Sutra Navigation: Rajprashniya ( राजप्रश्नीय उपांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005729 | ||
Scripture Name( English ): | Rajprashniya | Translated Scripture Name : | राजप्रश्नीय उपांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
सूर्याभदेव प्रकरण |
Translated Chapter : |
सूर्याभदेव प्रकरण |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 29 | Category : | Upang-02 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] तेसिं णं दाराणं उभओ पासे दुहओ निसीहियाए सोलस-सोलस सालभंजिया-परिवाडीओ पन्नत्ताओ। ताओ णं सालभंजियाओ लीलट्ठियाओ सुपइट्ठियाओ सुअलंकियाओ नानाविहरागवसणाओ नानामल्लपिणद्धाओ मुट्ठिगेज्झसुमज्झाओ आमेलग-जमल जुयल वट्टिय अब्भुन्नय पीण रइय संठियपओहराओ रत्तावंगाओ असियकेसीओ मिउविसय पसत्थ लक्खण संवेल्लियग्गसिरयाओ ईसिं असोगवरपायवसमुट्ठियाओ वामहत्थग्गहियग्गसालाओ ईसिं अद्धच्छिकडक्खचिट्ठितेहिं लूसमाणीओ विव, चक्खुल्लोयणलेसेहिं अन्नमन्नं खिज्जमाणीओ विव, पुढविपरिणामाओ सासयभावमुवगयाओ चंदाननाओ चंदविलासिणीओ चंदद्धसमणिडालाओ चंदाहियसोमदंसणाओ उक्का विव उज्जोवेमाणाओ विज्जु घन मिरिय सूर दिप्पंत तेय अहिययर सन्निकासाओ सिंगारा-गारचारुवेसाओ पासाईयाओ दरिसणिज्जाओ अभिरूवाओ पडिरूवाओ तेयसा अतीव-अतीव उवसोभेमाणीओ-उवसोभेमाणीओ चिट्ठंति। तेसि णं दाराणं उभओ पासे दुहओ निसीहियाए सोलस-सोलस जालकडगा पन्नत्ता। ते णं जालकडगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसि णं दाराणं उभओ पासे दुहओ निसीहियाए सोलस-सोलस घंटापरिवाडीओ पन्नत्ताओ। तासि णं घंटाणं इमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, तं जहा– जंबूणयामईओ घंटाओ वइरामईओ लालाओ, नानामणिमया घंटापासा, तवणिज्जामईओ संकलाओ, रययामयाओ रज्जूओ। ताओ णं घंटाओ ओहस्सराओ मेहस्सराओ हंसस्सराओ कुंचस्सराओ सीहस्सराओ दुंदुहिस्सराओ नंदिस्सराओ नंदिघोसाओ मंजुस्सराओ मंजुघोसाओ सुस्सराओ सुस्सरघोसाओ ओरालेणं मणुन्नेणं मनहरेणं कण्णमननिव्वुतिकरेणं सद्देणं ते पदेसे सव्वओ समंता आपूरेमाणाओ-आपूरेमाणाओ सिरीए अतीव-अतीव उवसोभेमाणाओ-उवसोभेमाणाओ चिट्ठंति। तेसि णं दाराणं उभओ पासे दुहओ निसीहियाए सोलस-सोलस वणमाला परिवाडीओ पन्नत्ताओ। ताओ णं वणमालाओ नानादुमलय किसलय पल्लव समाउलाओ छप्पयपरिभुज्जमाण सोहंत सस्सिरीयाओ पासाईयाओ दरिसणिज्जाओ अभिरूवाओ पडिरूवाओ। तेसि णं दाराणं उभओ पासे दुहओ निसीहियाए सोलस-सोलस पगंठगा पन्नत्ता। ते णं पगंठगा अड्ढाइज्जाइं जोयणसयाइं आयाम-विक्खंभेणं, पणवीसं जोयणसयं बाहल्लेणं, सव्ववइरामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसि णं पगंठगाणं उवरिं पत्तेयं-पत्तेयं पासायवडेंसगा पन्नत्ता। तेणं पासायवडेंसगा अड्ढाइज्जाइं जोयणसयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, पणवीसं जोयणसयं विक्खंभेणं अब्भुग्गयमूसिय पहसिया इव, विविहमणिरयणभत्तिचित्ता वाउद्धुयविजयवेजयंती-पडागच्छत्ताइछत्तकलिया तुंगा गगनतलमनुलिहं-तसिहरा जालंतररयण पंजरुम्मिलियव्व मणि-कनगथूभियागा बियसियसयवत्त पोंडरीय तिलगरयणद्धचंदचित्ता अंतो बहिं च सण्हा तवणिज्ज वालुयापत्थडा सुहफासा सस्सिरीयरूवा पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा जाव दामा। तेसि णं दाराणं उभओ पासे दुहओ निसीहियाए सोलस-सोलस तोरणा पन्नत्ता–नानामणिमया नानामणिमएसु खंभेसु उवणिविट्ठसन्निविट्ठा जाव पउमहत्थगा। तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो सालभंजियाओ पन्नत्ताओ। जहा हेट्ठा तहेव। तेसि णं तोरणाणं पुरओ नागदंतगा पन्नत्ता। जहा हेट्ठा जाव दामा। तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो हयसंघाडा गयसंघाडा नरसंघाडा किन्नरसंघाडा किंपुरिससंघाडा महोरगसंघाडा गंधव्वसंघाडा उसभसंघाडा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो हयपंतीओ। तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो हयवीहीओ। तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो हयमिहुणाइं। तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो पउमलयाओ दो दो नागलयाओ दो दो असोगलयाओ दो दो चंपगलयाओ दो दो चूयलयाओ दो दो वणलयाओ दो दो वासंतियलयाओ दो दो अइमुत्तयलयाओ दो दो कुंदलयाओ दो दो सामलयाओ निच्चं कुसुमियाओ निच्चं माइयाओ निच्चं लवइयाओ निच्चं थवइयाओ निच्चं गुलइयाओ निच्चं गोच्छियाओ निच्चं अमलियाओ निच्चं जुवलियाओ निच्चं विणमियाओ निच्चं पणमियाओ निच्चं सुविभत्त पिंडि मंजरि वडेंसगधरीओ निच्चं कुसुमिय माइय लवइय थवइय गुलइय गोच्छिय जमलिय जुवलिय विनमिय पणमिय सुविभत्त पिंडि मंजरि वडेंसगधरीओ सव्वरयणामईओ अच्छाओ सण्हाओ लण्हाओ घट्ठाओ मट्ठाओ नीरयाओ निम्मलाओ निप्पंकाओ निक्कंकडच्छायाओ सप्पभाओ समरीइयाओ सउज्जोयाओ पासादीयाओ दरिस-णिज्जाओ अभिरूवाओ पडिरूवाओ। तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो दिसासोवत्थिया पन्नत्ता–सव्वरयणामया अच्छा पडिरूवा। तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो वंदनकलसा पन्नत्ता। ते णं वंदनकलसा वरकमलपइट्ठाणा सुरभिवरवारिपडि-पुण्णा चंदनकयचच्चागा आविद्धकंठेगुणा पउमुप्पलपिधाणा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा महया-महया महिंदकुंभसमाणा पन्नत्ता समणाउसो। तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो भिंगारा पन्नत्ता। ते णं भिंगारा वरकमलपइट्ठाणा सुरभिवरवारिपडिपुण्णा चंदनकयचच्चागा आविद्धकंठेगुणा पउमुप्पलपिधाणा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा महया मत्तगयमहामुहाकतिसमाणा पन्नत्ता समणाउसो! तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो आयंसा पन्नत्ता। तेसि णं आयंसाणं इमेयारूवे वण्णावासे पन्नत्ते, तं जहा–तवणिज्जमया पगंठगा, अंकामया मंडला अणुग्घसितनिम्मलाए छायाए समनुबद्धा, चंदमंडलपडिणिकासा महया-महया अद्धकाय-समाणा पन्नत्ता समणाउसो! तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो वइरनाभा थाला पन्नत्ता–अच्छ तिच्छाडिय सालि तंदुल नहसंदिट्ठ पडिपुण्णा इव चिट्ठंति सव्वजंबूणयमया अच्छा जाव पडिरूवा महया-महया रहचक्कसमाणा पन्नत्ता समणाउसो! तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो पातीओ पन्नत्ताओ। ताओ णं पातीओ अच्छोदगपरिहत्थाओ नानाविहस्स फलहरियगस्स बहुपडिपुण्णाओ विव चिट्ठंति सव्वरयणामईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ महया-महया गोकलिंजगचक्कसमाणीओ पन्नत्ताओ समणाउसो! तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो सुपइट्ठगा पन्नत्ता। ते णं सुपइट्ठगा सुसव्वोसहिपडिपुण्णा नानाविहस्स च पसाधणभंडस्स बहुपडिपुण्णा इव चिट्ठंति सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो मणोगुलियाओ पन्नत्ताओ। तासु णं मनोगुलियासु बहवे सुवण्णरुप्पामया फलगा पन्नत्ता। तेसु णं सुवण्णरुप्पामएसु फलगेसु बहवे वइरामया नागदंतया पन्नत्ता। तेसु णं वइरामएसु नागदंतएसु बहवे रययामया सिक्कगा पन्नत्ता। तेसु णं रययामएसु सिक्कगेसु बहवे वायकरगा पन्नत्ता। ते णं वायकारगा किण्हसुत्तसिक्कगगवच्छिया नीलसुत्त-सिक्कगगवच्छिया लोहियसुत्तसिक्कगगवच्छिया हालिद्दसुत्तसिक्कगगवच्छिया सुक्किलसुत्त-सिक्कगगवच्छिया सव्ववेरुलियमया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो चित्ता रयणकरंडगा पन्नत्ता–से जहानामए रन्नो चाउरंतचक्कवट्टिस्स चित्ते रयणकरंडए वेरुलियमणि फालियपडल पच्चोयडे साए पहाए ते पएसे सव्वतो समंता ओभासेति उज्जोवेति तावेति पभासेति, एवमेव तेवि चित्ता रयणकरंडगा साए पभाए ते पएसे सव्वओ समंता ओभासंति उज्जोवेंति तावेंति पभासेंति। तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो हयकंठा गयकंठा नरकंठा किन्नरकंठा किंपुरिसकंठा महोरगकंठा गंधव्वकंठा उसभकंठा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो पुप्फचंगेरीओ मल्लचंगेरीओ चुण्णचंगेरीओ गंधचंगेरीओ वत्थचंगेरीओ आभर-णचंगेरीओ सिद्धत्थचंगेरीओ लोमहत्थचंगेरीओ पन्नत्ताओ सव्वरयणामईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ। तेसि णं तोरणाणं, पुरओ दो दो पुप्फपडलगाइं मल्लपडलगाइं चुण्णपडलगाइं गंधपडलगाइं वत्थपडलगाइं आभरणपडलगाइं सिद्धत्थपडलगाइं लोमहत्थपडलगाइं पन्नत्ताइं सव्वरयणामयाइं अच्छाइं सण्हाइं लण्हाइं घट्ठाइं मट्ठाइं नीरयाइं निम्मलाइं निप्पंकाइं निक्कंकडच्छायाइं सप्पभाइं समरीइयाइं सउज्जोयाइं पासादीयाइं दरिसणिज्जाइं अभिरूवाइं पडिरूवाइं। तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो सीहासना पन्नत्ता। तेसि णं सीहासनाणं वण्णाओ जाव दामा। तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो रुप्पमया छत्ता पन्नत्ता। ते णं छत्ता वेरुलियविमलदंडा जंबूणयकण्णिया वइरसंधी मुत्ताजालपरिगया अट्ठसहस्सवरकंचणसलागा दद्दरमलयसुगंधि सव्वो-उयसुरभिसीयलच्छाया मंगलभत्तिचित्ता चंदागारोवमा। तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो चामराओ पन्नत्ताओ। ताओ णं चामराओ चंदप्पभ वेरुलिय वइर नानामणिरयणखचियचित्तदंडाओ सुहुमरययदीहवालाओ संखंक कुंद दगरय अमयमहिय-फेणुपुंजसन्निगासातो सव्वरयणामईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ। तेसि णं तोरणाणं पुरओ दो दो तेल्लसमुग्गा कोट्ठसमुग्गा पत्तसमुग्गा चोयगसमुग्गा तगरसमुग्गा एलासमुग्गा हरियालसमुग्गा हिंगुलयसमुग्गा मनोसिलासमुग्गा अंजगसमुग्गा सव्व-रयणामया अच्छा जाव पडिरूवा। | ||
Sutra Meaning : | उन द्वारों की दोनों बाजुओं की निशीधिकाओं में सोलह – सोलह पुतलियों की पंक्तियाँ हैं। ये पुतलियाँ विविध प्रकार की लीलाएं करती हुई, सुप्रतिष्ठित सब प्रकार के आभूषणों से शृंगारित, अनेक प्रकार के रंग – बिरंगे परिधानों एवं मालाओं से शोभायमान, मुट्ठी प्रमाण काटि प्रदेश वाली, शिर पर ऊंचा अंबाडा बांधे हुए और समश्रेणि में स्थित हैं। वे सहवर्ती, अभ्युन्नत, परिपुष्ट, कठोर, भरावदार – स्थूल गोलाकार पयोधरों वाली, लालिमा युक्त नयनान्तभाग वाली, सुकोमल, अतीव निर्मल, शोभनीक सघन घुँघराली काली – काली कजरारी केशराशि वाली, उत्तम अशोक वृक्ष का सहारा लेकर खड़ी हुई और बायें हाथ से अग्र शाखा को पकड़े हुए, अर्ध निमीलित नेत्रों की ईषत् वक्र कटाक्ष – रूप चेष्टाओं द्वारा देवों के मनों को हरण करती हुई – सी और एक दूसरे को देखकर परस्पर खेद – खिन्न होती हुई – सी, पार्थिवपरिणाम होने पर भी शाश्वत विद्यमान, चन्द्रार्धतुल्य ललाट वाली, चन्द्र से भी अधिक सौम्य कांति वाली, उल्का के प्रकाश पूंज की तरह उद्योत वाली विद्युत की चमक एवं सूर्य के देदीप्यमान तेज से भी अधिक प्रकाश, अपनी सुन्दर वेषभूषा से शृंगार रस के गृह – जैसी और मन को प्रसन्न करने वाली यावत् अतीव रमणीय हैं। इन द्वारों के दोनों बाजुओं की दोनों निषीधिकाओं में सोलह – सोलह जालकटक हैं, ये प्रदेश सर्वरत्नमय, निर्मल यावत् अत्यन्त रमणीय हैं। इन द्वारों की उभय पार्श्ववर्ती दोनों निषीधिकाओं में सोलह – सोलह घंटाओं की पंक्तियाँ कही गई हैं। वे प्रत्येक घंटे जाम्बूनद स्वर्ण से बने हुए हैं, उनके लोलक वज्ररत्नमय हैं, भीतर और बाहर दोनों बाजुओं में विविध प्रकार के मणि जड़े हैं, लटकाने के लिए बंधी हुई साँकलें सोने की और रस्सियाँ चाँदी की हैं। मेघ की गड़गड़ाहट, हंसस्वर, क्रौंचस्वर, सिंहगर्जना, दुन्दुभिनाद, वाद्यसमूहनिनाद, नन्दिघोष, मंजुस्वर, मंजुघोष, सुस्वर, सुस्वरघोष जैसी ध्वनि वाले वे घंटे अपनी श्रेष्ठ मनोज्ञ, मनोहर कर्ण और मन को प्रिय, सुखकारी झनकारों से उस प्रदेश को चारों ओर से व्याप्त करते हुए अतीव अतीव शोभायमान हो रहे हैं। उन द्वारों की दोनों बाजुओं की दोनों निषीधिकाओं में सोलह – सोलह वनमालाओं की परिपाटियाँ हैं। ये वनमालाएं अनेक प्रकार की मणियों से निर्मित द्रुमों, पौधों, लताओं, किसलयों और पल्लवों से व्याप्त हैं। मधुपान के लिए बारंबार षटपदों के द्वारा स्पर्श किये जाने से सुशोभित ये वनलताएं मन को प्रसन्न करने वाली, दर्शनीय, अभिरूप एवं प्रतिरूप हैं। इन द्वारों की उभय पार्श्ववर्ती दोनों निषीधिकाओं में सोलह – सोलह प्रकंठक हैं ये प्रत्येक प्रकंठक अढ़ाइ सौ योजन लम्बे, अढ़ाई सौ योजन चौड़े और सवा सौ योजन मोटे हैं तथा सर्वात्मना रत्नों से बने हुए, निर्मल यावत् अतीव रमणीय हैं। उन प्रकण्ठकों के ऊपर एक – एक प्रासादावतंसक है। ये प्रासादावतंसक ऊंचाई में अढ़ाई सौ योजन ऊंचे और सवा सौ योजन चौड़े हैं, चारों दिशाओं में व्याप्त अपनी प्रभा से हँसते हुए से प्रतीत होते हैं। विविध प्रकार के मणि – रत्नों से इनमें चित्र – विचित्र रचनाएं बनी हुई हैं। वायु से फहराती हुई, विजय को सूचित करने वाली वैजयन्ती – पताकाओं एवं छत्रातिछत्रों से अलंकृत हैं, अत्यन्त ऊंचे होने से इनके शिखर मानो आकाशतल का उल्लंघन करते हैं। विशिष्ट शोभा के लिए जाली – झरोखों में रत्न जड़े हुए हैं। वे रत्न ऐसे चमकते हैं मानों तत्काल पिटारों से नीकाले हुए हों। मणियों और स्वर्ण से इनकी स्तूपिकाएं निर्मित हैं। तथा स्थान – स्थान पर विकसित शतपत्र एवं पुण्डरीक कमलों के चित्र और तिलकरत्नों से रचित अर्धचन्द्र बने हुए हैं। वे नाना प्रकार की मणिमय लताओं से अलंकृत हैं। भीतर और बाहर से चीकने हैं। प्रांगणों में स्वर्णमयी बालुका बिछी हुई है, इनका स्पर्श सुखप्रद है। रूप शोभासम्पन्न है। देखते ही चित्त में प्रसन्नता होती है, वे दर्शनीय हैं। यावत् मुक्तादामों आदि से सुशोभित हैं। उन द्वारों के दोनों पार्श्वों में सोलह – सोलह तोरण हैं। वे सभी तोरण नाना प्रकार के मणिरत्नों से बने हुए हैं तथा विविध प्रकार की मणियों से निर्मित स्तम्भों के ऊपर अच्छी तरह बंधे हैं यावत् पद्म – कमलों के झूमकों – गुच्छों से उपशोभित हैं। उन तोरणों में से प्रत्येक के आगे दो – दो पुतलियाँ स्थित हैं। पुतलियों का वर्णन पूर्ववत्। उन तोरणों के आगे दो – दो नागदन्त हैं। मुक्तादाम पर्यन्त इनका वर्णन पूर्ववर्णित नागदन्तों के समान जानना। उन तोरणों के आगे दो – दो अश्व, गज, नर, किन्नर, किंपुरुष, महोरग, गन्धर्व और वृषभ संघाट हैं। ये सभी रत्नमय, निर्मल यावत् असाधारण रूप – सौन्दर्य वाले हैं। इसी प्रकार से इनकी पंक्ति वीथि और मिथुन स्थित हैं। उन तोरणों के आगे दो – दो पद्मलताएं यावत् श्यामलताएं हैं। वे सभी लताएं पुष्पों से व्याप्त और रत्नमय, निर्मल यावत् असाधारण मनोहर हैं। उन तोरणों के अग्रभाग में दो – दो दिशा – स्वस्तिक रखे हैं, जो सर्वात्मना रत्नों से बने हुए, निर्मल यावत् प्रतिरूप हैं। उन तोरणों के आगे दो – दो चन्दनकलश कहे हैं। ये चन्दनकलश श्रेष्ठ कमलों पर स्थापित हैं, इत्यादि वर्णन पूर्ववत्। उन तोरणों के आगे दो – दो भृंगार हैं। ये भृंगार भी उत्तम कमलों पर रखे हुए हैं यावत् हे आयुष्मन् श्रमणों ! मत्त गजराज की मुखाकृति के समान विशाल आकार वाले हैं। उन तोरणों के आगे दो – दो आदर्श – दर्पण रखे हैं। इनकी पादपीठ सोने की है, प्रतिबिम्ब मण्डल अंकरत्न के हैं और अनघिसे होने पर भी ये दर्पण अपनी स्वाभाविक निर्मल प्रभा से युक्त हैं। चन्द्रमण्डल सरीखे ये निर्मल दर्पण ऊंचाई में कायार्ध जितने बड़े – बड़े हैं। उन तोरणों के आगे वज्रभय नाभि वाले दो – दो थाल रखे हैं। ये सभी थाल मूशल आदि से तीन बार छाँटे गये, शोध गये, अतीव स्वच्छ निर्मल अखण्ड तंदुलों – चावलों से परिपूर्ण – भरे हुए से प्रतिभासित होते हैं। हे आयुष्मन् श्रमणों ! ये थाल जम्बूनद – स्वर्णविशेष – से बने हुए यावत् अतिशय रमणीय और रथ के पहिये जितने विशाल गोल आकार के हैं। उन तोरणों के आगे दो – दो पात्रियाँ रखी हैं। ये पात्रियाँ स्वच्छ निर्मल जल से भरी हुई हैं और विविध प्रकार के सद्य – ताजे हरे फलों से भरी हुई – सी प्रतिभासित होती हैं। हे आयुष्मन् श्रमणों ! ये सभी पात्रियाँ रत्नमयी, निर्मल यावत् अतीव मनोहर हैं और इनका आकार बड़े – बड़े गोकलिंजरों के समान गोल हैं। तोरणों के आगे दो दो सुप्रतिष्ठकपात्र विशेष रखे हैं। प्रसाधन – शृंगार की साधनभूत औषधियों आदि से भरे हुए भांडों से सुशोभित हैं और सर्वात्मना रत्नों से बने हुए, निर्मल यावत् अतीव मनोहर हैं। उन तोरणों के आगे दो – दो मनोगुलिकाएं हैं। इन पर अनेक सोने और चाँदी के पाटिये जुड़े हुए हैं और उन पर वज्र रत्नमय नागदन्त लगे हैं एवं उन नागदन्तों के ऊपर वज्ररत्नमय छीके टंगे हैं। उन छींकों पर काले, नीले, लाल, पीले और सफेद सूत के जालीदार वस्त्र खण्ड से ढँके हुए वातकरक रखे हैं। ये सभी वातकरक वज्ररत्नमय, स्वच्छ यावत् अतिशय सुन्दर हैं। उन तोरणों के आगे चित्रामों से युक्त दो – दो (रत्नकरंडक) रखे हैं। जिस तरह चातुरंत चक्रवर्ती राजा का वैडूर्यमणि से बना एवं स्फटिक मणि के पटल से आच्छादित अद्भूत – आश्चर्यजनक रत्न – करंडक अपनी प्रभा से उस प्रदेश को पूरी तरह से प्रकाशित, उद्योतित, तापित और प्रभासित करता है, उसी प्रकार ये रत्नकरंडक भी अपनी प्रभा से अपने निकटवर्ती प्रदेश को सर्वात्मना प्रकाशित, उद्योतित, तापित और प्रभासित करते हैं। उन तोरणों के आगे दो – दो अश्वकंठ, गजकंठ, नरकंठ, किन्नरकंठ, किंपुरुषकंठ, महोरगकंठ, गंधर्वकंठ और वृषभकंठ रखे हैं। ये सब सर्वथा रत्नमय, स्वच्छ – निर्मल यावत् असाधारण सुन्दर हैं। उन तोरणों के आगे दो – दो पुष्प – चंगेरिकाएं माल्यचंगेरिकाएं, चूर्ण चंगेरिकाएं, गन्ध चंगेरिकाएं, वस्त्र चंगेरिकाएं, आभरण चंगेरिकाएं, सिद्धार्थ की चंगेरिकाएं एवं लोमहस्त चंगेरिकाएं रखीं हैं। ये सभी रत्नों से बनी हुई, निर्मल यावत् प्रतिरूप हैं। उन तोरणों के आगे दो – दो पुष्पपटलक यावत् मयूर पिच्छपटलक रखे हैं। ये सब भी पटलक रत्नमय, स्वच्छ – निर्मल यावत् प्रतिरूप हैं। उन तोरणों के आगे दो – दो सिंहासन हैं। इन सिंहासनों का वर्णन मुक्तादामपर्यन्त पूर्ववत्। उन तोरणों के आगे रजतमय दो – दो छत्र हैं। इन छत्रों के दण्ड विमल वैडूर्यमणियों के हैं, कर्णिकाएं सोने की हैं, संधियाँ वज्र की हैं, मोती पिरोई हुई आठ हजार सोने की सलाइर्यां हैं तथा दद्दर चन्दन और सभी ऋतुओं के पुष्पों की सुरभि से युक्त शीतल कान्ति वाले हैं। इन पर मंगलरूप स्वस्तिक आदि के चित्र बने हैं। इनका आकार चन्द्रमण्डलवत् गोल है। उन तोरणों के आगे दो – दो चामर हैं। इन चामरों की डंडियाँ चन्द्रकांत वैडूर्य और वज्र रत्नों की हैं और उन पर अनेक प्रकार के मणि – रत्नों द्वारा विविध चित्र – विचित्र रचनाएं बनी हैं, शंख, अंकरत्न, कुंदपुष्प, जलकण और मथित क्षीरोदधि के फेनपुंज सदृश श्वेत – धवल इनके पतले लम्बे बाल हैं। ये सभी चामर सर्वथा रत्नमय, निर्मल यावत् प्रतिरूप हैं। उन तोरणों के आगे दो – दो तेलसमुद्गक, कोष्ठ समुद्गक, पत्र समुद्गक, चोयसमुद्गक, तगर – समुद्गक, एला समुद्गक, हरतालसमुद्गक, हिंगलकसमुद्गक, मैनमिलसमुद्गक, अंजनसमद्गक रखे हैं। ये सभी समुद्गक रत्नों से बने हुए, निर्मल यावत् अतीव मनोहर हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] tesim nam daranam ubhao pase duhao nisihiyae solasa-solasa salabhamjiya-parivadio pannattao. Tao nam salabhamjiyao lilatthiyao supaitthiyao sualamkiyao nanaviharagavasanao nanamallapinaddhao mutthigejjhasumajjhao amelaga-jamala juyala vattiya abbhunnaya pina raiya samthiyapaoharao rattavamgao asiyakesio miuvisaya pasattha lakkhana samvelliyaggasirayao isim asogavarapayavasamutthiyao vamahatthaggahiyaggasalao isim addhachchhikadakkhachitthitehim lusamanio viva, chakkhulloyanalesehim annamannam khijjamanio viva, pudhaviparinamao sasayabhavamuvagayao chamdananao chamdavilasinio chamdaddhasamanidalao chamdahiyasomadamsanao ukka viva ujjovemanao vijju ghana miriya sura dippamta teya ahiyayara sannikasao simgara-garacharuvesao pasaiyao darisanijjao abhiruvao padiruvao teyasa ativa-ativa uvasobhemanio-uvasobhemanio chitthamti. Tesi nam daranam ubhao pase duhao nisihiyae solasa-solasa jalakadaga pannatta. Te nam jalakadaga savvarayanamaya achchha java padiruva. Tesi nam daranam ubhao pase duhao nisihiyae solasa-solasa ghamtaparivadio pannattao. Tasi nam ghamtanam imeyaruve vannavase pannatte, tam jaha– jambunayamaio ghamtao vairamaio lalao, nanamanimaya ghamtapasa, tavanijjamaio samkalao, rayayamayao rajjuo. Tao nam ghamtao ohassarao mehassarao hamsassarao kumchassarao sihassarao dumduhissarao namdissarao namdighosao mamjussarao mamjughosao sussarao sussaraghosao oralenam manunnenam manaharenam kannamananivvutikarenam saddenam te padese savvao samamta apuremanao-apuremanao sirie ativa-ativa uvasobhemanao-uvasobhemanao chitthamti. Tesi nam daranam ubhao pase duhao nisihiyae solasa-solasa vanamala parivadio pannattao. Tao nam vanamalao nanadumalaya kisalaya pallava samaulao chhappayaparibhujjamana sohamta sassiriyao pasaiyao darisanijjao abhiruvao padiruvao. Tesi nam daranam ubhao pase duhao nisihiyae solasa-solasa pagamthaga pannatta. Te nam pagamthaga addhaijjaim joyanasayaim ayama-vikkhambhenam, panavisam joyanasayam bahallenam, savvavairamaya achchha java padiruva. Tesi nam pagamthaganam uvarim patteyam-patteyam pasayavademsaga pannatta. Tenam pasayavademsaga addhaijjaim joyanasayaim uddham uchchattenam, panavisam joyanasayam vikkhambhenam abbhuggayamusiya pahasiya iva, vivihamanirayanabhattichitta vauddhuyavijayavejayamti-padagachchhattaichhattakaliya tumga gaganatalamanuliham-tasihara jalamtararayana pamjarummiliyavva mani-kanagathubhiyaga biyasiyasayavatta pomdariya tilagarayanaddhachamdachitta amto bahim cha sanha tavanijja valuyapatthada suhaphasa sassiriyaruva pasadiya darisanijja abhiruva padiruva java dama. Tesi nam daranam ubhao pase duhao nisihiyae solasa-solasa torana pannatta–nanamanimaya nanamanimaesu khambhesu uvanivitthasannivittha java paumahatthaga. Tesi nam torananam purao do do salabhamjiyao pannattao. Jaha hettha taheva. Tesi nam torananam purao nagadamtaga pannatta. Jaha hettha java dama. Tesi nam torananam purao do do hayasamghada gayasamghada narasamghada kinnarasamghada kimpurisasamghada mahoragasamghada gamdhavvasamghada usabhasamghada savvarayanamaya achchha java padiruva. Tesi nam torananam purao do do hayapamtio. Tesi nam torananam purao do do hayavihio. Tesi nam torananam purao do do hayamihunaim. Tesi nam torananam purao do do paumalayao do do nagalayao do do asogalayao do do champagalayao do do chuyalayao do do vanalayao do do vasamtiyalayao do do aimuttayalayao do do kumdalayao do do samalayao nichcham kusumiyao nichcham maiyao nichcham lavaiyao nichcham thavaiyao nichcham gulaiyao nichcham gochchhiyao nichcham amaliyao nichcham juvaliyao nichcham vinamiyao nichcham panamiyao nichcham suvibhatta pimdi mamjari vademsagadhario nichcham kusumiya maiya lavaiya thavaiya gulaiya gochchhiya jamaliya juvaliya vinamiya panamiya suvibhatta pimdi mamjari vademsagadhario savvarayanamaio achchhao sanhao lanhao ghatthao matthao nirayao nimmalao nippamkao nikkamkadachchhayao sappabhao samariiyao saujjoyao pasadiyao darisa-nijjao abhiruvao padiruvao. Tesi nam torananam purao do do disasovatthiya pannatta–savvarayanamaya achchha padiruva. Tesi nam torananam purao do do vamdanakalasa pannatta. Te nam vamdanakalasa varakamalapaitthana surabhivaravaripadi-punna chamdanakayachachchaga aviddhakamtheguna paumuppalapidhana savvarayanamaya achchha java padiruva mahaya-mahaya mahimdakumbhasamana pannatta samanauso. Tesi nam torananam purao do do bhimgara pannatta. Te nam bhimgara varakamalapaitthana surabhivaravaripadipunna chamdanakayachachchaga aviddhakamtheguna paumuppalapidhana savvarayanamaya achchha java padiruva mahaya mattagayamahamuhakatisamana pannatta samanauso! Tesi nam torananam purao do do ayamsa pannatta. Tesi nam ayamsanam imeyaruve vannavase pannatte, tam jaha–tavanijjamaya pagamthaga, amkamaya mamdala anugghasitanimmalae chhayae samanubaddha, chamdamamdalapadinikasa mahaya-mahaya addhakaya-samana pannatta samanauso! Tesi nam torananam purao do do vairanabha thala pannatta–achchha tichchhadiya sali tamdula nahasamdittha padipunna iva chitthamti savvajambunayamaya achchha java padiruva mahaya-mahaya rahachakkasamana pannatta samanauso! Tesi nam torananam purao do do patio pannattao. Tao nam patio achchhodagaparihatthao nanavihassa phalahariyagassa bahupadipunnao viva chitthamti savvarayanamaio achchhao java padiruvao mahaya-mahaya gokalimjagachakkasamanio pannattao samanauso! Tesi nam torananam purao do do supaitthaga pannatta. Te nam supaitthaga susavvosahipadipunna nanavihassa cha pasadhanabhamdassa bahupadipunna iva chitthamti savvarayanamaya achchha java padiruva. Tesi nam torananam purao do do manoguliyao pannattao. Tasu nam manoguliyasu bahave suvannaruppamaya phalaga pannatta. Tesu nam suvannaruppamaesu phalagesu bahave vairamaya nagadamtaya pannatta. Tesu nam vairamaesu nagadamtaesu bahave rayayamaya sikkaga pannatta. Tesu nam rayayamaesu sikkagesu bahave vayakaraga pannatta. Te nam vayakaraga kinhasuttasikkagagavachchhiya nilasutta-sikkagagavachchhiya lohiyasuttasikkagagavachchhiya haliddasuttasikkagagavachchhiya sukkilasutta-sikkagagavachchhiya savvaveruliyamaya achchha java padiruva. Tesi nam torananam purao do do chitta rayanakaramdaga pannatta–se jahanamae ranno chauramtachakkavattissa chitte rayanakaramdae veruliyamani phaliyapadala pachchoyade sae pahae te paese savvato samamta obhaseti ujjoveti taveti pabhaseti, evameva tevi chitta rayanakaramdaga sae pabhae te paese savvao samamta obhasamti ujjovemti tavemti pabhasemti. Tesi nam torananam purao do do hayakamtha gayakamtha narakamtha kinnarakamtha kimpurisakamtha mahoragakamtha gamdhavvakamtha usabhakamtha savvarayanamaya achchha java padiruva. Tesi nam torananam purao do do pupphachamgerio mallachamgerio chunnachamgerio gamdhachamgerio vatthachamgerio abhara-nachamgerio siddhatthachamgerio lomahatthachamgerio pannattao savvarayanamaio achchhao java padiruvao. Tesi nam torananam, purao do do pupphapadalagaim mallapadalagaim chunnapadalagaim gamdhapadalagaim vatthapadalagaim abharanapadalagaim siddhatthapadalagaim lomahatthapadalagaim pannattaim savvarayanamayaim achchhaim sanhaim lanhaim ghatthaim matthaim nirayaim nimmalaim nippamkaim nikkamkadachchhayaim sappabhaim samariiyaim saujjoyaim pasadiyaim darisanijjaim abhiruvaim padiruvaim. Tesi nam torananam purao do do sihasana pannatta. Tesi nam sihasananam vannao java dama. Tesi nam torananam purao do do ruppamaya chhatta pannatta. Te nam chhatta veruliyavimaladamda jambunayakanniya vairasamdhi muttajalaparigaya atthasahassavarakamchanasalaga daddaramalayasugamdhi savvo-uyasurabhisiyalachchhaya mamgalabhattichitta chamdagarovama. Tesi nam torananam purao do do chamarao pannattao. Tao nam chamarao chamdappabha veruliya vaira nanamanirayanakhachiyachittadamdao suhumarayayadihavalao samkhamka kumda dagaraya amayamahiya-phenupumjasannigasato savvarayanamaio achchhao java padiruvao. Tesi nam torananam purao do do tellasamugga kotthasamugga pattasamugga choyagasamugga tagarasamugga elasamugga hariyalasamugga himgulayasamugga manosilasamugga amjagasamugga savva-rayanamaya achchha java padiruva. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Una dvarom ki donom bajuom ki nishidhikaom mem solaha – solaha putaliyom ki pamktiyam haim. Ye putaliyam vividha prakara ki lilaem karati hui, supratishthita saba prakara ke abhushanom se shrimgarita, aneka prakara ke ramga – biramge paridhanom evam malaom se shobhayamana, mutthi pramana kati pradesha vali, shira para umcha ambada bamdhe hue aura samashreni mem sthita haim. Ve sahavarti, abhyunnata, paripushta, kathora, bharavadara – sthula golakara payodharom vali, lalima yukta nayanantabhaga vali, sukomala, ativa nirmala, shobhanika saghana ghumgharali kali – kali kajarari kesharashi vali, uttama ashoka vriksha ka sahara lekara khari hui aura bayem hatha se agra shakha ko pakare hue, ardha nimilita netrom ki ishat vakra kataksha – rupa cheshtaom dvara devom ke manom ko harana karati hui – si aura eka dusare ko dekhakara paraspara kheda – khinna hoti hui – si, parthivaparinama hone para bhi shashvata vidyamana, chandrardhatulya lalata vali, chandra se bhi adhika saumya kamti vali, ulka ke prakasha pumja ki taraha udyota vali vidyuta ki chamaka evam surya ke dedipyamana teja se bhi adhika prakasha, apani sundara veshabhusha se shrimgara rasa ke griha – jaisi aura mana ko prasanna karane vali yavat ativa ramaniya haim. Ina dvarom ke donom bajuom ki donom nishidhikaom mem solaha – solaha jalakataka haim, ye pradesha sarvaratnamaya, nirmala yavat atyanta ramaniya haim. Ina dvarom ki ubhaya parshvavarti donom nishidhikaom mem solaha – solaha ghamtaom ki pamktiyam kahi gai haim. Ve pratyeka ghamte jambunada svarna se bane hue haim, unake lolaka vajraratnamaya haim, bhitara aura bahara donom bajuom mem vividha prakara ke mani jare haim, latakane ke lie bamdhi hui samkalem sone ki aura rassiyam chamdi ki haim. Megha ki garagarahata, hamsasvara, kraumchasvara, simhagarjana, dundubhinada, vadyasamuhaninada, nandighosha, mamjusvara, mamjughosha, susvara, susvaraghosha jaisi dhvani vale ve ghamte apani shreshtha manojnya, manohara karna aura mana ko priya, sukhakari jhanakarom se usa pradesha ko charom ora se vyapta karate hue ativa ativa shobhayamana ho rahe haim. Una dvarom ki donom bajuom ki donom nishidhikaom mem solaha – solaha vanamalaom ki paripatiyam haim. Ye vanamalaem aneka prakara ki maniyom se nirmita drumom, paudhom, lataom, kisalayom aura pallavom se vyapta haim. Madhupana ke lie barambara shatapadom ke dvara sparsha kiye jane se sushobhita ye vanalataem mana ko prasanna karane vali, darshaniya, abhirupa evam pratirupa haim. Ina dvarom ki ubhaya parshvavarti donom nishidhikaom mem solaha – solaha prakamthaka haim ye pratyeka prakamthaka arhai sau yojana lambe, arhai sau yojana chaure aura sava sau yojana mote haim tatha sarvatmana ratnom se bane hue, nirmala yavat ativa ramaniya haim. Una prakanthakom ke upara eka – eka prasadavatamsaka hai. Ye prasadavatamsaka umchai mem arhai sau yojana umche aura sava sau yojana chaure haim, charom dishaom mem vyapta apani prabha se hamsate hue se pratita hote haim. Vividha prakara ke mani – ratnom se inamem chitra – vichitra rachanaem bani hui haim. Vayu se phaharati hui, vijaya ko suchita karane vali vaijayanti – patakaom evam chhatratichhatrom se alamkrita haim, atyanta umche hone se inake shikhara mano akashatala ka ullamghana karate haim. Vishishta shobha ke lie jali – jharokhom mem ratna jare hue haim. Ve ratna aise chamakate haim manom tatkala pitarom se nikale hue hom. Maniyom aura svarna se inaki stupikaem nirmita haim. Tatha sthana – sthana para vikasita shatapatra evam pundarika kamalom ke chitra aura tilakaratnom se rachita ardhachandra bane hue haim. Ve nana prakara ki manimaya lataom se alamkrita haim. Bhitara aura bahara se chikane haim. Pramganom mem svarnamayi baluka bichhi hui hai, inaka sparsha sukhaprada hai. Rupa shobhasampanna hai. Dekhate hi chitta mem prasannata hoti hai, ve darshaniya haim. Yavat muktadamom adi se sushobhita haim. Una dvarom ke donom parshvom mem solaha – solaha torana haim. Ve sabhi torana nana prakara ke maniratnom se bane hue haim tatha vividha prakara ki maniyom se nirmita stambhom ke upara achchhi taraha bamdhe haim yavat padma – kamalom ke jhumakom – guchchhom se upashobhita haim. Una toranom mem se pratyeka ke age do – do putaliyam sthita haim. Putaliyom ka varnana purvavat. Una toranom ke age do – do nagadanta haim. Muktadama paryanta inaka varnana purvavarnita nagadantom ke samana janana. Una toranom ke age do – do ashva, gaja, nara, kinnara, kimpurusha, mahoraga, gandharva aura vrishabha samghata haim. Ye sabhi ratnamaya, nirmala yavat asadharana rupa – saundarya vale haim. Isi prakara se inaki pamkti vithi aura mithuna sthita haim. Una toranom ke age do – do padmalataem yavat shyamalataem haim. Ve sabhi lataem pushpom se vyapta aura ratnamaya, nirmala yavat asadharana manohara haim. Una toranom ke agrabhaga mem do – do disha – svastika rakhe haim, jo sarvatmana ratnom se bane hue, nirmala yavat pratirupa haim. Una toranom ke age do – do chandanakalasha kahe haim. Ye chandanakalasha shreshtha kamalom para sthapita haim, ityadi varnana purvavat. Una toranom ke age do – do bhrimgara haim. Ye bhrimgara bhi uttama kamalom para rakhe hue haim yavat he ayushman shramanom ! Matta gajaraja ki mukhakriti ke samana vishala akara vale haim. Una toranom ke age do – do adarsha – darpana rakhe haim. Inaki padapitha sone ki hai, pratibimba mandala amkaratna ke haim aura anaghise hone para bhi ye darpana apani svabhavika nirmala prabha se yukta haim. Chandramandala sarikhe ye nirmala darpana umchai mem kayardha jitane bare – bare haim. Una toranom ke age vajrabhaya nabhi vale do – do thala rakhe haim. Ye sabhi thala mushala adi se tina bara chhamte gaye, shodha gaye, ativa svachchha nirmala akhanda tamdulom – chavalom se paripurna – bhare hue se pratibhasita hote haim. He ayushman shramanom ! Ye thala jambunada – svarnavishesha – se bane hue yavat atishaya ramaniya aura ratha ke pahiye jitane vishala gola akara ke haim. Una toranom ke age do – do patriyam rakhi haim. Ye patriyam svachchha nirmala jala se bhari hui haim aura vividha prakara ke sadya – taje hare phalom se bhari hui – si pratibhasita hoti haim. He ayushman shramanom ! Ye sabhi patriyam ratnamayi, nirmala yavat ativa manohara haim aura inaka akara bare – bare gokalimjarom ke samana gola haim. Toranom ke age do do supratishthakapatra vishesha rakhe haim. Prasadhana – shrimgara ki sadhanabhuta aushadhiyom adi se bhare hue bhamdom se sushobhita haim aura sarvatmana ratnom se bane hue, nirmala yavat ativa manohara haim. Una toranom ke age do – do manogulikaem haim. Ina para aneka sone aura chamdi ke patiye jure hue haim aura una para vajra ratnamaya nagadanta lage haim evam una nagadantom ke upara vajraratnamaya chhike tamge haim. Una chhimkom para kale, nile, lala, pile aura sapheda suta ke jalidara vastra khanda se dhamke hue vatakaraka rakhe haim. Ye sabhi vatakaraka vajraratnamaya, svachchha yavat atishaya sundara haim. Una toranom ke age chitramom se yukta do – do (ratnakaramdaka) rakhe haim. Jisa taraha chaturamta chakravarti raja ka vaiduryamani se bana evam sphatika mani ke patala se achchhadita adbhuta – ashcharyajanaka ratna – karamdaka apani prabha se usa pradesha ko puri taraha se prakashita, udyotita, tapita aura prabhasita karata hai, usi prakara ye ratnakaramdaka bhi apani prabha se apane nikatavarti pradesha ko sarvatmana prakashita, udyotita, tapita aura prabhasita karate haim. Una toranom ke age do – do ashvakamtha, gajakamtha, narakamtha, kinnarakamtha, kimpurushakamtha, mahoragakamtha, gamdharvakamtha aura vrishabhakamtha rakhe haim. Ye saba sarvatha ratnamaya, svachchha – nirmala yavat asadharana sundara haim. Una toranom ke age do – do pushpa – chamgerikaem malyachamgerikaem, churna chamgerikaem, gandha chamgerikaem, vastra chamgerikaem, abharana chamgerikaem, siddhartha ki chamgerikaem evam lomahasta chamgerikaem rakhim haim. Ye sabhi ratnom se bani hui, nirmala yavat pratirupa haim. Una toranom ke age do – do pushpapatalaka yavat mayura pichchhapatalaka rakhe haim. Ye saba bhi patalaka ratnamaya, svachchha – nirmala yavat pratirupa haim. Una toranom ke age do – do simhasana haim. Ina simhasanom ka varnana muktadamaparyanta purvavat. Una toranom ke age rajatamaya do – do chhatra haim. Ina chhatrom ke danda vimala vaiduryamaniyom ke haim, karnikaem sone ki haim, samdhiyam vajra ki haim, moti piroi hui atha hajara sone ki salairyam haim tatha daddara chandana aura sabhi rituom ke pushpom ki surabhi se yukta shitala kanti vale haim. Ina para mamgalarupa svastika adi ke chitra bane haim. Inaka akara chandramandalavat gola hai. Una toranom ke age do – do chamara haim. Ina chamarom ki damdiyam chandrakamta vaidurya aura vajra ratnom ki haim aura una para aneka prakara ke mani – ratnom dvara vividha chitra – vichitra rachanaem bani haim, shamkha, amkaratna, kumdapushpa, jalakana aura mathita kshirodadhi ke phenapumja sadrisha shveta – dhavala inake patale lambe bala haim. Ye sabhi chamara sarvatha ratnamaya, nirmala yavat pratirupa haim. Una toranom ke age do – do telasamudgaka, koshtha samudgaka, patra samudgaka, choyasamudgaka, tagara – samudgaka, ela samudgaka, haratalasamudgaka, himgalakasamudgaka, mainamilasamudgaka, amjanasamadgaka rakhe haim. Ye sabhi samudgaka ratnom se bane hue, nirmala yavat ativa manohara haim. |