Sutra Navigation: Upasakdashang ( उपासक दशांग सूत्र )
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Mool File Details |
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Anuvad File Details |
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Sr No : | 1005158 | ||
Scripture Name( English ): | Upasakdashang | Translated Scripture Name : | उपासक दशांग सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
अध्ययन-१० लेइयापिता |
Translated Chapter : |
अध्ययन-१० लेइयापिता |
Section : | Translated Section : | ||
Sutra Number : | 58 | Category : | Ang-07 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स अंगस्स उवासगदसाणं नवमस्स अज्झयणस्स अयमट्ठे पन्नत्ते, दसमस्स णं भंते अज्झयणस्स के अट्ठे पन्नत्ते? एवं खलु जंबू! तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी नयरी। कोट्ठए चेइए। जियसत्तू राया। तत्थ णं सावत्थीए नयरीए लेतियापिता नामं गाहावई परिवसइ–अड्ढे जाव बहुजनस्स अपरिभूए। तस्स णं लेइयापियस्स गाहावइस्स चत्तारि हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ, चत्तारि हिरण्ण-कोडीओ वड्ढिपउत्ताओ, चत्तारि हिरण्णकोडीओ पवित्थरपउत्ताओ, चत्तारि वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्था। से णं लेइयापिता गाहावई बहूणं जाव आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे, सयस्य वि य णं कुडुंबस्स मेढी जाव सव्वकज्जवड्ढावए यावि होत्था। तस्स णं लेतियापियस्स गाहावइस्स फग्गुणी नामं भारिया होत्था–अहीन-पडिपुण्ण-पंचिंदियसरीरा जाव मानुस्सए कामभोए पच्चणुभवमाणी विहरइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे। परिसा निग्गया। कूणिए राया जहा, तहा जियसत्तू निग्गच्छइ जाव पज्जुवासइ। तए णं से लेतियापिता गाहावई इमीसे कहाए लद्धट्ठे समाणे–एवं खलु समणे भगवं महावीरे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इहेव सावत्थीए नयरीए बहिया कोट्ठए चेइए अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तं महप्फलं खलु भो! देवानुप्पिया! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमन-वंदन-नमंसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए? एगस्स वि आरियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए? तं गच्छामि णं देवानुप्पिया! समणं भगवं महावीरं वंदामि नमंसामि सक्कारेमि सम्माणेमि कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामि– एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता ण्हाए कयबलिकम्मे कय-कोउय-मंगल-पायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाइं मंगल्लाइं वत्थाइं पवर परिहिए अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं मनुस्सवग्गुरापरिखित्ते पादविहारचारेणं सावत्थिं नयरिं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणामेव कोट्ठए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता नच्चासण्णे नाइदूरे सुस्सूसमाणे नमंसमाणे अभिमुहे विनएणं पंजलिउडे पज्जुवासइ। तए णं समणे भगवं महावीरे लेतियापियस्स गाहावइस्स तीसे य महइमहालियाए परिसाए जाव धम्मं परिकहेइ। परिसा पडिगया, राया य गए। तए णं से लेतियापिया गाहावई समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मं सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठ-चित्तमाणंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवस-विसप्पमाणहियए उट्ठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी–सद्दहामि णं भंते! निग्गंथं पावयणं, पत्तियामि णं भंते! निग्गंथं पावयणं, रोएमि णं भंते! निग्गंथं पावयणं, अब्भुट्ठेमि णं भंते! निग्गंथं पावयणं। एवमेयं भंते! तहमेयं भंते! अवितहमेयं भंते! असंदिद्धमेयं भंते! इच्छियमेयं भंते! पडिच्छियमेयं भंते! इच्छिय-पडिच्छियमेयं भंते! से जहेयं तुब्भे वदह। जहा णं देवानुप्पियाणं अंतिए बहवे राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुंबिय-इब्भसेट्ठि-सेनावइ-सत्थवाहप्पभिइया मुंडा भवित्ता अगाराओ अनगारियं पव्वइया, नो खलु अहं तहा संचाएमि मुंडे भवित्ता अगाराओ अनगारियं पव्वइत्तए। अहं णं देवानुप्पियाणं अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं–दुवालसविहं सावगधम्मं पडिवज्जिस्सामि। अहासुहं देवानुप्पिया! मा पडिबंधं करेहि। तए णं से लेतियापिता गाहावई समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए सावयधम्मं पडिवज्जइ। तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नदा कदाइ सावत्थीए नयरीए कोट्ठयाओ चेइयाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जनवयविहारं विहरइ। तए णं से लेतियापिता समणोवासए जाए–अभिगयजीवाजीवे जाव समणे निग्गंथे फासु-एसणिज्जेणं असन-पान-खाइम-साइमेणं वत्थ-पडिग्गह-कंबल-पायपुंछणेणं ओसह-भेसज्जेणं पाडिहारिएण य पीढ-फलग-सेज्जा-संथारएणं पडिलाभेमाणे विहरइ। तए णं सा फग्गुणी भारिया समणोवासिया जाया–अभिगयजीवाजीवा जाव समणे निग्गंथे फासु-एसणिज्जेणं असन-पान-खाइम-साइमेणं वत्थ-पडिग्गह-कंबल-पायपुंछणेणं ओसह-भेसज्जेणं पाडिहारिएण य पीढ-फलग-सेज्जा-संथारएणं पडिलाभेमाणी विहरइ। तए णं तस्स लेतियापियस्स समणोवासगस्स बहूहिं सील-व्वय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेमाणस्स चोद्दस संवच्छराइं वीइक्कंताइं, पण्णरसमस्स संवच्छरस्स अंतरा वट्टमाणस्स अन्नदा कदाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मनोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था–एवं खलु अहं सावत्थीए नयरीए बहूणं जाव आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे, सयस्स वि य णं कुडुंबस्स मेढी जाव सव्वकज्जवड्ढावए, तं एतेण वक्खेवेणं अहं नो संचाएमि समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मपन्नत्तिं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए। तए णं से लेतियापिता समणोवासए जेट्ठपुत्तं मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परिजणं च आपुच्छइ, आपुच्छित्ता सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता सावत्थिं नयरिं मज्झं-मज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव पोसहसाला, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोसहसालं पमज्जइ, पमज्जित्ता उच्चारपासवणभूमिं पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता दब्भसंथारयं संथरेइ, संथरेत्ता दब्भसंथारयं दुरुहइ, दुरुहित्ता पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी उम्मुक्कमणिसुवण्णे ववगयमाला-वण्णगविलेवणे निक्खित्तसत्थमुसले एगे अबीए दब्भसंथारोवगए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मपन्नत्तिं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ। तए णं से लेतियापिता समणोवासए पढमं उवासगपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ। तए णं से लेतियापिता समणोवासए पढमं उवासगपडिमं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं समणं काएणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ कित्तेइ आराहेइ। तए णं से लेतियापिता समणोवासए दोच्चं उवासगपडिमं, एवं तच्चं, चउत्थं, पंचमं, छट्ठं, सत्तमं, अट्ठमं, नवमं, दसमं, एक्कारसमं उवासगपडिमं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं काएणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ कित्तेइ आराहेइ। तए णं से लेतियापिता समणोवासए तेणं ओरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे निम्मंसे अट्ठिचम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए किसे धमणिसंतए जाए। तए णं तस्स लेतियापियस्स समणोवासगस्स अन्नदा कदाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयं अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मनोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था–एवं खलु अहं इमेणं एयारूवेणं ओरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं तवोकम्मेणं सुक्के लुख्के निम्मंसे अट्ठिचम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए किसे धमणिसंतए जाए। तं अत्थि ता मे उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे सद्धा-धिइ-संवेगे, तं जावता मे अत्थि उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे सद्धा-धिइ-संवेगे, जाव य मे धम्मायरिए धम्मोवएसए समणे भगवं महावीरे जिणे सुहत्थी विहरइ, तावता मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रय-णीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिनयरे तेयसा जलंते अपच्छिममारणंतियसंलेहणा-ज्झूणा-ज्झूसियस्स भत्तपान-पडिया-इक्खियस्स, कालं अणवकंखमाणस्स विहरित्तए–एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सर-स्सिम्मि दिनयरे तेयसा जलंते अपच्छिममारणंतियसंलेहणा-ज्झूसणा-ज्झूसिए भत्तपान-पडियाइक्खिए कालं अणवकंखमाणे विहरइ। तए णं से लेतियापिता समणोवासए बहूहिं सील-व्वय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेत्ता, वीसं वासाइं समणोवासगपरियायं पाउणित्ता, एक्कारस य उवासगपडिमाओ सम्मं काएणं फासित्ता, मासियाए संलेहणाए अत्ताणं ज्झूसित्ता, सट्ठिं भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता, आलोइय-पडिक्कंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा० सोहम्मे कप्पे अरुणकीले विमाणे देवत्ताए उववण्णे। तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। लेतियापियस्स वि देवस्स चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पन्नत्ता। से णं भंते! लेतियापिता ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अनंतरं चयं चइत्ता कहिं गमिहिइ? कहिं उववज्जिहिइ? गोयमा! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ बुज्झिहिइ मुच्चिहिइ सव्वदुक्खाणमंतं काहिइ। | ||
Sutra Meaning : | जम्बू ! उस काल – उस समय – श्रावस्ती नगरी थी, कोष्ठक चैत्य था। जितशत्रु राजा था। श्रावस्ती नगरी में लेइयापिता नामक धनाढ्य एवं दीप्त – गाथापति निवास करता था। उसकी चार करोड़ स्वर्ण – मुद्राएं सुरक्षित धन के रूप में खजाने में रखी थीं, चार करोड़ स्वर्ण – मुद्राएं व्यापार में लगी थीं तथा चार करोड़ स्वर्ण – मुद्राएं घर के वैभव – साधन – सामग्री में लगी थीं। उसके चार गोकुल थे। प्रत्येक गोकुल में दस – दस हजार गायें थीं। उसकी पत्नी का नाम फाल्गुनी था। भगवान महावीर श्रावस्ती में पधारे। समवसरण हुआ। आनन्द की तरह लेइयापिता ने श्रावक – धर्म स्वीकार किया। कामदेव की तरह उसने अपने ज्येष्ठ पुत्र को पारिवारिक एवं सामाजिक उत्तरदायित्व सौंपा। भगवान महावीर के पास अंगीकृत धर्मशिक्षा के अनुरूप स्वयं पोषधशाला में उपासना निरत रहने लगा। इतना ही अन्तर रहा – उसे उपासना में कोई उपसर्ग नहीं हुआ, पूर्वोक्त रूप में उसने ग्यारह श्रावक – प्रतिमाओं की निर्विघ्न आराधना की। उसका जीवन – क्रम कामदेव की तरह समझना चाहिए। देव – त्याग कर वह सौधर्म – देवलोक में अरुणकील विमान में देवरूप में उत्पन्न हुआ। उसकी आयुस्थिति चार पल्योपम की है। महाविदेह क्षेत्र में वह सिद्ध – मुक्त होगा। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] jai nam bhamte! Samanenam bhagavaya mahavirenam java sampattenam sattamassa amgassa uvasagadasanam navamassa ajjhayanassa ayamatthe pannatte, dasamassa nam bhamte ajjhayanassa ke atthe pannatte? Evam khalu jambu! Tenam kalenam tenam samaenam savatthi nayari. Kotthae cheie. Jiyasattu raya. Tattha nam savatthie nayarie letiyapita namam gahavai parivasai–addhe java bahujanassa aparibhue. Tassa nam leiyapiyassa gahavaissa chattari hirannakodio nihanapauttao, chattari hiranna-kodio vaddhipauttao, chattari hirannakodio pavittharapauttao, chattari vaya dasagosahassienam vaenam hottha. Se nam leiyapita gahavai bahunam java apuchchhanijje padipuchchhanijje, sayasya vi ya nam kudumbassa medhi java savvakajjavaddhavae yavi hottha. Tassa nam letiyapiyassa gahavaissa phagguni namam bhariya hottha–ahina-padipunna-pamchimdiyasarira java manussae kamabhoe pachchanubhavamani viharai. Tenam kalenam tenam samaenam sami samosadhe. Parisa niggaya. Kunie raya jaha, taha jiyasattu niggachchhai java pajjuvasai. Tae nam se letiyapita gahavai imise kahae laddhatthe samane–evam khalu samane bhagavam mahavire puvvanupuvvim charamane gamanugamam duijjamane ihamagae iha sampatte iha samosadhe iheva savatthie nayarie bahiya kotthae cheie ahapadiruvam oggaham oginhitta samjamenam tavasa appanam bhavemane viharai. Tam mahapphalam khalu bho! Devanuppiya! Taharuvanam arahamtanam bhagavamtanam namagoyassa vi savanayae, kimamga puna abhigamana-vamdana-namamsana-padipuchchhana-pajjuvasanayae? Egassa vi ariyassa dhammiyassa suvayanassa savanayae, kimamga puna viulassa atthassa gahanayae? Tam gachchhami nam devanuppiya! Samanam bhagavam mahaviram vamdami namamsami sakkaremi sammanemi kallanam mamgalam devayam cheiyam pajjuvasami– Evam sampehei, sampehetta nhae kayabalikamme kaya-kouya-mamgala-payachchhitte suddhappavesaim mamgallaim vatthaim pavara parihie appamahagghabharanalamkiyasarire sayao gihao padinikkhamai, padinikkhamitta sakoremtamalladamenam chhattenam dharijjamanenam manussavagguraparikhitte padaviharacharenam savatthim nayarim majjhammajjhenam niggachchhai, niggachchhitta jenameva kotthae cheie, jeneva samane bhagavam mahavire, teneva uvagachchhai, uvagachchhitta samanam bhagavam mahaviram tikkhutto ayahina-payahinam karei, karetta vamdai namamsai, vamditta namamsitta nachchasanne naidure sussusamane namamsamane abhimuhe vinaenam pamjaliude pajjuvasai. Tae nam samane bhagavam mahavire letiyapiyassa gahavaissa tise ya mahaimahaliyae parisae java dhammam parikahei. Parisa padigaya, raya ya gae. Tae nam se letiyapiya gahavai samanassa bhagavao mahavirassa amtie dhammam sochcha nisamma hatthatuttha-chittamanamdie piimane paramasomanassie harisavasa-visappamanahiyae utthae utthei, utthetta samanam bhagavam mahaviram tikkhutto ayahina-payahinam karei, karetta vamdai namamsai, vamditta namamsitta evam vayasi–saddahami nam bhamte! Niggamtham pavayanam, pattiyami nam bhamte! Niggamtham pavayanam, roemi nam bhamte! Niggamtham pavayanam, abbhutthemi nam bhamte! Niggamtham pavayanam. Evameyam bhamte! Tahameyam bhamte! Avitahameyam bhamte! Asamdiddhameyam bhamte! Ichchhiyameyam bhamte! Padichchhiyameyam bhamte! Ichchhiya-padichchhiyameyam bhamte! Se jaheyam tubbhe vadaha. Jaha nam devanuppiyanam amtie bahave raisara-talavara-madambiya-kodumbiya-ibbhasetthi-senavai-satthavahappabhiiya mumda bhavitta agarao anagariyam pavvaiya, no khalu aham taha samchaemi mumde bhavitta agarao anagariyam pavvaittae. Aham nam devanuppiyanam amtie pamchanuvvaiyam sattasikkhavaiyam–duvalasaviham savagadhammam padivajjissami. Ahasuham devanuppiya! Ma padibamdham karehi. Tae nam se letiyapita gahavai samanassa bhagavao mahavirassa amtie savayadhammam padivajjai. Tae nam samane bhagavam mahavire annada kadai savatthie nayarie kotthayao cheiyao padinikkhamai, padinikkhamitta bahiya janavayaviharam viharai. Tae nam se letiyapita samanovasae jae–abhigayajivajive java samane niggamthe phasu-esanijjenam asana-pana-khaima-saimenam vattha-padiggaha-kambala-payapumchhanenam osaha-bhesajjenam padihariena ya pidha-phalaga-sejja-samtharaenam padilabhemane viharai. Tae nam sa phagguni bhariya samanovasiya jaya–abhigayajivajiva java samane niggamthe phasu-esanijjenam asana-pana-khaima-saimenam vattha-padiggaha-kambala-payapumchhanenam osaha-bhesajjenam padihariena ya pidha-phalaga-sejja-samtharaenam padilabhemani viharai. Tae nam tassa letiyapiyassa samanovasagassa bahuhim sila-vvaya-guna-veramana-pachchakkhana-posahovavasehim appanam bhavemanassa choddasa samvachchharaim viikkamtaim, pannarasamassa samvachchharassa amtara vattamanassa annada kadai puvvarattavarattakalasamayamsi dhammajagariyam jagaramanassa imeyaruve ajjhatthie chimtie patthie manogae samkappe samuppajjittha–evam khalu aham savatthie nayarie bahunam java apuchchhanijje padipuchchhanijje, sayassa vi ya nam kudumbassa medhi java savvakajjavaddhavae, tam etena vakkhevenam aham no samchaemi samanassa bhagavao mahavirassa amtiyam dhammapannattim uvasampajjitta nam viharittae. Tae nam se letiyapita samanovasae jetthaputtam mitta-nai-niyaga-sayana-sambamdhi-parijanam cha apuchchhai, apuchchhitta sayao gihao padinikkhamai, padinikkhamitta savatthim nayarim majjham-majjhenam niggachchhai, niggachchhitta jeneva posahasala, teneva uvagachchhai, uvagachchhitta posahasalam pamajjai, pamajjitta uchcharapasavanabhumim padilehei, padilehetta dabbhasamtharayam samtharei, samtharetta dabbhasamtharayam duruhai, duruhitta posahasalae posahie bambhayari ummukkamanisuvanne vavagayamala-vannagavilevane nikkhittasatthamusale ege abie dabbhasamtharovagae samanassa bhagavao mahavirassa amtiyam dhammapannattim uvasampajjitta nam viharai. Tae nam se letiyapita samanovasae padhamam uvasagapadimam uvasampajjitta nam viharai. Tae nam se letiyapita samanovasae padhamam uvasagapadimam ahasuttam ahakappam ahamaggam ahatachcham samanam kaenam phasei palei sohei tirei kittei arahei. Tae nam se letiyapita samanovasae dochcham uvasagapadimam, evam tachcham, chauttham, pamchamam, chhattham, sattamam, atthamam, navamam, dasamam, ekkarasamam uvasagapadimam ahasuttam ahakappam ahamaggam ahatachcham sammam kaenam phasei palei sohei tirei kittei arahei. Tae nam se letiyapita samanovasae tenam oralenam viulenam payattenam paggahienam tavokammenam sukke lukkhe nimmamse atthichammavanaddhe kidikidiyabhue kise dhamanisamtae jae. Tae nam tassa letiyapiyassa samanovasagassa annada kadai puvvarattavarattakalasamayamsi dhammajagariyam jagaramanassa ayam ajjhatthie chimtie patthie manogae samkappe samuppajjittha–evam khalu aham imenam eyaruvenam oralenam viulenam payattenam paggahienam tavokammenam sukke lukhke nimmamse atthichammavanaddhe kidikidiyabhue kise dhamanisamtae jae. Tam atthi ta me utthane kamme bale virie purisakkara-parakkame saddha-dhii-samvege, tam javata me atthi utthane kamme bale virie purisakkara-parakkame saddha-dhii-samvege, java ya me dhammayarie dhammovaesae samane bhagavam mahavire jine suhatthi viharai, tavata me seyam kallam pauppabhayae raya-nie java utthiyammi sure sahassarassimmi dinayare teyasa jalamte apachchhimamaranamtiyasamlehana-jjhuna-jjhusiyassa bhattapana-padiya-ikkhiyassa, kalam anavakamkhamanassa viharittae–evam sampehei, sampehetta kallam pauppabhayae rayanie java utthiyammi sure sahassara-ssimmi dinayare teyasa jalamte apachchhimamaranamtiyasamlehana-jjhusana-jjhusie bhattapana-padiyaikkhie kalam anavakamkhamane viharai. Tae nam se letiyapita samanovasae bahuhim sila-vvaya-guna-veramana-pachchakkhana-posahovavasehim appanam bhavetta, visam vasaim samanovasagapariyayam paunitta, ekkarasa ya uvasagapadimao sammam kaenam phasitta, masiyae samlehanae attanam jjhusitta, satthim bhattaim anasanae chhedetta, aloiya-padikkamte samahipatte kalamase kalam kichcha0 sohamme kappe arunakile vimane devattae uvavanne. Tattha nam atthegaiyanam devanam chattari paliovamaim thii pannatta. Letiyapiyassa vi devassa chattari paliovamaim thii pannatta. Se nam bhamte! Letiyapita tao devalogao aukkhaenam bhavakkhaenam thiikkhaenam anamtaram chayam chaitta kahim gamihii? Kahim uvavajjihii? Goyama! Mahavidehe vase sijjhihii bujjhihii muchchihii savvadukkhanamamtam kahii. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Jambu ! Usa kala – usa samaya – shravasti nagari thi, koshthaka chaitya tha. Jitashatru raja tha. Shravasti nagari mem leiyapita namaka dhanadhya evam dipta – gathapati nivasa karata tha. Usaki chara karora svarna – mudraem surakshita dhana ke rupa mem khajane mem rakhi thim, chara karora svarna – mudraem vyapara mem lagi thim tatha chara karora svarna – mudraem ghara ke vaibhava – sadhana – samagri mem lagi thim. Usake chara gokula the. Pratyeka gokula mem dasa – dasa hajara gayem thim. Usaki patni ka nama phalguni tha. Bhagavana mahavira shravasti mem padhare. Samavasarana hua. Ananda ki taraha leiyapita ne shravaka – dharma svikara kiya. Kamadeva ki taraha usane apane jyeshtha putra ko parivarika evam samajika uttaradayitva saumpa. Bhagavana mahavira ke pasa amgikrita dharmashiksha ke anurupa svayam poshadhashala mem upasana nirata rahane laga. Itana hi antara raha – use upasana mem koi upasarga nahim hua, purvokta rupa mem usane gyaraha shravaka – pratimaom ki nirvighna aradhana ki. Usaka jivana – krama kamadeva ki taraha samajhana chahie. Deva – tyaga kara vaha saudharma – devaloka mem arunakila vimana mem devarupa mem utpanna hua. Usaki ayusthiti chara palyopama ki hai. Mahavideha kshetra mem vaha siddha – mukta hoga. |