Sutra Navigation: Bhagavati ( भगवती सूत्र )
Search Details
Mool File Details |
|
Anuvad File Details |
|
Sr No : | 1004453 | ||
Scripture Name( English ): | Bhagavati | Translated Scripture Name : | भगवती सूत्र |
Mool Language : | Ardha-Magadhi | Translated Language : | Hindi |
Chapter : |
शतक-२५ |
Translated Chapter : |
शतक-२५ |
Section : | उद्देशक-७ संयत | Translated Section : | उद्देशक-७ संयत |
Sutra Number : | 953 | Category : | Ang-05 |
Gatha or Sutra : | Sutra | Sutra Anuyog : | |
Author : | Deepratnasagar | Original Author : | Gandhar |
Century : | Sect : | Svetambara1 | |
Source : | |||
Mool Sutra : | [सूत्र] सामाइयसंजए णं भंते! कालओ केवच्चिरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं देसूणएहिं नवहिं वासेहिं ऊणिया पुव्वकोडी। एवं छेदोवट्ठावणिए वि। परिहारविसुद्धिए जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं देसूणएहिं एकूणतीसाए वासेहिं ऊणिया पुव्वकोडी। सुहुमसंपराए जहा नियंठे। अहक्खाए जहा सामाइयसंजए। सामाइयसंजया णं भंते! कालओ केवच्चिरं होइ? गोयमा! सव्वद्धं। छेदोवट्ठावणियसंजया–पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं अड्ढाइज्जाइं वाससयाइं, उक्कोसेणं पण्णासं सागरोवमकोडिसयसहस्साइं। परिहारविसुद्धीयसंजया–पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं देसूणाइं दो वाससयाइं, उक्कोसेणं देसूणाओ दो पुव्वकोडीओ। सुहुमसंपरागसंजया–पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं। अहक्खायसंजया जहा सामाइयसंजया। सामाइयसंजयस्स णं भंते! केवइयं कालं अंतरं होइ? गोयमा! जहन्नेणं जहा पुलागस्स। एवं जाव अहक्खायसंजयस्स। सामाइयसंजयाणं भंते! –पुच्छा। गोयमा! नत्थि अंतरं। छेदोवट्ठावणियाणं–पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं तेवट्ठिं वाससहस्साइं, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकोडीओ। परिहारविसुद्धियाणं–पुच्छा। गोयमा! जहन्नेणं चउरासीइं वाससहस्साइं, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडाकोडीओ। सुहुम-संपरायाणं जहा नियंठाणं। अहक्खायाणं जहा सामाइयसंजयाणं। सामाइयसंजयस्स णं भंते! कति समुग्घाया पन्नत्ता? गोयमा! छ समुग्घाया पन्नत्ता जहा कसायकुसीलस्स। एवं छेदोवट्ठावणियस्स वि। परिहारविसुद्धि- यस्स जहा पुलागस्स। सुहुमसंपरागस्स जहा नियंठस्स। अहक्खायस्स जहा सिणायस्स। सामाइयसंजए णं भंते! लोगस्स किं संखेज्जइभागे होज्जा, असंखेज्जइभागे–पुच्छा। गोयमा! नो संखेज्जइभागे जहा पुलाए। एवं जाव सुहुमसंपराए। अहक्खायसंजए जहा सिणाए। सामाइयसंजए णं भंते! लोगस्स किं संखेज्जइभागं फुसइ? जहेव होज्जा तहेव फुसइ। सामाइयसंजए णं भंते! कयरम्मि भावे होज्जा? गोयमा! खओवसमिए भावे होज्जा। एवं जाव सुहुमसंपराए। अहक्खायसंजए–पुच्छा। गोयमा! उवसमिए वा खइए वा भावे होज्जा। सामाइयसंजया णं भंते! एगसमएणं केवतिया होज्जा? गोयमा! पडिवज्जमाणए य पडुच्च जहा कसायकुसीला तहेव निरवसेसं। छेदोवट्ठावणिया–पुच्छा। गोयमा! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय अत्थि सिय नत्थि। जइ अत्थि जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं सयपु-हत्तं। पुव्वपडिवण्णए पडुच्च सिय अत्थि सिय नत्थि। जइ अत्थि जहन्नेणं कोडिसयपुहत्तं, उक्कोसेण वि कोडिसयपुहत्तं। परिहार-विसुद्धिया जहा पुलागा। सुहुम-संपराया जहा नियंठा। अहक्खायसंजया णं–पुच्छा। गोयमा! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय अत्थि सिय नत्थि। जइ अत्थि जहन्नेणं एक्को वा दो वा तिन्नि वा, उक्कोसेणं बावट्ठं सयं–अट्ठुत्तरसयं खवगाणं, चउप्पण्णं उवसामगाणं। पुव्वपडिवण्णए पडुच्च जहन्नेणं कोडिपुहत्तं, उक्कोसेण वि कोडिपुहत्तं। एएसि णं भंते! सामाइय-छेओवट्ठावणिय-परिहारविसुद्धिय-सुहुमसंपराय-अहक्खायसंजयाणं कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा? बहुया वा? तुल्ला वा? विसेसाहिया वा? गोयमा! सव्वत्थोवा सुहुमसंपरायसंजया, परिहारविसुद्धियसंजया संखेज्जगुणा, अहक्खायसंजया संखेज्जगुणा, छेओवट्ठावणियसंजया संखेज्जगुणा, सामाइयसंजया संखेज्जगुणा। | ||
Sutra Meaning : | भगवन् ! सामायिकसंयत कितने काल तक रहता है ? गौतम ! जघन्य एक समय और उत्कृष्ट देशोन नौ वर्ष कम पूर्वकोटिवर्ष। इसी प्रकार छेदोपस्थापनीयसंयत को भी कहना। परिहारविशुद्धिसंयत जघन्य एक समय और उत्कृष्ट देशोन २९ वर्ष कम पूर्वकोटिवर्ष पर्यन्त रहता है। सूक्ष्मसम्परायसंयत निर्ग्रन्थ के अनुसार कहना। यथाख्यातसंयत को सामायिकसंयत के समान जानना। भगवन् ! (अनेक) सामायिकसंयत कितने काल तक रहते हैं ? गौतम ! (सदाकाल)। भगवन् ! (अनेक) छेदोपस्थापनीयसंयत ? गौतम ! जघन्य अढ़ाई सौ वर्ष और उत्कृष्ट पचास लाख करोड़ सागरोपम तक होते हैं। भगवन् ! (अनेक) परिहारविशुद्धिकसंयत ? गौतम ! जघन्य देशोन दो सौ वर्ष और उत्कृष्ट देशोन दो पूर्वकोटिवर्ष तक होते हैं। भगवन् ! (अनेक) सूक्ष्मसम्परायसंयत ? गौतम ! जघन्य एक समय और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त्त तक रहते हैं। (बहुत) यथाख्यातसंयतों को सामायिकसंयतों के समान जानना। भगवन् ! (एक) सामायिकसंयत का अन्तर कितने काल का होता है ? गौतम ! जघन्य अन्तर्मुहूर्त्त इत्यादि पुलाक के समान जानना। इसी प्रकार का कथन यथाख्यातसंयत तक समझना चाहिए। भगवन् ! (अनेक) सामायिकसंयतों का अन्तर काल ? गौतम ! उनका अन्तर नहीं होता। भगवन् ! (अनेक) छेदोपस्थापनीयसंयतों का अन्तर ? गौतम ! जघन्य तिरेसठ हजार वर्ष और उत्कृष्ट (कुछ कम) अठारह कोड़ाकोड़ी सागरोपम काल। भगवन् ! परिहारविशुद्धिकसंयतों का अन्तर काल ? गौतम ! जघन्य चौरासी हजार वर्ष और उत्कृष्ट देशोन अठारह कोड़ाकोड़ी सागरोपम का है। सूक्ष्मसम्परायसंयतों का अन्तर निर्ग्रन्थों के समान है। यथाख्यातसंयतों का अन्तर सामायिकसंयतों के समान है। भगवन् ! सामायिकसंयत के कितने समुद्घात कहे हैं ? गौतम ! छह समुद्घात हैं, इत्यादि वर्णन कषाय – कुशील के समान समझना। इसी प्रकार छेदोपस्थापनीयसंयत जानना। परिहारविशुद्धिकसंयत को पुलाक के समान जानना। सूक्ष्मसम्परायसंयत को निर्ग्रन्थ के समान जानना। यथाख्यातसंयत स्नातक के समान जानना। भगवन् ! सामायिकसंयत लोक के संख्यातवे भाग में होता है या असंख्यातवे ? वह लोक के संख्यातवे भाग में नहीं होता; इत्यादि पुलाक के समान। इसी प्रकार सूक्ष्मसम्परायसंयत तक जानना। यथाख्यातसंयत स्नातक अनुसार जानना। भगवन् ! सामायिकसंयत क्या लोक के संख्यातवे भाग का स्पर्श करता है ? इत्यादि प्रश्न। गौतम ! क्षेत्र – अवगाहना के समान क्षेत्र – स्पर्शना भी जानना। भगवन् ! सामायिकसंयत किस भावमें होता है ? गौतम ! क्षायोपशमिक भावमें। इसी प्रकार सूक्ष्मसम्पराय – संयत तक जानना चाहिए। भगवन् ! यथाख्यातसंयत ? गौतम ! वह औपशमिकभाव या क्षायिक भाव में होता है। भगवन् ! सामायिकसंयत एक समय में कितने होते हैं ? गौतम ! प्रतिपद्यमान की अपेक्षा समग्र कथन कषायकुशील के समान जानना। भगवन् ! छेदोपस्थापनीयसंयत ? गौतम ! प्रतिपद्यमान की अपेक्षा से कदाचित् होते हैं और कदाचित् नहीं होते हैं। यदि होते हैं तो जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट शत – पृथक्त्व होते हैं। पूर्व – प्रतिपन्न कदाचित् नहीं भी होते। यदि होते हैं तब जघन्य कोटिशतपृथक्त्व तथा उत्कृष्ट भी कोटिशतपृथक्त्व होते हैं। परिहारविशुद्धिकसंयतों की संख्या पुलाक के समान हैं। सूक्ष्मसम्परायसंयतों की संख्या निर्ग्रन्थों के अनुसार होती है। भगवन् ! यथाख्यातसंयत ? गौतम ! प्रतिपद्यमान की अपेक्षा वे कदाचित् होते हैं और कदाचित् नहीं होते हैं। यदि होते हैं तो जघन्य एक, दो या तीन और उत्कृष्ट १६२ होते हैं; जिनमें से १०८ क्षपक और ५४ उपशमक होते हैं। पूर्वप्रतिपन्न की अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट कोटिपृथक्त्व होते हैं। भगवन् ! इन सामायिक, छेदोपस्थापनीय, परिहारविशुद्धिक, सूक्ष्मसम्पराय और यथाख्यात संयतों में कौन किससे अल्प, बहुत, तुल्य या विशेषाधिक है ? सूक्ष्मसम्परायसंयत सबसे थोड़े है; उनसे परिहारविशुद्धिकसंयत संख्यातगुणे, उनसे यथाख्यातसंयत संख्यातगुणे, उनसे छेदोपस्थापनीयसंयत संख्यातगुणे और उनसे सामयिक – संयत संख्यातगुणे हैं। | ||
Mool Sutra Transliteration : | [sutra] samaiyasamjae nam bhamte! Kalao kevachchiram hoi? Goyama! Jahannenam ekkam samayam, ukkosenam desunaehim navahim vasehim uniya puvvakodi. Evam chhedovatthavanie vi. Pariharavisuddhie jahannenam ekkam samayam, ukkosenam desunaehim ekunatisae vasehim uniya puvvakodi. Suhumasamparae jaha niyamthe. Ahakkhae jaha samaiyasamjae. Samaiyasamjaya nam bhamte! Kalao kevachchiram hoi? Goyama! Savvaddham. Chhedovatthavaniyasamjaya–puchchha. Goyama! Jahannenam addhaijjaim vasasayaim, ukkosenam pannasam sagarovamakodisayasahassaim. Pariharavisuddhiyasamjaya–puchchha. Goyama! Jahannenam desunaim do vasasayaim, ukkosenam desunao do puvvakodio. Suhumasamparagasamjaya–puchchha. Goyama! Jahannenam ekkam samayam, ukkosenam amtomuhuttam. Ahakkhayasamjaya jaha samaiyasamjaya. Samaiyasamjayassa nam bhamte! Kevaiyam kalam amtaram hoi? Goyama! Jahannenam jaha pulagassa. Evam java ahakkhayasamjayassa. Samaiyasamjayanam bhamte! –puchchha. Goyama! Natthi amtaram. Chhedovatthavaniyanam–puchchha. Goyama! Jahannenam tevatthim vasasahassaim, ukkosenam attharasa sagarovamakodakodio. Pariharavisuddhiyanam–puchchha. Goyama! Jahannenam chaurasiim vasasahassaim, ukkosenam attharasa sagarovamakodakodio. Suhuma-samparayanam jaha niyamthanam. Ahakkhayanam jaha samaiyasamjayanam. Samaiyasamjayassa nam bhamte! Kati samugghaya pannatta? Goyama! Chha samugghaya pannatta jaha kasayakusilassa. Evam chhedovatthavaniyassa vi. Pariharavisuddhi- yassa jaha pulagassa. Suhumasamparagassa jaha niyamthassa. Ahakkhayassa jaha sinayassa. Samaiyasamjae nam bhamte! Logassa kim samkhejjaibhage hojja, asamkhejjaibhage–puchchha. Goyama! No samkhejjaibhage jaha pulae. Evam java suhumasamparae. Ahakkhayasamjae jaha sinae. Samaiyasamjae nam bhamte! Logassa kim samkhejjaibhagam phusai? Jaheva hojja taheva phusai. Samaiyasamjae nam bhamte! Kayarammi bhave hojja? Goyama! Khaovasamie bhave hojja. Evam java suhumasamparae. Ahakkhayasamjae–puchchha. Goyama! Uvasamie va khaie va bhave hojja. Samaiyasamjaya nam bhamte! Egasamaenam kevatiya hojja? Goyama! Padivajjamanae ya paduchcha jaha kasayakusila taheva niravasesam. Chhedovatthavaniya–puchchha. Goyama! Padivajjamanae paduchcha siya atthi siya natthi. Jai atthi jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam sayapu-hattam. Puvvapadivannae paduchcha siya atthi siya natthi. Jai atthi jahannenam kodisayapuhattam, ukkosena vi kodisayapuhattam. Parihara-visuddhiya jaha pulaga. Suhuma-samparaya jaha niyamtha. Ahakkhayasamjaya nam–puchchha. Goyama! Padivajjamanae paduchcha siya atthi siya natthi. Jai atthi jahannenam ekko va do va tinni va, ukkosenam bavattham sayam–atthuttarasayam khavaganam, chauppannam uvasamaganam. Puvvapadivannae paduchcha jahannenam kodipuhattam, ukkosena vi kodipuhattam. Eesi nam bhamte! Samaiya-chheovatthavaniya-pariharavisuddhiya-suhumasamparaya-ahakkhayasamjayanam kayare kayarehimto appa va? Bahuya va? Tulla va? Visesahiya va? Goyama! Savvatthova suhumasamparayasamjaya, pariharavisuddhiyasamjaya samkhejjaguna, ahakkhayasamjaya samkhejjaguna, chheovatthavaniyasamjaya samkhejjaguna, samaiyasamjaya samkhejjaguna. | ||
Sutra Meaning Transliteration : | Bhagavan ! Samayikasamyata kitane kala taka rahata hai\? Gautama ! Jaghanya eka samaya aura utkrishta deshona nau varsha kama purvakotivarsha. Isi prakara chhedopasthapaniyasamyata ko bhi kahana. Pariharavishuddhisamyata jaghanya eka samaya aura utkrishta deshona 29 varsha kama purvakotivarsha paryanta rahata hai. Sukshmasamparayasamyata nirgrantha ke anusara kahana. Yathakhyatasamyata ko samayikasamyata ke samana janana. Bhagavan ! (aneka) samayikasamyata kitane kala taka rahate haim\? Gautama ! (sadakala). Bhagavan ! (aneka) chhedopasthapaniyasamyata\? Gautama ! Jaghanya arhai sau varsha aura utkrishta pachasa lakha karora sagaropama taka hote haim. Bhagavan ! (aneka) pariharavishuddhikasamyata\? Gautama ! Jaghanya deshona do sau varsha aura utkrishta deshona do purvakotivarsha taka hote haim. Bhagavan ! (aneka) sukshmasamparayasamyata\? Gautama ! Jaghanya eka samaya aura utkrishta antarmuhurtta taka rahate haim. (bahuta) yathakhyatasamyatom ko samayikasamyatom ke samana janana. Bhagavan ! (eka) samayikasamyata ka antara kitane kala ka hota hai\? Gautama ! Jaghanya antarmuhurtta ityadi pulaka ke samana janana. Isi prakara ka kathana yathakhyatasamyata taka samajhana chahie. Bhagavan ! (aneka) samayikasamyatom ka antara kala\? Gautama ! Unaka antara nahim hota. Bhagavan ! (aneka) chhedopasthapaniyasamyatom ka antara\? Gautama ! Jaghanya tiresatha hajara varsha aura utkrishta (kuchha kama) atharaha korakori sagaropama kala. Bhagavan ! Pariharavishuddhikasamyatom ka antara kala\? Gautama ! Jaghanya chaurasi hajara varsha aura utkrishta deshona atharaha korakori sagaropama ka hai. Sukshmasamparayasamyatom ka antara nirgranthom ke samana hai. Yathakhyatasamyatom ka antara samayikasamyatom ke samana hai. Bhagavan ! Samayikasamyata ke kitane samudghata kahe haim\? Gautama ! Chhaha samudghata haim, ityadi varnana kashaya – kushila ke samana samajhana. Isi prakara chhedopasthapaniyasamyata janana. Pariharavishuddhikasamyata ko pulaka ke samana janana. Sukshmasamparayasamyata ko nirgrantha ke samana janana. Yathakhyatasamyata snataka ke samana janana. Bhagavan ! Samayikasamyata loka ke samkhyatave bhaga mem hota hai ya asamkhyatave\? Vaha loka ke samkhyatave bhaga mem nahim hota; ityadi pulaka ke samana. Isi prakara sukshmasamparayasamyata taka janana. Yathakhyatasamyata snataka anusara janana. Bhagavan ! Samayikasamyata kya loka ke samkhyatave bhaga ka sparsha karata hai\? Ityadi prashna. Gautama ! Kshetra – avagahana ke samana kshetra – sparshana bhi janana. Bhagavan ! Samayikasamyata kisa bhavamem hota hai\? Gautama ! Kshayopashamika bhavamem. Isi prakara sukshmasamparaya – samyata taka janana chahie. Bhagavan ! Yathakhyatasamyata\? Gautama ! Vaha aupashamikabhava ya kshayika bhava mem hota hai. Bhagavan ! Samayikasamyata eka samaya mem kitane hote haim\? Gautama ! Pratipadyamana ki apeksha samagra kathana kashayakushila ke samana janana. Bhagavan ! Chhedopasthapaniyasamyata\? Gautama ! Pratipadyamana ki apeksha se kadachit hote haim aura kadachit nahim hote haim. Yadi hote haim to jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta shata – prithaktva hote haim. Purva – pratipanna kadachit nahim bhi hote. Yadi hote haim taba jaghanya kotishataprithaktva tatha utkrishta bhi kotishataprithaktva hote haim. Pariharavishuddhikasamyatom ki samkhya pulaka ke samana haim. Sukshmasamparayasamyatom ki samkhya nirgranthom ke anusara hoti hai. Bhagavan ! Yathakhyatasamyata\? Gautama ! Pratipadyamana ki apeksha ve kadachit hote haim aura kadachit nahim hote haim. Yadi hote haim to jaghanya eka, do ya tina aura utkrishta 162 hote haim; jinamem se 108 kshapaka aura 54 upashamaka hote haim. Purvapratipanna ki apeksha jaghanya aura utkrishta kotiprithaktva hote haim. Bhagavan ! Ina samayika, chhedopasthapaniya, pariharavishuddhika, sukshmasamparaya aura yathakhyata samyatom mem kauna kisase alpa, bahuta, tulya ya visheshadhika hai\? Sukshmasamparayasamyata sabase thore hai; unase pariharavishuddhikasamyata samkhyatagune, unase yathakhyatasamyata samkhyatagune, unase chhedopasthapaniyasamyata samkhyatagune aura unase samayika – samyata samkhyatagune haim. |