Sutra Navigation: Rajprashniya ( राजप्रश्नीय उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005739 | ||
Scripture Name( English ): | Rajprashniya | Translated Scripture Name : | राजप्रश्नीय उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
सूर्याभदेव प्रकरण |
Translated Chapter : |
सूर्याभदेव प्रकरण |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 39 | Category : | Upang-02 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] सभाए णं सुहम्माए उत्तरपुरत्थिमेणं, एत्थ णं महेगे सिद्धायतणे पन्नत्ते–एगं जोयणसयं आयामेणं, पन्नासं जोयणाइं विक्खंभेणं, बावत्तरिं जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं सभागमएणं जाव गोमाणसियाओ, भूमिभागा उल्लोया तहेव। तस्स णं सिद्धायतनस्स बहुमज्झदेसभाए, एत्थ णं महेगा मणिपेढिया पन्नत्ता–सोलस जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, अट्ठ जोयणाइं बाहल्लेणं। तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं, एत्थ णं महेगे देवच्छंदए पन्नत्ते–सोलस जोयणाइं आयामविक्खंभेणं, साइरेगाइं सोलस जोयणाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, सव्वरयणामए अच्छे जाव पडिरूवे। तत्थ णं अट्ठसयं जिनपडिमाणं जिनुस्सेहप्पमाणमित्ताणं संनिखित्तं संचिट्ठति। तासि णं जिनपडिमाणं इमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, तं जहा–तवणिज्जमया हत्थतलपायतला, अंकामयाइं नक्खाइं अंतोलोहियक्खपडिसेगाइं, कनगामईओ जंघाओ कनगामया जाणू, कनगामया ऊरू, कनगामईओ गायलट्ठीओ, तवणिज्जमईओ नाभीओ, रिट्ठामईओ रोमराईओ, तवणिज्जमया चूचुया, तवणिज्जमया सिरिवच्छा, सिलप्पवालमया ओट्ठा, फालियामया दंता, तवणिज्जमईओ जीहायो, तवणिज्जमया तालुया, कनगामईओ नासिगाओ अंतोलोहियक्खपडिसेगाओ, अंकामयाणि अच्छीणि अंतोलोहियक्ख-पडिसेगाणि, रिट्ठामईओ ताराओ, रिट्ठामयाणि अच्छिपत्ताणि, रिट्ठामईओ भमुहाओ, कनगामया कवोला, कनगामया सवणा, कनगामईओ निडालपट्टियाओ, वइरामईओ सीसघडीओ, तवणिज्जमईओ केसंतकेसभूमीओ, रिट्ठामया उवरिमुद्धया। तासि णं जिनपडिमाणं पिट्ठतो पत्तेयं-पत्तेयं छत्तधारगपडिमाओ पन्नत्ताओ। ताओ णं छत्तधारगपडिमाओ हिमरययकुंदेंदुप्पगासाइं सकोरंटमल्लदाम धवलाइं आयवत्ताइं सलीलं धारेमाणीओ-धारेमाणीओ चिट्ठंति। तासि णं जिनपडिमाणं उभओ पासे दो दो चामरधारपडिमाओ पन्नत्ताओ। ताओ णं चामरधारपडिमाओ चंदप्पह वइर वेरुलिय नानामणिरयणखचियचित्तदंडाओ सुहुमरयय-दीहवालाओ संखंककुंददगरयअमयमहियफेणुपुंजसन्निगासाओ धवलाओ चामराओ गहाय सलीलं वीजेमाणीओ सव्वरयणामईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ। तासि णं जिनपडिमाणं पुरतो दो दो नागपडिमाओ जक्खपडिमाओ भूयपडिमाओ कुंडधारपडिमाओ संनिखित्ताओ चिट्ठंति–सव्वरयणामईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ। तत्थ णं देवच्छंदए जिनपडिमाणं पुरतो अट्ठसयं घंटाणं अट्ठसयं वंदनकलसाणं अट्ठसयं भिंगाराणं एवं– आयंसाणं थालाणं पाईणं सुपइट्ठाणं मणोगुलियाणं वायकरगाणं चित्ताणं रयकरंडगाणं, हयकंठाणं गयकंठाणं नरकंठाणं किन्नरकंठाणं किंपुरिसकंठाणं महोरगकंठाणं गंधव्वकंठाणं, उसभकंठाणं पुप्फचंगेरीणं मल्लचंगेरीणं चुण्णचंगेरीणं गंधचंगेरीणं वत्थचंगेरीणं आभरणचंगेरीणं सिद्धत्थचंगेरीणं लोमहत्थचंगेरीणं, पुप्फपडलगाणं मल्लपडलगाणं चुण्णपडल-गाणं गंधपडलगाणं वत्थपडलगाणं आभरणपडलगाणं सिद्धत्थपडलगाणं लोमहत्थपडलगाणं, सीहासनाणं छत्ताणं चमराणं, तेल्लसमुग्गाणं कोट्ठसमुग्गाणं पत्तसमुग्गाणं चोयगसमुग्गाणं तगर-समुग्गाणं एलासमुग्गाणं हरियालसमुग्गाणं हिंगुलयसमुग्गाणं मनोसिलासमुग्गाणं अंजनंसमुग्गाणं, अट्ठसयं झयाणं, अट्ठसयं धूवकडुच्छुयाणं संनिखित्तं चिट्ठंति। तस्स णं सिद्धायतनस्स उवरिं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता। | ||
Sutra Meaning : | सुधर्मा सभा के ईशान कोण में एक विशाल (जिनालय) सिद्धायतन है। वह सौ योजन लम्बा, पचास योजन चौड़ा और बहत्तर योजन ऊंचा है। तथा इस सिद्धायतन का गोमानसिकाओं पर्यन्त एवं भूमिभाग तथा चंदेवा का वर्णन सुधर्मासभा के समान जानना। उस सिद्धायतन (जिनालय) के ठीक मध्यप्रदेश में सोलह योजन लम्बी – चौड़ी, आठ योजन मोटी एक विशाल मणिपीठिका बनी हुई है। उस मणिपीठिका के ऊपर सोलह योजन लम्बा – चौड़ा और कुछ अधिक सोलह योजन ऊंचा, सर्वात्मना मणियों से बना हुआ यावत् प्रतिरूप एक विशाल देवच्छन्दक स्थापित है और उस पर तीर्थंकरों की ऊंचाई बराबर वाली एक सो आठ जिनप्रतिमाएं बिराजमान हैं। उन जिनप्रतिमाओं का वर्णन इस प्रकार है, जैसे – उन प्रतिमाओं की हथेलियाँ और पगथलियाँ तपनीय स्वर्णमय हैं। मध्य में खचित लोहिताक्ष रत्न से युक्त अंकरत्न के नख हैं। जंघाएं, पिंडलियाँ और देहलता कनक – मय है। नाभियाँ तपनीयमय हैं। रोमराजि रिष्ट रत्नमय हैं। चूचक और श्रीवत्स तपनीयमय हैं। होठ प्रवाल के बने हुए हैं, दंतपंक्ति स्फटिकमणियों और जिह्वा एवं तालु तपनीय – स्वर्ण के हैं। नासिकाएं बीच में लोहिताक्षरत्न खचित कनकमय हैं, नेत्र लोहिताक्ष रत्न से खचित मध्य – भाग युक्त अंकरत्न के हैं और नेत्रों की तारिकाएं अक्षिपत्र तथा भौहें रिष्टरत्नमय हैं। कपोल, कान और ललाट कनकमय हैं। शीर्षघटी वज्ररत्नमय हैं। केशान्त एवं केशभूमि तपनीय स्वर्णमय और केश रिष्टरत्नमय हैं। उन जिन प्रतिमाओं में से प्रत्येक प्रतिमा के पीछे एक एक छत्रधारक प्रतिमाएं हैं। वे छत्रधारक प्रतिमाएं लीला करती हुई – सी भावभंगिमा पूर्वक हिम, रजत, कुन्दपुष्प और चन्द्रमा के समान प्रभा ले कोरंट पुष्पों की मालाओं से युक्त धवल आतपत्रों को अपने – अपने हाथों में धारण किये हुए खड़ी हैं। प्रत्येक जिन – प्रतिमा के दोनों पार्श्व भागों में एक एक चामरधारक – प्रतिमाएं हैं। वे चामर – धारक प्रतिमाएं अपने अपने हाथों में विविध मणिरत्नों से रचित चित्रामों से युक्त चन्द्रकान्त, वज्र और वैडूर्य मणियों की डंडियों वाले, पतले रजत जैसे श्वेत लम्बे – लम्बे बालों वाले शंख, अंकरत्न, कुन्दपुष्प, जलकण, रजत और मन्थन किये हुए अमृत के फेनपुंज सदृश श्वेत – धवल चामरों को धारण करके लीलापूर्वक बींजती हुई – सी खड़ी हैं। उन जिन – प्रतिमाओं के आगे दो – दो नाग – प्रतिमाएं, यक्षप्रतिमाएं, भूतप्रतिमाएं, कुंड धारक प्रतिमाएं खड़ी हैं। ये सभी प्रतिमाएं सर्वात्मना रत्नमय, स्वच्छ यावत् अनुपम शोभा से सम्पन्न हैं। उन जिन – प्रतिमाओं के आगे एक सौ आठ – एक सौ आठ घंटा, चन्दनकलश, भृंगार, दर्पण, थाल, पात्रियाँ, सुप्रतिष्ठान, मनोगुलिकाएं, वातकरक, चित्रकरक, रत्नकरंडक, अश्वकंठ यावत् वृषभकंठ पुष्पचंगेरिकाएं यावत् मयूरपिच्छ चंगेरिकाएं, पुष्पषटलक, तेलसमुद्गक यावत् अंजनसमुद्गक, एक सौ आठ ध्वजाएं, एक सौ आठ धूपकडुच्छुक रखे हैं। सिद्धायतन का ऊपरीभाग स्वस्तिक आदि आठ – आठ मंगलों, ध्वजाओं और छत्रातिछत्रोंसे शोभायमान है | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] sabhae nam suhammae uttarapuratthimenam, ettha nam mahege siddhayatane pannatte–egam joyanasayam ayamenam, pannasam joyanaim vikkhambhenam, bavattarim joyanaim uddham uchchattenam sabhagamaenam java gomanasiyao, bhumibhaga ulloya taheva. Tassa nam siddhayatanassa bahumajjhadesabhae, ettha nam mahega manipedhiya pannatta–solasa joyanaim ayamavikkhambhenam, attha joyanaim bahallenam. Tise nam manipedhiyae uvarim, ettha nam mahege devachchhamdae pannatte–solasa joyanaim ayamavikkhambhenam, sairegaim solasa joyanaim uddham uchchattenam, savvarayanamae achchhe java padiruve. Tattha nam atthasayam jinapadimanam jinussehappamanamittanam samnikhittam samchitthati. Tasi nam jinapadimanam imeyaruve vannavase pannatte, tam jaha–tavanijjamaya hatthatalapayatala, amkamayaim nakkhaim amtolohiyakkhapadisegaim, kanagamaio jamghao kanagamaya janu, kanagamaya uru, kanagamaio gayalatthio, tavanijjamaio nabhio, ritthamaio romaraio, tavanijjamaya chuchuya, tavanijjamaya sirivachchha, silappavalamaya ottha, phaliyamaya damta, tavanijjamaio jihayo, tavanijjamaya taluya, kanagamaio nasigao amtolohiyakkhapadisegao, amkamayani achchhini amtolohiyakkha-padisegani, ritthamaio tarao, ritthamayani achchhipattani, ritthamaio bhamuhao, kanagamaya kavola, kanagamaya savana, kanagamaio nidalapattiyao, vairamaio sisaghadio, tavanijjamaio kesamtakesabhumio, ritthamaya uvarimuddhaya. Tasi nam jinapadimanam pitthato patteyam-patteyam chhattadharagapadimao pannattao. Tao nam chhattadharagapadimao himarayayakumdemduppagasaim sakoramtamalladama dhavalaim ayavattaim salilam dharemanio-dharemanio chitthamti. Tasi nam jinapadimanam ubhao pase do do chamaradharapadimao pannattao. Tao nam chamaradharapadimao chamdappaha vaira veruliya nanamanirayanakhachiyachittadamdao suhumarayaya-dihavalao samkhamkakumdadagarayaamayamahiyaphenupumjasannigasao dhavalao chamarao gahaya salilam vijemanio savvarayanamaio achchhao java padiruvao. Tasi nam jinapadimanam purato do do nagapadimao jakkhapadimao bhuyapadimao kumdadharapadimao samnikhittao chitthamti–savvarayanamaio achchhao java padiruvao. Tattha nam devachchhamdae jinapadimanam purato atthasayam ghamtanam atthasayam vamdanakalasanam atthasayam bhimgaranam evam– ayamsanam thalanam painam supaitthanam manoguliyanam vayakaraganam chittanam rayakaramdaganam, hayakamthanam gayakamthanam narakamthanam kinnarakamthanam kimpurisakamthanam mahoragakamthanam gamdhavvakamthanam, usabhakamthanam pupphachamgerinam mallachamgerinam chunnachamgerinam gamdhachamgerinam vatthachamgerinam abharanachamgerinam siddhatthachamgerinam lomahatthachamgerinam, pupphapadalaganam mallapadalaganam chunnapadala-ganam gamdhapadalaganam vatthapadalaganam abharanapadalaganam siddhatthapadalaganam lomahatthapadalaganam, sihasananam chhattanam chamaranam, tellasamugganam kotthasamugganam pattasamugganam choyagasamugganam tagara-samugganam elasamugganam hariyalasamugganam himgulayasamugganam manosilasamugganam amjanamsamugganam, atthasayam jhayanam, atthasayam dhuvakaduchchhuyanam samnikhittam chitthamti. Tassa nam siddhayatanassa uvarim atthatthamamgalaga jhaya chhattatichchhatta. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Sudharma sabha ke ishana kona mem eka vishala (jinalaya) siddhayatana hai. Vaha sau yojana lamba, pachasa yojana chaura aura bahattara yojana umcha hai. Tatha isa siddhayatana ka gomanasikaom paryanta evam bhumibhaga tatha chamdeva ka varnana sudharmasabha ke samana janana. Usa siddhayatana (jinalaya) ke thika madhyapradesha mem solaha yojana lambi – chauri, atha yojana moti eka vishala manipithika bani hui hai. Usa manipithika ke upara solaha yojana lamba – chaura aura kuchha adhika solaha yojana umcha, sarvatmana maniyom se bana hua yavat pratirupa eka vishala devachchhandaka sthapita hai aura usa para tirthamkarom ki umchai barabara vali eka so atha jinapratimaem birajamana haim. Una jinapratimaom ka varnana isa prakara hai, jaise – una pratimaom ki hatheliyam aura pagathaliyam tapaniya svarnamaya haim. Madhya mem khachita lohitaksha ratna se yukta amkaratna ke nakha haim. Jamghaem, pimdaliyam aura dehalata kanaka – maya hai. Nabhiyam tapaniyamaya haim. Romaraji rishta ratnamaya haim. Chuchaka aura shrivatsa tapaniyamaya haim. Hotha pravala ke bane hue haim, damtapamkti sphatikamaniyom aura jihva evam talu tapaniya – svarna ke haim. Nasikaem bicha mem lohitaksharatna khachita kanakamaya haim, netra lohitaksha ratna se khachita madhya – bhaga yukta amkaratna ke haim aura netrom ki tarikaem akshipatra tatha bhauhem rishtaratnamaya haim. Kapola, kana aura lalata kanakamaya haim. Shirshaghati vajraratnamaya haim. Keshanta evam keshabhumi tapaniya svarnamaya aura kesha rishtaratnamaya haim. Una jina pratimaom mem se pratyeka pratima ke pichhe eka eka chhatradharaka pratimaem haim. Ve chhatradharaka pratimaem lila karati hui – si bhavabhamgima purvaka hima, rajata, kundapushpa aura chandrama ke samana prabha le koramta pushpom ki malaom se yukta dhavala atapatrom ko apane – apane hathom mem dharana kiye hue khari haim. Pratyeka jina – pratima ke donom parshva bhagom mem eka eka chamaradharaka – pratimaem haim. Ve chamara – dharaka pratimaem apane apane hathom mem vividha maniratnom se rachita chitramom se yukta chandrakanta, vajra aura vaidurya maniyom ki damdiyom vale, patale rajata jaise shveta lambe – lambe balom vale shamkha, amkaratna, kundapushpa, jalakana, rajata aura manthana kiye hue amrita ke phenapumja sadrisha shveta – dhavala chamarom ko dharana karake lilapurvaka bimjati hui – si khari haim. Una jina – pratimaom ke age do – do naga – pratimaem, yakshapratimaem, bhutapratimaem, kumda dharaka pratimaem khari haim. Ye sabhi pratimaem sarvatmana ratnamaya, svachchha yavat anupama shobha se sampanna haim. Una jina – pratimaom ke age eka sau atha – eka sau atha ghamta, chandanakalasha, bhrimgara, darpana, thala, patriyam, supratishthana, manogulikaem, vatakaraka, chitrakaraka, ratnakaramdaka, ashvakamtha yavat vrishabhakamtha pushpachamgerikaem yavat mayurapichchha chamgerikaem, pushpashatalaka, telasamudgaka yavat amjanasamudgaka, eka sau atha dhvajaem, eka sau atha dhupakaduchchhuka rakhe haim. Siddhayatana ka uparibhaga svastika adi atha – atha mamgalom, dhvajaom aura chhatratichhatromse shobhayamana hai |