Sutra Navigation: Jivajivabhigam ( जीवाभिगम उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1006150 | ||
Scripture Name( English ): | Jivajivabhigam | Translated Scripture Name : | जीवाभिगम उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
षडविध जीव प्रतिपत्ति |
Translated Chapter : |
षडविध जीव प्रतिपत्ति |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 350 | Category : | Upang-03 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] पज्जत्तगाणं सव्वेसिं एवं पुढविकाइयस्स णं भंते केवतियं कालं अंतरं होति गोयमा जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो एवं आउ तेउ वाउकाइयाणं वणस्सइकालो तसकाइयाणवि वणस्सइकाइयस्स पुढविकाइयकालो एवं अपज्जत्तगाणवि वणस्सइकालो वणस्सईणं पुढविकालो, पज्जत्तगाणवि एवं चेव वणस्सइकालो पज्जत्तवणस्सईणं पुढविकालो। पुढविक्काइयपज्जत्तए णं भंते! पुढविक्काइयपज्जत्तएत्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जाइं वाससहस्साइं। एवं आऊवि। तेउक्काइयपज्जत्तए णं भंते! तेउक्काइयपज्जत्तएत्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जाइं राइंदियाइं। वाउक्काइयपज्जत्तए णं भंते! वाउक्काइयपज्जत्तएत्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जाइं वाससहस्साइं। वणस्सइकाइयपज्जत्तए णं भंते! वणस्सइकाइयपज्जत्तएत्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं संखेज्जाइं वाससहस्साइं। तसकाइयपज्जत्तए णं भंते! तसकाइयपज्जत्तएत्ति कालओ केवचिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सागरोवमसयपुहत्तं सातिरेगं। अंतरं पुच्छा। गोयमा! पुढवीणं वणस्सतिकालो जाव वाऊणं। वणस्सतीणं पुढविकालो। तसस्स वणस्सतिकालो एवं अपज्जत्ताणं एवं पज्जत्ताणं अंतरं। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! पृथ्वीकाय का अन्तर कितना है ? गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त और उत्कृष्ट से वनस्पतिकाल है। इसी प्रकार यावत् वायुकाय का अन्तर वनस्पतिकाल है। त्रसकायिकों का अन्तर भी वनस्पतिकाल है। वनस्पति – काल का अन्तर पृथ्वीकायिक कालप्रमाण (असंख्येयकाल) है। इसी प्रकार अपर्याप्तकों का अन्तरकाल वनस्पति – काल है। अपर्याप्त वनस्पति का अन्तर पृथ्वीकाल है। पर्याप्तकों का अन्तर वनस्पतिकाल है। पर्याप्त वनस्पति का अन्तर पृथ्वीकाल है। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] pajjattaganam savvesim evam pudhavikaiyassa nam bhamte kevatiyam kalam amtaram hoti goyama jahannenam amtomuhuttam ukkosenam vanassatikalo evam au teu vaukaiyanam vanassaikalo tasakaiyanavi vanassaikaiyassa pudhavikaiyakalo evam apajjattaganavi vanassaikalo vanassainam pudhavikalo, pajjattaganavi evam cheva vanassaikalo pajjattavanassainam pudhavikalo. Pudhavikkaiyapajjattae nam bhamte! Pudhavikkaiyapajjattaetti kalao kevachiram hoi? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam samkhejjaim vasasahassaim. Evam auvi. Teukkaiyapajjattae nam bhamte! Teukkaiyapajjattaetti kalao kevachiram hoi? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam samkhejjaim raimdiyaim. Vaukkaiyapajjattae nam bhamte! Vaukkaiyapajjattaetti kalao kevachiram hoi? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam samkhejjaim vasasahassaim. Vanassaikaiyapajjattae nam bhamte! Vanassaikaiyapajjattaetti kalao kevachiram hoi? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam ukkosenam samkhejjaim vasasahassaim. Tasakaiyapajjattae nam bhamte! Tasakaiyapajjattaetti kalao kevachiram hoi? Goyama! Jahannenam amtomuhuttam, ukkosenam sagarovamasayapuhattam satiregam. Amtaram puchchha. Goyama! Pudhavinam vanassatikalo java vaunam. Vanassatinam pudhavikalo. Tasassa vanassatikalo evam apajjattanam evam pajjattanam amtaram. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Prithvikaya ka antara kitana hai\? Gautama ! Jaghanya antarmuhurtta aura utkrishta se vanaspatikala hai. Isi prakara yavat vayukaya ka antara vanaspatikala hai. Trasakayikom ka antara bhi vanaspatikala hai. Vanaspati – kala ka antara prithvikayika kalapramana (asamkhyeyakala) hai. Isi prakara aparyaptakom ka antarakala vanaspati – kala hai. Aparyapta vanaspati ka antara prithvikala hai. Paryaptakom ka antara vanaspatikala hai. Paryapta vanaspati ka antara prithvikala hai. |