambhiyabhuya amgaya kumdala matthagamdayalakannapidhadhari vichittahatthabharana vichitta-malamauli kallanaga pavaravatthaparihiya kallanagapavaramallanulevanadhara bhasurabomdi palambavana-maladhara divvenam vannenam divvenam gamdhenam divvenam phasenam divvenam samghayanenam divvenam samthanenam divvae iddhie divvae jutie divvae pabhae divvae chhayae divvae achchie divvenam teenam divvae lessae dasa disao ujjovemana pabhasemana. Te nam tattha sanam-sanam bhomejjaganagaravasasatasahassanam sanam-sanam samaniyasahassinam sanam-sanam aggamahisinam sanam-sanam parisanam sanam-sanam aniyanam sanam-sanam aniyadhivatinam sanam-sanam ayarakkhadevasahassinam annesim cha bahunam vanamamtaranam devana ya devina ya ahevachcham porevachcham samittam bhattittam mahattaragattam anaisarasenavachcham karemana palemana mahayahatanatta-giya-vaiyatamti-tala-tala-tudiya-ghanamuimgapaduppavaiyaravenam divvaim bhogabhogaim bhumjamana viharamti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Paryapta aura aparyapta vanavyantara devom ke sthana kaham haim\? Gautama ! Isa ratnaprabhaprithvi ke eka hajara yojana mote ratnamaya kanda ke upara tatha niche bhi eka sau yojana chhorakara, bicha mem atha sau yojana mem, vana – vyantara devom ke tirachhe asamkhyata bhaumeya lakhom nagaravasa haim. Ve bhaumeyanagara bahara se gola aura amdara se chaurasa tatha niche se kamala ki karnika ke akara mem samsthita haim. Ityadi varnana bhavanavasi ke bhavana samana samajhana. Inamem paryapta aura aparyapta vanavyantara devom ke sthana haim. Ve sthana tinom apekshaom se loka ke asamkhyatavem bhaga mem haim; jaham ki bahuta – se vanavyantara deva nivasa karate haim. Ve isa prakara haim – pishacha, bhuta, yaksha, rakshasa, kinnara, kimpurusha, mahakaya bhujagapati tatha gandharvagana. (inake atha avantara bheda – ) anaparnika, panaparnika, rishivadita, bhuta – vadita, krandita, mahakrandita, kushmanda aura patamgadeva haim. Ye chamchala, chapala, krida – tatpara aura parihasa – priya hote haim. Gambhira hasya, gita aura nritya mem inaki anurakti hai. Vanamala, kalamgi, mukuta, kundala tatha ichchhanusara vikurvita abhushanom se ve bhalibhamti mandita rahate haim. Sugandhita pushpom se surachita, lambi shobhaniya, sundara evam khilati hui vichitra vanamala se vakshahsthala sushobhita rahata hai. Apani kamananusara kama – bhogom ka sevana karane vale, ichchhanusara rupa evam deha ke dharaka, vividha varnom vale, shreshtha vichitra chamakile vastrom ke dharaka, vividha deshom ki veshabhusha dharana karane vale hote haim, inhem pramoda, kandarpa, kalaha, keli aura kolahala priya hai. Inamem hasya aura vivada bahuta hota hai. Inake hathom mem khadga, mudgara, shakti aura bhale rahate haim. Aneka maniyom aura ratnom ke vividhachihna vale hote haim. Maharddhika, mahadyutimana, mahayashasvi, mahabali, mahanubhava ya mahasamarthyashali, mahasukhi, hara se sushobhita vakshahsthala vale haim. Kare aura bajubamda se inaki bhujaem mano stabdha rahati haim. Amgada aura kundala inake kapola – sthala ko sparsha kiye rahate haim. Ye kanom mem karnapitha dharana kiye rahate haim, inake hathom mem vichitra abhushana evam mastaka mem vichitra malaem hoti haim. Ye kalyanakari uttama vastra pahane hue tatha kalyanakari mala evam anulepana dharana kiye rahate haim. Inake sharira atyanta dedipyamana hote haim. Ye lambi vanamalaem dharana karate haim tatha divya varna – gandha – sparsha – samhanana – samsthana – riddhi – dyuti – prabha – chhaya – archi – teja evam divya leshya se dishaom ko udyotita evam prabhasita karate hue ve vaham apane – apane lakhom bhaumeya nagaravasom ka, hajarom samanika devom ka, agramahishiyom ka, parishadom ka, senaom ka, senadhipati devom ka, atmarakshaka devom ka aura anya bahuta – se vanavyantara devom aura deviyom ka adhipatya, paurapatya, svamitva, bhartritva, mahattarakatva, ajnyaishvaratva evam senapatitva karate – karate tatha unaka palana karate – karate hue ve mahan utsava ke satha nritya, gita aura vina, tala, tala, trutita, ghanamridamga adi vadyom ko bajane se utpanna mahadhvani ke satha divya bhogom ko bhogate hue rahate haim. |