Sutra Navigation: Rajprashniya ( राजप्रश्नीय उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005732 | ||
Scripture Name( English ): | Rajprashniya | Translated Scripture Name : | राजप्रश्नीय उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
सूर्याभदेव प्रकरण |
Translated Chapter : |
सूर्याभदेव प्रकरण |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 32 | Category : | Upang-02 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तेसि णं वनसंडाणं तत्थ तत्थ देसे तहिं तहिं बहूओ खुड्डाखुड्डियाओ वावीओ पुक्खरिणीओ दीहियाओ गुंजालियाओ सरसीओ सरपंतियाओ सरसरपंतियाओ बिलपंतियाओ अच्छाओ सण्हाओ रययामयकूलाओ समतीराओ वयरामयपासाणाओ तवणिज्जतलाओ सुवण्ण सुज्झ रयय वालुयाओ वेरुलिय मणि फालिय पडल पच्चोयडाओ सुओयार सुउत्ताराओ नानामणितित्थ सुबद्धाओ चाउक्कोणाओ आनुपुव्वसुजायवप्पगंभीरसीयलजलाओ संछन्नपत्तभिस मुणालाओ बहुउप्पल कुमुय नलिन सुभग सोगंधिय पोंडरीय सयवत्त सहस्सपत्त केसरफुल्लोवचियाओ छप्पयपरि-भुज्जमाणकमलाओ अच्छविमलसलिलपुण्णाओ पडिहत्थभमंतमच्छकच्छभ अनेगसउणमिहुणग-पविचरिताओ पत्तेयं-पत्तेयं पउमवरवेदियापरिक्खित्ताओ पत्तेयं-पत्तेयं वनसंडपरिखित्ताओ अप्पे-गइयाओ आसवोयगाओ अप्पेगइयाओ वारुणोयगाओ अप्पेगइयाओ खीरोयगाओ अप्पेगइयाओ घओयगाओ अप्पेगइयाओ खोदोयगाओ अप्पेगतियाओ पगईए उयगरसेणं पन्नत्ताओ पासादीयाओ दरिसणिज्जाओ अभिरूवाओ पडिरूवाओ। तासि णं खुड्डाखुड्डियाणं वावीणं पुक्खरिणीणं दीहियाणं गुंजालियाणं सरसीणं सरपंतियाणं सरसरपंतियाणं बिलपंतियाणं पत्तेयं-पत्तेयं चउद्दिसिं चत्तारि तिसोमाणपडिरूवगा पन्नत्ता। तेसि णं तिसोमाणपडिरूवगाणं अयमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, तं जहा–वइरामया नेमा रिट्ठामया पतिट्ठाणा वेरुलियामया खंभा, सुवण्णरुप्पमया फलगा, लोहितक्खमइयाओ सूइओ, वयरामया संधी, नानामणिमया अवलंघणा अवलंबणबाहाओ य पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा। तेसि णं तिसोमाणपडिरूवगाणं पुरओ पत्तेयं-पत्तेयं तोरणं पन्नत्तं। तेसि णं तिसोमाणपडिरूवगाणं उप्पिं अट्ठट्ठमंगलगा पन्नत्ता। तेसि णं तिसोमाणपडिरूवगाणं उप्पिं बहवे किण्हचामरज्झया। तेसि णं तिसोमाणपडिरूवगाणं उप्पिं बहवे छत्तातिछत्ता। तासि णं खुड्डाखुड्डियाणं वावीणं पुक्खरिणीणं दीहियाणं गुंजालियाणं सरसीणं सरपंतियाणं सरसरपंतियाणं बिलपंतियाणं तत्थ तत्थ देसे तहिं तहिं बहवे उप्पायपव्वयगा नियइपव्वयगा जगईपव्वयगा दारुइज्जपव्वयगा दगमंडवा दगमंचगा दगमालगा दगपासायगा उसड्डा खुड्डखुड्डगा अंदोलगा पक्खंदोलगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसु णं उप्पायपव्वएसु नियइपव्वएसु जगईपव्वएसु दारुइज्जपव्वएसु दगमंडएसु दगमंचएसु दगमालएसु दगपासायएसु उसड्डएसु खुड्डखुड्डएसु अंदोलएसु पक्खंदोलएसु बहूइं हंसासनाइं कोंचासनाइं गरुलासनाइं उन्नयासनाइं पयणासनाइं दीहासनाइं भद्दासनाइं पक्खासनाइं मगरासनाइं सीहासनाइं पउमासनाइं दिसासोवत्थियासनाइं सव्वरयणामयाइं अच्छाइं जाव पडिरूवाइं। तेसु णं वनसंडेसु तत्थ तत्थ देसे तहिं तहिं बहवे आलिघरगा मालिघरगा कयलिघरगा लयाघरगा अच्छणघरगा पिच्छणघरगा मज्जणघरगा पसाधणघरगा गब्भघरगा मोहणघरगा सालघरगा जालघरगा कुसुमघरगा चित्तघरगा गंधव्वघरगा आयंसघरगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसु णं आलिघरगेसु मालिघरगेसु कयलिघरगेसु लयाघरगेसु अच्छणघरगेसु पिच्छणघरगेसु मज्जणघरगेसु पसाधणघरगेसु गब्भघरगेसु मोहणघरगेसु सालघरगेसु जालघरगेसु कुसुमघरगेसु चित्तघरगेसु गंधव्वघरगेसु आयंसघरगेसु तहिं तहिं घरएसु बहूइं हंसासनाइं पक्खासनाइं कोंचासनाइं गरुलासनाइं उन्नयासनाइं पणयासनाइं दीहासनाइं भद्दासनाइं पक्खासनाइं मगरासनाइं सीहासनाइं पउमासनाइं दिसासोवत्थियासनाइं सव्वरयणामयाइं अच्छाइं जाव पडिरूवाइं। तेसु णं वनसंडेसु तत्थ तत्थ देसे तहिं तहिं बहवे जाइमंडवगा जूहियामंडवगा मल्लिया-मंडवगा नोमालियामंडवगा वासंतिमंडवगा दहिवासुयमंडवगा सुरिल्लिमंडवगा तंबोलिमंडवगा मुद्दियामंडवगा नागलयामंडवगा अतिमुत्तलयामंडवगा अप्फोयामंडवगा मालुयामंडवगा सव्व-रयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसु णं जाइमंडवएसु जूहियामंडवएसु मल्लियामंडवएसु नोमालियामंडवएसु वासंति-मंडवएसु दहियासुयमंडवएसु सूरिल्लिमंडवएसु तंबोलिमंडवएसु मुद्दियामंडवएसु नागलयामंडवएसु अतिमुत्तलयामंडवएसु अप्फोयामंडवएसु मालुयामंडवएसु बहवे पुढविसिलापट्टगा अप्पेगतिया हंसासणसंठिया जाव अप्पेगतिया दिसासोवत्थियासणसंठिया अन्ने य बहवे वरसयणासनविसिट्ठ- संठाणसंठिया पुढविसिलापट्टगा पन्नत्ता समणाउसो! आईणग रूय बूर नवनीय तूल फासा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तत्थ णं बहवे वेमाणिया देवा य देवीओ य आसयंति सयंति चिट्ठंति निसीयंति तुयट्टंति हसंति रमंति ललंति कीलंति कित्तंति मोहेंति पुरा पोरानाणं सुचिण्णाणं सुपरक्कंताणं सुभाणं कडाणं कम्माणं कल्लानाणं कल्लाणं फलविवागं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति। | ||
Sutra Meaning : | उन वनखण्डों में जहाँ – तहाँ स्थान – स्थान पर अनेक छोटी – छोटी चौरस वापिकाएं – बावड़ियाँ, गोल पुष्करिणियाँ, दीर्घिकाएं, गुंजालिकाएं, फूलों से ढंकी हुई सरोवरों की पंक्तियाँ, सर – सर पंक्तियाँ एवं कूपपंक्तियाँ बनी हुई हैं। इन सभी वापिकाओं आदि का बाहरी भाग स्फटिमणिवत् अतीव निर्मल, स्निग्ध है। इनके तट रजत – मय हैं और तटवर्ती भाग अत्यन्त सम – चौरस हैं। ये सभी जलाशय वज्ररत्न रूपी पाषाणों से बने हुए हैं। इनके तलभाग तपनीय स्वर्ण से निर्मित हैं तथा उन पर शुद्ध स्वर्ण और चाँदी की बालू बिछी है। तटों के समीपवर्ती ऊंचे प्रदेश वैडूर्य और स्फटिक – मणि – पटलों के बने हैं। इनमें उतरने और नीकलने के स्थान सुखकारी हैं। घाटों पर अनेक प्रकार की मणियाँ जुड़ी हुई हैं। चार कोने वाली वापिकाओं और कुंओं में अनुक्रम से नीचे – नीचे पानी अगाध एवं शीतल है तथा कमलपत्र, बिस और मृणालों से ढँका हुआ है। ये सभी जलाशय विकसित उत्पल, कुमुद, नलिन, सुभग, सौगंधिक, पुंडरीक, शतपत्र तथा सहस्र – पत्र कमलों से सुशोभित हैं और उन पर परागपान के लिए भ्रमरसमूह गूँज रहे हैं। स्वच्छ – निर्मल जल से भरे हुए हैं। कल्लोल करते हुए मगरमच्छ कछुआ आदि बेरोक – टोक इधर – उधर घूम फिर रहे हैं और अनेक प्रकार के पक्षिसमूहों के गमनागमन से सदा व्याप्त रहते हैं। ये सभी जलाशय एक – एक पद्मवरवेदिका और एक – एक वनखण्ड से परिवेष्टित हैं। इन जलाशयों में से किसी में आसव, किसी में वरुणोदक, किसी में क्षीरोदक, किसी में घी, किसी में इक्षुरस और किसी – किसी में प्राकृतिक पानी जैसा पानी भरा है। ये सभी जलाशय मन को प्रसन्न करने वाले, दर्शनीय, अभिरूप और प्रतिरूप हैं। उन प्रत्येक वापिकाओं यावत् कूपपंक्तियों की चारों दिशाओं में तीन – तीन सुन्दर सोपान बने हुए हैं। उन त्रिसोपान प्रतिरूपकों की नेमें वज्ररत्नों की हैं इत्यादि तोरणों, ध्वजाओं और छत्रातिछत्रों पर्यन्त इनका वर्णन पूर्ववत् समझना। उन छोटी – छोटी वापिकाओं यावत् कूपपंक्तियों के मध्यवर्ती प्रदेशों में बहुत से उत्पातपर्वत, नियतिपर्वत, जगतीपर्वत, दारुपर्वत तथा कितने ही ऊंचे – नीचे, छोटे – बड़े दकमंडप, दकमंच, दकमालक, दकप्रासाद बने हुए हैं तथा कहीं – कहीं पर मनुष्यों और पक्षियों को झूलने के लिए झूले – हिंडोले पड़े हैं। ये सभी पर्वत आदि सर्वरत्नमय अत्यन्त निर्मल यावत् असाधारण रूप से सम्पन्न हैं। उन उत्पात पर्वतों, पक्षिहिंडोलों आदि पर सर्वरत्नमय, निर्मल यावत् अतीव मनोहर अनेक हंसासन, क्रौंचासन, गरुड़ासन, उन्नतासन, प्रणतासन, दीर्घासन, भद्रासन, पक्ष्यासन, मकरासन, वृषभासन, सिंहासन, पद्मासन और दिशास्वस्तिक आसन रखे हुए हैं। उन वनखण्डों में यथायोग्य स्थानों पर बहुत से आलिगृह, मालिगृह, कदलीगृह, लतागृह, आसनगृह, प्रेक्षा गृह, मज्जनगृह, प्रसाधनगृह, गर्भगृह, मोहनगृह, शालागृह, जाली वाले गृह, कुसुमगृह, चित्रगृह, गंधर्वगृह, आदर्श – गृह से सुशोभित हो रहे हैं। ये सभी गृह रत्नों से बने हुए अधिकाधिक निर्मल यावत् असाधारण मनोहर हैं। उन आलिगृहों यावत् आदर्शगृहों में सर्वरत्नमय यावत् अतीव मनोहर हंसासन यावत् दिशा – स्वस्तिक आसन रखे हैं। उन वनखण्डों में विभिन्न स्थानों पर बहुत से जातिमंडप, यूथिकामंडप, मल्लिकामंडप, नवमल्लिकामंडप, वासंती मंडप, दधिवासुका मंडप, सुरिल्लि मंडप, नागरवेल मंडप, मृद्वीका मंडप, नागलता मंडप, अतिमुक्तक अप्फोया मंडप और मालुका मंडप बने हुए हैं। ये सभी मंडप अत्यन्त निर्मल, सर्वरत्नमय यावत् प्रतिरूप हैं। हे आयुष्मन् श्रमणों ! उन जातिमंडपों यावत् मालुकामंडपों में कितने ही हंसासन, क्रौंचासन, गरुड़ासन, उन्नतासन, प्रणतासन, दीर्घासन, भद्रासन, पक्ष्यासन, मकरासन, वृषभासन, सिंहासन, पद्मासन, दिशा स्वस्तिकासन जैसे आकार वाले पृथ्वीशिलापट्टक तथा दूसरे भी बहुत से श्रेष्ठ शयनासन सदृश विशिष्ट आकार वाले पृथ्वीशिला – पट्टक रखे हुए हैं। ये सभी पृथ्वीशिलापट्टक वस्त्र, रूई, बूर, नवनीत, तूल, सेमल या आक की रूई के स्पर्श जैसे सुकोमल, कमनीय, सर्वरत्नमय, निर्मल यावत् अतीव रमणीय हैं। उन हंसासनों आदि पर बहुत से सूर्याभविमान – वासी देव और देवियाँ सुखपूर्वक बैठते हैं, सोते हैं, शरीर को लम्बा कर लेटते हैं, विश्राम करते हैं, ठहरते हैं, करवट लेते हैं, रमण करते हैं, केलिक्रीड़ा करते हैं, ईच्छानुसार भोग – विलास भोगते हैं, मनोविनोद करते हैं, रासलीला करते हैं और रतिक्रीड़ा करते हैं। इस प्रकार वे अपने – अपने सुपुरुषार्थ से पूर्वोपार्जित शुभ, कल्याणमय शुभफलप्रद, मंगलरूप पुण्य कर्मों के कल्याणरूप फलविपाक का अनुभव करते हुए समय बिताते हैं | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tesi nam vanasamdanam tattha tattha dese tahim tahim bahuo khuddakhuddiyao vavio pukkharinio dihiyao gumjaliyao sarasio sarapamtiyao sarasarapamtiyao bilapamtiyao achchhao sanhao rayayamayakulao samatirao vayaramayapasanao tavanijjatalao suvanna sujjha rayaya valuyao veruliya mani phaliya padala pachchoyadao suoyara suuttarao nanamanitittha subaddhao chaukkonao anupuvvasujayavappagambhirasiyalajalao samchhannapattabhisa munalao bahuuppala kumuya nalina subhaga sogamdhiya pomdariya sayavatta sahassapatta kesaraphullovachiyao chhappayapari-bhujjamanakamalao achchhavimalasalilapunnao padihatthabhamamtamachchhakachchhabha anegasaunamihunaga-pavicharitao patteyam-patteyam paumavaravediyaparikkhittao patteyam-patteyam vanasamdaparikhittao appe-gaiyao asavoyagao appegaiyao varunoyagao appegaiyao khiroyagao appegaiyao ghaoyagao appegaiyao khodoyagao appegatiyao pagaie uyagarasenam pannattao pasadiyao darisanijjao abhiruvao padiruvao. Tasi nam khuddakhuddiyanam vavinam pukkharininam dihiyanam gumjaliyanam sarasinam sarapamtiyanam sarasarapamtiyanam bilapamtiyanam patteyam-patteyam chauddisim chattari tisomanapadiruvaga pannatta. Tesi nam tisomanapadiruvaganam ayameyaruve vannavase pannatte, tam jaha–vairamaya nema ritthamaya patitthana veruliyamaya khambha, suvannaruppamaya phalaga, lohitakkhamaiyao suio, vayaramaya samdhi, nanamanimaya avalamghana avalambanabahao ya pasadiya darisanijja abhiruva padiruva. Tesi nam tisomanapadiruvaganam purao patteyam-patteyam toranam pannattam. Tesi nam tisomanapadiruvaganam uppim atthatthamamgalaga pannatta. Tesi nam tisomanapadiruvaganam uppim bahave kinhachamarajjhaya. Tesi nam tisomanapadiruvaganam uppim bahave chhattatichhatta. Tasi nam khuddakhuddiyanam vavinam pukkharininam dihiyanam gumjaliyanam sarasinam sarapamtiyanam sarasarapamtiyanam bilapamtiyanam tattha tattha dese tahim tahim bahave uppayapavvayaga niyaipavvayaga jagaipavvayaga daruijjapavvayaga dagamamdava dagamamchaga dagamalaga dagapasayaga usadda khuddakhuddaga amdolaga pakkhamdolaga savvarayanamaya achchha java padiruva. Tesu nam uppayapavvaesu niyaipavvaesu jagaipavvaesu daruijjapavvaesu dagamamdaesu dagamamchaesu dagamalaesu dagapasayaesu usaddaesu khuddakhuddaesu amdolaesu pakkhamdolaesu bahuim hamsasanaim komchasanaim garulasanaim unnayasanaim payanasanaim dihasanaim bhaddasanaim pakkhasanaim magarasanaim sihasanaim paumasanaim disasovatthiyasanaim savvarayanamayaim achchhaim java padiruvaim. Tesu nam vanasamdesu tattha tattha dese tahim tahim bahave aligharaga maligharaga kayaligharaga layagharaga achchhanagharaga pichchhanagharaga majjanagharaga pasadhanagharaga gabbhagharaga mohanagharaga salagharaga jalagharaga kusumagharaga chittagharaga gamdhavvagharaga ayamsagharaga savvarayanamaya achchha java padiruva. Tesu nam aligharagesu maligharagesu kayaligharagesu layagharagesu achchhanagharagesu pichchhanagharagesu majjanagharagesu pasadhanagharagesu gabbhagharagesu mohanagharagesu salagharagesu jalagharagesu kusumagharagesu chittagharagesu gamdhavvagharagesu ayamsagharagesu tahim tahim gharaesu bahuim hamsasanaim pakkhasanaim komchasanaim garulasanaim unnayasanaim panayasanaim dihasanaim bhaddasanaim pakkhasanaim magarasanaim sihasanaim paumasanaim disasovatthiyasanaim savvarayanamayaim achchhaim java padiruvaim. Tesu nam vanasamdesu tattha tattha dese tahim tahim bahave jaimamdavaga juhiyamamdavaga malliya-mamdavaga nomaliyamamdavaga vasamtimamdavaga dahivasuyamamdavaga surillimamdavaga tambolimamdavaga muddiyamamdavaga nagalayamamdavaga atimuttalayamamdavaga apphoyamamdavaga maluyamamdavaga savva-rayanamaya achchha java padiruva. Tesu nam jaimamdavaesu juhiyamamdavaesu malliyamamdavaesu nomaliyamamdavaesu vasamti-mamdavaesu dahiyasuyamamdavaesu surillimamdavaesu tambolimamdavaesu muddiyamamdavaesu nagalayamamdavaesu atimuttalayamamdavaesu apphoyamamdavaesu maluyamamdavaesu bahave pudhavisilapattaga appegatiya hamsasanasamthiya java appegatiya disasovatthiyasanasamthiya anne ya bahave varasayanasanavisittha- samthanasamthiya pudhavisilapattaga pannatta samanauso! Ainaga ruya bura navaniya tula phasa savvarayanamaya achchha java padiruva. Tattha nam bahave vemaniya deva ya devio ya asayamti sayamti chitthamti nisiyamti tuyattamti hasamti ramamti lalamti kilamti kittamti mohemti pura porananam suchinnanam suparakkamtanam subhanam kadanam kammanam kallananam kallanam phalavivagam pachchanubbhavamana viharamti. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Una vanakhandom mem jaham – taham sthana – sthana para aneka chhoti – chhoti chaurasa vapikaem – bavariyam, gola pushkariniyam, dirghikaem, gumjalikaem, phulom se dhamki hui sarovarom ki pamktiyam, sara – sara pamktiyam evam kupapamktiyam bani hui haim. Ina sabhi vapikaom adi ka bahari bhaga sphatimanivat ativa nirmala, snigdha hai. Inake tata rajata – maya haim aura tatavarti bhaga atyanta sama – chaurasa haim. Ye sabhi jalashaya vajraratna rupi pashanom se bane hue haim. Inake talabhaga tapaniya svarna se nirmita haim tatha una para shuddha svarna aura chamdi ki balu bichhi hai. Tatom ke samipavarti umche pradesha vaidurya aura sphatika – mani – patalom ke bane haim. Inamem utarane aura nikalane ke sthana sukhakari haim. Ghatom para aneka prakara ki maniyam juri hui haim. Chara kone vali vapikaom aura kumom mem anukrama se niche – niche pani agadha evam shitala hai tatha kamalapatra, bisa aura mrinalom se dhamka hua hai. Ye sabhi jalashaya vikasita utpala, kumuda, nalina, subhaga, saugamdhika, pumdarika, shatapatra tatha sahasra – patra kamalom se sushobhita haim aura una para paragapana ke lie bhramarasamuha gumja rahe haim. Svachchha – nirmala jala se bhare hue haim. Kallola karate hue magaramachchha kachhua adi beroka – toka idhara – udhara ghuma phira rahe haim aura aneka prakara ke pakshisamuhom ke gamanagamana se sada vyapta rahate haim. Ye sabhi jalashaya eka – eka padmavaravedika aura eka – eka vanakhanda se pariveshtita haim. Ina jalashayom mem se kisi mem asava, kisi mem varunodaka, kisi mem kshirodaka, kisi mem ghi, kisi mem ikshurasa aura kisi – kisi mem prakritika pani jaisa pani bhara hai. Ye sabhi jalashaya mana ko prasanna karane vale, darshaniya, abhirupa aura pratirupa haim. Una pratyeka vapikaom yavat kupapamktiyom ki charom dishaom mem tina – tina sundara sopana bane hue haim. Una trisopana pratirupakom ki nemem vajraratnom ki haim ityadi toranom, dhvajaom aura chhatratichhatrom paryanta inaka varnana purvavat samajhana. Una chhoti – chhoti vapikaom yavat kupapamktiyom ke madhyavarti pradeshom mem bahuta se utpataparvata, niyatiparvata, jagatiparvata, daruparvata tatha kitane hi umche – niche, chhote – bare dakamamdapa, dakamamcha, dakamalaka, dakaprasada bane hue haim tatha kahim – kahim para manushyom aura pakshiyom ko jhulane ke lie jhule – himdole pare haim. Ye sabhi parvata adi sarvaratnamaya atyanta nirmala yavat asadharana rupa se sampanna haim. Una utpata parvatom, pakshihimdolom adi para sarvaratnamaya, nirmala yavat ativa manohara aneka hamsasana, kraumchasana, garurasana, unnatasana, pranatasana, dirghasana, bhadrasana, pakshyasana, makarasana, vrishabhasana, simhasana, padmasana aura dishasvastika asana rakhe hue haim. Una vanakhandom mem yathayogya sthanom para bahuta se aligriha, maligriha, kadaligriha, latagriha, asanagriha, preksha griha, majjanagriha, prasadhanagriha, garbhagriha, mohanagriha, shalagriha, jali vale griha, kusumagriha, chitragriha, gamdharvagriha, adarsha – griha se sushobhita ho rahe haim. Ye sabhi griha ratnom se bane hue adhikadhika nirmala yavat asadharana manohara haim. Una aligrihom yavat adarshagrihom mem sarvaratnamaya yavat ativa manohara hamsasana yavat disha – svastika asana rakhe haim. Una vanakhandom mem vibhinna sthanom para bahuta se jatimamdapa, yuthikamamdapa, mallikamamdapa, navamallikamamdapa, vasamti mamdapa, dadhivasuka mamdapa, surilli mamdapa, nagaravela mamdapa, mridvika mamdapa, nagalata mamdapa, atimuktaka apphoya mamdapa aura maluka mamdapa bane hue haim. Ye sabhi mamdapa atyanta nirmala, sarvaratnamaya yavat pratirupa haim. He ayushman shramanom ! Una jatimamdapom yavat malukamamdapom mem kitane hi hamsasana, kraumchasana, garurasana, unnatasana, pranatasana, dirghasana, bhadrasana, pakshyasana, makarasana, vrishabhasana, simhasana, padmasana, disha svastikasana jaise akara vale prithvishilapattaka tatha dusare bhi bahuta se shreshtha shayanasana sadrisha vishishta akara vale prithvishila – pattaka rakhe hue haim. Ye sabhi prithvishilapattaka vastra, rui, bura, navanita, tula, semala ya aka ki rui ke sparsha jaise sukomala, kamaniya, sarvaratnamaya, nirmala yavat ativa ramaniya haim. Una hamsasanom adi para bahuta se suryabhavimana – vasi deva aura deviyam sukhapurvaka baithate haim, sote haim, sharira ko lamba kara letate haim, vishrama karate haim, thaharate haim, karavata lete haim, ramana karate haim, kelikrira karate haim, ichchhanusara bhoga – vilasa bhogate haim, manovinoda karate haim, rasalila karate haim aura ratikrira karate haim. Isa prakara ve apane – apane supurushartha se purvoparjita shubha, kalyanamaya shubhaphalaprada, mamgalarupa punya karmom ke kalyanarupa phalavipaka ka anubhava karate hue samaya bitate haim |